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Tuesday, 19 November, 2024
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तकनीकी शिक्षा के छात्रों को योग के लिए मिलेंगे ‘नंबर’, पढ़ना होगा संविधान-भारतीय संस्कृति

शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में इससे जुड़ा 'मॉडल करिकुलम' लॉन्च किया है. इसका मकसद छात्रों को उनके अधिकार और देश के प्रति उनकी ज़िम्मेदारी से अवगत कराना है.

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नई दिल्ली : शिक्षा मंत्रालय ने फैसला लिया है कि तकनीकी शिक्षा से जुड़े डिप्लोमा में अब योग और खेल को ज़रूरी बनाया जाएगा. इसके लिए क्रेडिट यानी नंबर भी मिलेंगे. तकनीकी शिक्षा के डिप्लोमा छात्रों को अब संविधान और पर्यावरण विज्ञान जैसे विषय भी पढ़ाए जाएंगे.

इसके लिए शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में इससे जुड़ा ‘मॉडल करिकुलम’ लॉन्च किया. इस दौरान शिक्षा मंत्री निशंक ने ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) की कुछ अन्य पहलों को भी हरी झंडी दी.

डिप्लोमा कोर्स के ‘मॉडल करिकुलम’ को तैयार करने वाले प्रोफेसर सतहंस ने दिप्रिंट से कहा, ‘योगा और खेल के लिए क्रेडिट दिए जाने के पीछे कोशिश ये है कि बच्चे अपने हॉस्टल से बाहर आकर घुले-मिलें. इससे उनका स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा. ये अगले सत्र से लागू होगा. संविधान और भारतीय ज्ञान जैसे विषयों के पढ़ाने के पीछे का सार ये है कि छात्रों को उनके अधिकार और देश के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी का पता हो.’

प्रोफेसर सतहंस ने कहा कि भारतीय ज्ञान और परंपरा पढ़ाए जाने का संबंध सीवी रमन जैसे वैज्ञानिकों की विरासत से अवगत कराए जाने से है.

नरेंद्र मोदी सरकार के पहले 100 दिनों में शिक्षा मंत्रलाय ने दनादन कई योजनाएं लॉन्च की हैं. मंत्रालय के सचिव आर सुब्रमण्यम की मानें तो रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा मंत्रालय संभाले जाने के बाद 40-50 नई योजनाएं शुरू की गई हैं.


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छात्रों को नौकरी के लिए तैयार करने का है प्रयास

एआईसीटीई तकनीकी शिक्षा के लिए बनी राष्ट्रीय स्तर की काउंसिल है. ये मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के अधीन है. लॉन्च से जुड़े दस्तावेज में एआईटीसीई का कहना है कि डिप्लोमा कोर्स का काम बच्चों को नौकरी के लिए तैयार करना होता है. इसी के लिए ऑल इंडिया बोर्ड ऑफ़ टेक्निकल एजुकेशन (एआईबीटीई) ने 3-4 एक्सपर्ट्स की टीम तैयार की जिन्होंने मिलकर ये ‘मॉडल करिकुलम’ और अन्य चीज़ें तैयार की हैं.

नए करिकुलम में छात्रों को उन्नत शिक्षा देने के लिए क्रेडिट को कम किया गया है. क्रेडिट कम किए जाने के सिलसिले में एआईसीटीई के प्रमुख अनिल सहत्रबुद्धे ने दिप्रिंट से कहा, ‘एक कोर्स के पूरा करने के लिए तय संख्या में क्रेडिट (नंबर) चाहिए होते हैं. उदाहरण के लिए पहले एक डिग्री को पूरा करने के लिए 180 से 200 क्रेडिट्स चाहिए होते थे.’

उन्होंने कहा कि पहले बहुत ज़्यादा क्रेडिट्स होते थे और 200-300 क्रेडिट्स होने पर भी कोई बच्चा सब कुछ तो सीख नहीं सकता. इससे बच्चे पास तो हो जाते थे लेकिन अच्छे से सीख नहीं पाते थे. क्रेडिट स्कोर को इसलिए घटाया गया है ताकि छात्र बेहतर तरीके से सीख सकें.

सहत्रबुद्धे के अनुसार इन छात्रों को अब दो इंटर्नशिप भी करनी पड़ेगी जो बिल्कुल ज़रूरी होंगी. इनमें से एक इंडस्ट्री से जुड़ी होगी जिसमें वो स्वच्छ भारत से जुड़ी चीज़ें सीख सकते हैं. हर ब्रांच में कम से कम एक इंडस्ट्री एक्सपर्ट का लेक्चर भी होगा और एक इंडस्ट्री विज़िट भी होगी. सात से 10 हफ्ते के मैंडेटरी इंटर्नशिप में सामाजिक क्षेत्र से लेकर सरकारी क्षेत्र तक में इंटर्नशिप का विकल्प है. इसका ध्येय भी बच्चों को इंडस्ट्री के लिए तैयार करना है. उद्यमिता से जुड़े टैलेंट को प्रोत्साहित करने के लिए उद्यमिता और स्टार्टअप से जुड़े कोर्स शुरू किए जाएंगे. उद्यमिता और स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए नए डिप्लोमा कोर्स भी शुरू किए जाएंगे.


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360 डिग्री फीडबैक और मार्गदर्शन प्रोग्राम

इसी दौरान 360 डिग्री फीडबैक प्रोग्राम भी लॉन्च किया गया. इसके तहत छात्र अपने शिक्षक का चौतरफा फीडबैक दे सकेंगे और ये शिक्षकों के प्रदर्शन तय करने में भी सहायक होगा. नई स्कीम के तहत इलाक़े का सबसे अच्छा कॉलेज वहां के 10 अन्य कॉलेजों का ‘मार्गदर्शन’ करेगा.

एआईसीटीई ने एक्रिडिटेशन को 16% तक बढ़ाने का भी लक्ष्य रखा है और नए विषयों पर भी ज़ोर है जिसके तहत साइबर सिक्योरिटी जैसी चीज़ें शामिल की गई हैं.

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