मुंबई, 19 सिुतंबर (भाषा) पूंजी बाजार नियामक सेबी और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) कॉरपोरेट ऋण प्रतिभूतियों में कारोबारी गतिविधियों को तेज करने के लिए कॉरपोरेट बॉन्ड इंडेक्स डेरिवेटिव के बारे में चर्चा कर रहे हैं।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने ‘एसोचैम नेशनल काउंसिल फॉर कॉरपोरेट बॉन्ड्स’ को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘कॉरपोरेट बॉन्ड इंडेक्स डेरिवेटिव में कारोबार इस दिशा में एक और कदम है। सेबी और आरबीआई के बीच इस पर अच्छी चर्चा चल रही है और हमें उम्मीद है कि जल्द प्रगति होगी।’’
अनंत नारायण ने कहा कि द्वितीयक बॉन्ड बाजार का मासिक कारोबार फिलहाल करीब 1.4 लाख करोड़ रुपये है, जबकि शेयर बाजार में इतनी ही मात्रा का कारोबार एक दिन में हो जाता है।
उन्होंने कहा कि अगर बॉन्ड कारोबार को सौदा निपटान, मंच एवं कारोबारी संस्कृति के मामले में इक्विटी के समान बनाया जा सके तो यह निवेश वर्ग तेजी से बढ़ सकता है।
वर्ष 2023 में सेबी ने शेयर बाजारों को एए+ और उससे अधिक रेटिंग वाले कॉरपोरेट ऋण सूचकांकों पर डेरिवेटिव अनुबंध शुरू करने की अनुमति दी थी, लेकिन यह कदम रफ्तार नहीं पकड़ सका।
नगर निगम बॉन्ड के मोर्चे पर नारायण ने कहा कि 2017 से अब तक केवल 16 निर्गम हुए हैं, जिनसे 3,134 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं, जो सकल घरेलू उत्पाद का महज 0.02 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा, ‘इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं लेकिन क्षमता निर्माण और निवेशकों के भरोसे की भी उतनी ही जरूरत है।’
आंकड़ों के मुताबिक, बकाया कॉरपोरेट बॉन्ड 2014-15 के अंत में 17.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर मार्च 2025 तक 53.6 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गए। वित्त वर्ष 2024-25 में अकेले करीब 10 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड जारी हुए, जबकि 2025-26 में जुलाई तक ही 3.5 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड जारी हो चुके हैं।
नारायण ने कहा कि बॉन्ड बाजार पर फिलहाल बैंकों, बीमा कंपनियों, भविष्य निधि और म्यूचुअल फंड जैसे संस्थागत निवेशकों का दबदबा है जबकि खुदरा एवं विदेशी निवेशक अब भी हाशिये पर हैं।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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