दिल्ली: आधी रात को एक मिनी-टेम्पो, बदबूदार गंध और 1,150 किलो ‘नकली’ पनीर…ग्रेटर नोएडा के जेवर में फूड सेफ्टी इंस्पेक्टरों की यह कार्रवाई विरोध प्रदर्शन में बदल गई, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता भी कूद पड़े. आखिर में दो पुलिसकर्मी सस्पेंड कर दिए गए. नतीजा यह रहा कि पनीर और उसका व्यापारी ही बाज़ी मार गए.
नकली पनीर पर छापे आम बात हैं, लेकिन इस बार मामला राजनीतिक रंग ले बैठा और यहां तक कि एक पूर्व केंद्रीय मंत्री भी इसमें शामिल हो गए. फिलहाल, जो नकली पनीर पर नकेल कसना चाहते थे, वही नुकसान में नज़र आ रहे हैं.
शुक्रवार रात को फूड इंस्पेक्टरों को मिली सूचना के बाद जेवर टोल प्लाज़ा पर एक मिनी-टेम्पो पकड़ा गया. बुलंदशहर से दिल्ली जा रहा यह टेम्पो पनीर की बड़ी खेप ले जा रहा था, जैसे ही गाड़ी खोली गई, तेज़ बदबू फैल गई. फूड इंस्पेक्टर और जेवर थाने के एक सब-इंस्पेक्टर गाड़ी में चढ़े, ढेरों पनीर निकाला और तुरंत उतारकर जब्त कर लिया.
यहां तक तो सब ठीक था. पनीर भारत में सबसे ज़्यादा मिलावटी खाद्य पदार्थों में से एक है और ‘नकली पनीर’ पकड़ना कभी सोशल मीडिया पर ट्रेंड भी बना था. नोएडा में भी कई बार ऐसे छापे पड़े हैं. जुलाई में ही 1,400 किलो नकली पनीर पकड़ा गया था, जो अलीगढ़ की एक फैक्ट्री से बनकर दिल्ली-एनसीआर में सप्लाई हो रहा था. 180-200 रुपये किलो बिक रहे उस पनीर की छह महीने तक सप्लाई होती रही थी. तब ज़बरदस्त नाराज़गी और यह संतोष था कि नकली पनीर का ‘गिरोह’ पकड़ा गया.
उन्होंने बस पनीर को ऊपर-ऊपर से देखा और कह दिया कि यह सिंथेटिक पनीर है. प्रदर्शनकारियों ने मांग की थी कि पनीर को लैब भेजा जाए, लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया
— संजीव बालियान, बीजेपी नेता
लेकिन जेवर की रेड अलग साबित हुई. इस बार गुस्सा व्यापारी लोकेंद्र चौधरी के खिलाफ नहीं बल्कि उनके समर्थन में था. स्थानीय प्रधान और उनके समर्थक थाने पहुंच गए, फिर बीजेपी कार्यकर्ता भी आ गए. मामला इतना बढ़ा कि कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रह चुके संजीव बालियान भी थाने पहुंचे और धरने पर बैठ गए. रिश्वत और बदसलूकी के आरोप लगे और अंततः दो पुलिसकर्मी सस्पेंड हो गए.
इसी बीच, पनीर के पहाड़ जैसे ढेर को ज़मीन में दफनाते हुए वीडियो वायरल हो गए और यही अब सबसे बड़ा विवाद बन गया है.
दफन हुआ सबूत?
जेवर रेड के तरीके को लेकर दो विरोधी बयान सामने आए हैं. व्यापारी और पनीर निर्माता लोकेंद्र चौधरी का दावा है कि वे ही पीड़ित हैं.
चौधरी के मुताबिक, 12 सितंबर को उनके ड्राइवर ने उन्हें फोन कर बताया कि उनकी टेम्पो को जेवर में अधिकारियों ने रोक लिया है. इसके बाद चौधरी ने फूड इंस्पेक्टर से संपर्क किया और कहा कि पनीर का सैंपल लिया जाए और ज़रूरी जांच की जाए.
चौधरी ने आरोप लगाया, “इसके बदले पुलिस ने 1 लाख रुपये रिश्वत की मांग की. मैंने पूछा, ‘अगर मेरे फैक्ट्री का पनीर असली है तो मुझे पैसे क्यों देने होंगे?’”
इस मामले पर उत्तर देते हुए गौतम बुद्ध नगर के सहायक आयुक्त फूड सर्वेश कुमार ने कहा, “चूंकि जब्त वस्तुएं पैरिशेबल (नाशवान) थीं, हमने सैंपल इकट्ठा किए और बाकी पनीर को जेसीबी मशीन से खोदकर गड्ढे में दफन कर दिया.”
चौधरी ने बताया कि इसके बाद वह कुछ कर्मचारियों और बीजेपी कार्यकर्ता प्रेम वीर (बुलंदशहर जिला किसान संघ के उपाध्यक्ष) के साथ थाने पहुंचे. वहां उन्होंने पाया कि पूरी खेप जिसकी कीमत लगभग 6 लाख रुपये थी, फेंक दी गई थी और उनका आरोप है कि कोई सैंपल नहीं लिया गया. चौधरी ने दावा किया कि उन्हें और प्रेम वीर को विरोध करने पर थाने में हिरासत में रखा गया और वहां उन्हें मारपीट का सामना करना पड़ा.
चौधरी ने कहा, “हम उस पनीर के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं जिसे बिना जांच के फेंक दिया गया. मैं पिछले 25 साल से पनीर सप्लाई कर रहा हूं, लेकिन कभी इसकी गुणवत्ता पर सवाल नहीं उठाया गया.”
बुलंदशहर के कालाखुरी गांव के निवासी चौधरी का पनीर बनाने का कारोबार है, जो स्थानीय किसानों से दूध लेता है. उसका पनीर मुख्यतः दिल्ली और नोएडा के कुछ स्टोर्स में जाता है.

फूड सेफ्टी अधिकारियों ने हालांकि, मामले को अलग नज़रिए से बताया.
सहायक आयुक्त फूड सर्वेश कुमार ने कहा, “हमें सूचना मिली और हमने तुरंत कार्रवाई की. हमारे फूड इंस्पेक्टर हमेशा खाद्य वस्तुओं की ट्रांसपोर्टेशन पर नज़र रखते हैं. इस तरह के छापों में हम स्थानीय पुलिस की मदद भी लेते हैं. इस मामले में जेवर पुलिस स्टेशन के अधिकारी ऑपरेशन में सहयोगी रहे.”
उन्होंने माना कि पनीर को दबा दिया गया, लेकिन पहले सैंपल लिए गए और उन्हें लैब में भेजा गया.
उन्होंने दोहराया, “चूंकि, जब्त की गई वस्तुएं पैरिशेबल थीं, हमने सैंपल इकट्ठा किए और बाकी को जेसीबी मशीन से खोदकर गड्ढे में दबा दिए.”
पुलिस की नाकामियों पर सवाल
पुलिस द्वारा पनीर जब्त करने के बाद विरोध शांत नहीं हुआ और दुर्व्यवहार के आरोप लगे, जिसके चलते दो सब-इंस्पेक्टर्स को निलंबित कर दिया गया.
जेवर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह कार्रवाई मुख्य रूप से गुस्साए लोगों को शांत करने और राजनीतिक दबाव में की गई.

जेवर के पुलिस अधिकारी ने कहा, “व्यापारी और उनके समर्थक विरोध कर रहे थे. हमने उन्हें मनाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वे मानने को तैयार नहीं थे. आखिरकार, उन्होंने सब-इंस्पेक्टर्स पर मारपीट का आरोप लगाया और कहा कि जब तक उन्हें निलंबित नहीं किया जाता, वे नहीं जाएंगे.”
मामले को और बढ़ा दिया जब पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान निलंबन की मांग में शामिल हो गए. उन्होंने बताया कि जब उन्हें पता चला कि बीजेपी कार्यकर्ता प्रेम वीर को गिरफ्तार किया गया है, तो वे तुरंत थाने पहुंचे.
बालियान ने कहा, “वह मेरे साथी बीजेपी कार्यकर्ता थे, मुझे हस्तक्षेप करना पड़ा और मामले पर ध्यान रखना पड़ा. उनके शरीर पर चोट के निशान थे. पुलिस की दुर्व्यवस्था और गलत जांच के खिलाफ मैं विरोध कर रहा था.”
नेता व्यापारी लोकेंद्र चौधरी के पक्ष में खड़े हुए और पुलिस पर पनीर के सैंपल लिए बिना फेंकने का आरोप लगाया.
बालियान ने कहा, “उन्होंने केवल पनीर का हल्का सा स्वाद लिया और तय कर दिया कि यह सिंथेटिक पनीर है. विरोधियों ने पुलिस से कहा कि पनीर लैब भेजा जाए, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.”
हालांकि, कथित नकली पनीर पूरी तरह से बरी नहीं है.
जेवर के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सैंपल लिए गए और लैब भेजे गए. उन्होंने यह भी बताया कि फूड इंस्पेक्टरों की प्रारंभिक जांच में अक्सर स्वाद या गंध के आधार पर तुरंत आकलन किया जाता है.
अधिकारी ने कहा, “इस मामले में, पनीर से तेज़ दुर्गंध आ रही थी, जिसने उसकी गुणवत्ता पर तुरंत सवाल खड़े कर दिए. कुछ ही दिनों में सारी जानकारी सार्वजनिक हो जाएगी.”
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