scorecardresearch
Sunday, 3 November, 2024
होमदेशन सिर्फ मोदी के मंत्रिमंडल में, भाजपा के नीति-निर्णायक मंडल में भी ईसाई समुदाय का कोई नहीं

न सिर्फ मोदी के मंत्रिमंडल में, भाजपा के नीति-निर्णायक मंडल में भी ईसाई समुदाय का कोई नहीं

पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में ईसाई समुदाय से आने वाले एक व्यक्ति को मंत्रिमंडल में जगह दी थी. लेकिन दूसरे कार्यकाल में किसी भी ईसाई को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया.

Text Size:

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 58 सदस्यीय मंत्रिमंडल में एक भी ईसाई समुदाय के व्यक्ति को शामिल नहीं किया है. मोदी ने 23 मई को दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी. भाजपा के उच्चस्तरीय टीम में भी अल्पसंख्यक समुदाय का कोई व्यक्ति शामिल नहीं है. मोदी के मंत्रिमंडल में बहुसंख्यक हिंदू समुदाय के 54 मंत्री हैं. बाकी दो सिख समुदाय से, एक बौद्ध और एक मुस्लिम समुदाय से हैं.

मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में ईसाई समुदाय से एक मंत्री बनाया था. पूर्व नौकरशाह केजे अल्फांस को कैबिनेट विस्तार के बाद मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था. लेकिन हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद बनी मोदी सरकार में उनको मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था. इस समुदाय के किसी भी व्यक्ति को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है. भाजपा के नीति-निर्णायक समिति और संसदीय समिति में भी ईसाई समुदाय से कोई व्यक्ति शामिल नहीं है.

केजे अल्फांस ने दिप्रिंट को बताया, ‘यह प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार होता है कि वो अपने मंत्रिमंडल में किसे जगह देता है और किसे नहीं. उनके अधिकार पर कोई सवाल नहीं खड़ा कर सकता है. प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल चुनते समय किसी भी प्रकार की जाति और धर्म को नहीं मानते हैं.’


यह भी पढ़ेंः बंगाल में चुनावी हिंसा में मारे गए कार्यकर्ताओं का पिंडदान करेगी भाजपा, अमित शाह हो सकते हैं शामिल


उन्होंने कहा, ‘भारत अब जाति और धर्म से आगे बढ़कर विकास की तरफ बढ़ रहा है.’

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘केजे अल्फांस को मंत्रिमंडल में पहले इसलिए शामिल किया गया था क्योंकि अमित शाह केरल के ईसाई समुदाय में पैठ बनाना चाहते थे. उन्हें लोकसभा चुनाव को देखते हुए मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था लेकिन उनके होने से पार्टी को कोई बड़ा फायदा हुआ नहीं.’

भाजपा नेता के मुताबिक शाह ने केरल में कई तरह के प्रयोग किए हैं जिससे पार्टी को मजबूती मिले. पहले उन्होंने राज्य के पार्टी अध्यक्ष के. राजशेखरण को मिजोरम का राज्यपाल बनाया और फिर बाद में शशि थरूर के खिलाफ चुनाव लड़वाया. अल्फांस का कैबिनेट से निकाला जाना राजनैतिक है. भाजपा नेता ने कहा, शाह ने वी. मुरलीधरन को केरल में पार्टी के विस्तार करने के लिए कैबिनेट में शामिल किया है.

एक और भाजपा नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि अभी तक पीएम को इस समुदाय से कोई चेहरा नहीं मिला है. लेकिन अल्फांस आने वाले समय में होने वाले कैबिनेट विस्तार के लिए एक विकल्प हो सकते हैं.

संख्या के हिसाब से बनते रिश्ते

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मकथा लिखने वाले नीलंजन मुखोपाध्याय का कहना है, भाजपा राजनैतिक रूप से एक हिंदू पार्टी है और वो अपना विस्तार बहुसंख्यकवाद की राजनीति के आधार पर ही करना चाहती है. मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में ईसाई समुदाय के व्यक्ति को इसलिए जगह नहीं दी है क्योंकि इस समुदाय के वोट प्रतिशत से भाजपा को ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है.

पार्टी का किसी भी समुदाय से रिश्ता इस बात पर निर्भर करता है कि उसका भौगोलिक रूप से कितना प्रभाव है. भाजपा की चुनाव समिति में मुस्मिम समुदाय से शहनवाज़ हुसैन, जनजातीय समुदाय से जुअल ओराम और महिला सदस्य के रूप में विजया रहातकार शामिल हैं.

ईसाई समुदाय के लोगों को भाजपा ने कहीं भी ज्यादा जगह नहीं दी है. जिन राज्यों में ईसाई समुदाय की संख्या है वहां इन लोगों को अच्छी भूमिका मिली है.

गोवा में 12 मंत्रियों में 5 ईसाई समुदाय के हैं. वहीं मिजोरम और नागालैंड के राज्य ईकाई के भाजपाध्यक्ष जेवी हलूना और तेमजेन इमना अलोंग ईसाई हैं.


यह भी पढ़ेंः पोप के बाद अमेरिका में सबसे ज्यादा लोगों को संबोधित करने वाले नेता होंगे नरेंद्र मोदी


समुदाय की संख्या

2011 का जनगणना के मुताबिक ईसाई समुदाय हिंदू और मुस्लिम के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा समुदाय है. ईसाई समुदाय के लगभग 2.5 करोड़ लोग हैं.

नागालैंड और मिजोरम में यह समुदाय बहुसंख्या में है. वहां इनकी आबादी 90 फीसदी है. मेघालय में भी 74 फीसदी लोग ईसाई समुदाय से हैं. गोवा में 25 और केरल में 18 फीसदी आबादी ईसाई समुदाय की है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

share & View comments