बेंगलुरु, 25 अगस्त (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं और पार्टी से निष्कासित एक विधायक ने कर्नाटक सरकार के उस फैसले पर सवाल उठाया है जिसमें बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका और कार्यकर्ता बानू मुश्ताक से इस साल विश्व प्रसिद्ध मैसुरु दशहरा उत्सव का उद्घाटन कराने का निर्णय लिया गया है।
पूर्व मंत्री और भाजपा नेता सी टी रवि ने कहा कि ऐसे व्यक्ति का धार्मिक समारोह की अध्यक्षता करना अनुचित है, जिसकी आस्था अलग हो।
मैसुरु के पूर्व सांसद प्रताप सिम्हा ने कहा कि वह (बानू) साहित्यिक कार्यक्रम की अध्यक्षता कर सकती हैं लेकिन दशहरे की नहीं।
सिम्हा ने रविवार को मैसुरु में पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘‘ मैं बानू मुश्ताक की उपलब्धियों के लिए व्यक्तिगत रूप से उनका सम्मान करता हूं। जब वह अखिल भारत कन्नड़ साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षता करती हैं तो यह स्वीकार्य है, लेकिन दशहरा जो हिंदुओं का धार्मिक आयोजन है और जिसकी शुरुआत देवी चामुंडेश्वरी की पूजा से होती है, उसकी अध्यक्षता वह करें, यह स्वीकार्य नहीं है। क्या उनकी चामुंडेश्वरी देवी में आस्था है? क्या वह हमारी परंपराओं का पालन कर रही हैं?’’
भाजपा से निष्कासित विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘ मैं व्यक्तिगत रूप से एक लेखिका और कार्यकर्ता के रूप में बानू मुश्ताक मैडम का सम्मान करता हूं। लेकिन देवी चामुंडेश्वरी को पुष्प अर्पित करके और दीप प्रज्वलित करके दशहरा का उद्घाटन करना उनकी अपनी धार्मिक मान्यताओं के विपरीत प्रतीत होता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैडम को यह स्पष्ट करना होगा कि क्या वह इस्लाम का पालन करना जारी रखेंगी, जो केवल एक ईश्वर और एक पवित्र पुस्तक में विश्वास पर जोर देता है या अब वह मानती हैं कि सभी मार्ग अंततः उसी मोक्ष की ओर ले जाते हैं।’’
उन्होंने कहा कि उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करने से पहले यह स्पष्ट होना आवश्यक है।
यतनाल ने हैशटैग ‘कर्नाटक दशहरा 2025’ का इस्तेमाल करते हुए कहा, ‘‘इस तरह की स्पष्टता के बिना, बानू मुश्ताक मैडम द्वारा दशहरा का उद्घाटन किया जाना उचित नहीं है। वह निश्चित रूप से दशहरा उत्सव के भीतर सांस्कृतिक या साहित्यिक कार्यक्रमों का उद्घाटन कर सकती हैं, लेकिन दशहरे के उद्घाटन से बचना चाहिए।’’
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने हाल ही में घोषणा की थी कि बानू मुश्ताक मैसुरु में नाडा हब्बा (राज्य उत्सव) दशहरा समारोह का उद्घाटन करेंगी, जो पारंपरिक रूप से चामुंडी हिल मंदिर में अनुष्ठानों के साथ शुरू होता है।
भाषा शोभना मनीषा
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