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Thursday, 21 August, 2025
होमदेशविपक्ष के हंगामे के बीच राज्यसभा से पारित हुआ ऑनलाइन गेमिंग बिल

विपक्ष के हंगामे के बीच राज्यसभा से पारित हुआ ऑनलाइन गेमिंग बिल

लोकसभा में गुरुवार को पारित प्रमोशन एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा देता है, लेकिन बेटिंग और जुआ खेलों को 'पब्लिक हेल्थ रिस्क' बताता है.

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नई दिल्ली: राज्यसभा ने गुरुवार को विपक्ष के विरोध और नारेबाजी के बीच प्रमोशन एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल पास कर दिया.

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा से पास हुए प्रमोशन एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल को राज्यसभा में विचार और पारित करने के लिए पेश किया.

केंद्रीय मंत्री ने बिल की अहम बातें बताते हुए कहा कि इसमें तीन हिस्से हैं – “ई-स्पोर्ट्स, ऑनलाइन सोशल गेमिंग और ऑनलाइन मनी गेमिंग”. इनमें से 2/3 हिस्से (ई-स्पोर्ट्स और ऑनलाइन सोशल गेमिंग) को बढ़ावा दिया जाएगा और प्रोत्साहित किया जाएगा.

राज्यसभा में बोलते हुए वैष्णव ने कहा, “ऑनलाइन गेमिंग एक अहम विषय है, जो डिजिटल दुनिया का बड़ा सेक्टर बनकर उभरा है. इसके तीन सेगमेंट हैं. पहला सेगमेंट है ई-स्पोर्ट्स, जिसमें लोग टीम बनाकर खेलते हैं, कोऑर्डिनेशन सीखते हैं, स्ट्रैटेजिक सोच विकसित करते हैं. हमारे खिलाड़ी इसमें कई मेडल भी जीत चुके हैं. इस बिल में ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा दिया जाएगा, इसके लिए एक अथॉरिटी बनाई जाएगी और इसे कानूनी मान्यता मिलेगी. दूसरा है ऑनलाइन सोशल गेम्स, जिसमें सॉलिटेयर, शतरंज, सुडोकू आदि आते हैं. इस बिल में ऑनलाइन सोशल गेम्स को भी बढ़ावा और प्रोत्साहन दिया जाएगा और इसके लिए भी एक अथॉरिटी बनाई जाएगी.”

केंद्रीय मंत्री ने तीसरे हिस्से—‘ऑनलाइन मनी गेम’—को “पब्लिक हेल्थ रिस्क” बताया.

उन्होंने आगे कहा, “ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया के 2/3 हिस्से को बढ़ावा दिया जा रहा है, लेकिन एक हिस्सा है, तीसरा—ऑनलाइन मनी गेम्स—जिसकी वजह से समाज में, खासकर मिडिल क्लास युवाओं में, बड़ी समस्या पैदा हुई है. इसमें लोग लती हो जाते हैं और परिवार की बचत खर्च हो जाती है. अनुमान है कि 45 करोड़ लोग इससे प्रभावित हैं और इसमें 20,000 करोड़ रुपए से ज्यादा बर्बाद हुए हैं. WHO ने इसे गेमिंग डिसऑर्डर घोषित किया है. ऑनलाइन मनी गेमिंग अब पब्लिक हेल्थ रिस्क बन चुका है. इससे साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर, जबरदस्ती वाला व्यवहार, हिंसक व्यवहार जैसी समस्याएं आ रही हैं. इसकी वजह से कई परिवार बर्बाद हो चुके हैं. यह बहुत बड़ी समस्या बन गई है. इसका बड़ा पहलू मनी लॉन्ड्रिंग है और इसका असर आतंकवादी गतिविधियों में भी देखा गया है. इस समस्या को रोकने की कोशिशें हुईं, लेकिन यह लगातार बढ़ती ही गई.”

केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने बिल पेश करते समय हंगामा करने के लिए विपक्ष पर भी निशाना साधा.

उन्होंने कहा, “समाज में समय-समय पर कई गड़बड़ियां सामने आती हैं. ऐसे समय सरकार और संसद की जिम्मेदारी होती है कि इन गड़बड़ियों के खिलाफ कार्रवाई करें और हल निकालें. हम सब जानते हैं कि पहले कई परिवार चिट फंड की वजह से बर्बाद हो रहे थे, तब मोदी सरकार ने उस पर कानून लाकर समस्या को रोका. जब भी मिडिल क्लास और युवाओं के हित की बात आई है, पीएम मोदी ने हमेशा राजस्व और अर्थव्यवस्था को एक तरफ रखकर मिडिल क्लास और युवाओं के हित को प्राथमिकता दी है. आज संसद के सामने वही विषय है. अगर विपक्ष आज इस पर काम करता है, तो हम मानते कि वे भी मिडिल क्लास और युवाओं के हित की बात करते हैं, लेकिन उन्हें इसकी कोई चिंता नहीं है. वे सिर्फ और सिर्फ अपने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए काम करते हैं.”

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