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Wednesday, 20 August, 2025
होमदेशममता ने आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को हटाने संबंधी विधेयक की निंदा की

ममता ने आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को हटाने संबंधी विधेयक की निंदा की

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कोलकाता, 20 अगस्त (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार होने के बाद प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को पद से हटाने से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक की बुधवार को निंदा की और आरोप लगाया कि यह भारत में लोकतांत्रिक युग को हमेशा के लिए समाप्त कर देगा।

बनर्जी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में यह भी दावा किया कि संशोधन विधेयक एक ‘सुपर-आपातकाल’ से भी बड़ा कदम है और यह देश की न्यायपालिका की स्वतंत्रता को समाप्त कर देगा।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के विरोध और हंगामे के बीच लोकसभा में बुधवार को ‘संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025’, ‘संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2025’ और ‘जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025’ पेश किए। बाद में उनके प्रस्ताव पर सदन ने तीनों विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति को भेजने का निर्णय लिया।

संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 में 30 दिन तक गिरफ्तार रहने पर प्रधानमंत्री, मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को गंभीर अपराध के आरोपों में पद से हटाने का प्रावधान है।

बनर्जी ने कहा कि वह भारत सरकार द्वारा आज लोकसभा में पेश किए गए 130वें संविधान संशोधन विधेयक की निंदा करती हैं।

तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ने कहा, ‘‘एक सुपर आपातकाल से भी बड़े, भारत के लोकतांत्रिक युग को हमेशा के लिए समाप्त करने की दिशा में उठाए गए कदम के तौर पर मैं इसकी निंदी करती हूं। यह दमनकारी कदम भारत में लोकतंत्र और संघवाद के लिए मृत्यु संकेत है।”

उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए इस विधेयक का किसी भी कीमत पर विरोध किया जाना चाहिए।

बनर्जी ने दावा किया कि यह विधेयक केंद्र सरकार को जनादेश में दखलंदाजी करने के लिए शक्ति देता है, तथा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई जैसे गैर-निर्वाचित प्राधिकारियों को निर्वाचित राज्य सरकारों के कामकाज में हस्तक्षेप करने के लिए व्यापक शक्तियां प्रदान करता है।

बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा, “यह हमारे संविधान के मूल सिद्धांतों की कीमत पर प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री को भयावह तरीके से सशक्त बनाने का कदम है।”

बनर्जी ने कहा, ‘लोग अपनी अदालतों, अपने अधिकारों और अपने लोकतंत्र को छीनने के किसी भी प्रयास को माफ नहीं करेंगे।’

बनर्जी ने आरोप लगाया, ‘विधेयक का उद्देश्य ‘एक व्यक्ति-एक पार्टी-एक सरकार’ की प्रणाली को मजबूत करना है। यह विधेयक संविधान के मूल ढांचे को रौंदता है। अब यह हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को ख़त्म करना चाहता है। हम जो देख रहे हैं वह अभूतपूर्व है – यह विधेयक भारतीय लोकतंत्र की आत्मा पर हिटलरी हमले से कम नहीं है।’

उन्होंने कहा, ‘इस विधेयक का किसी भी कीमत पर विरोध किया जाना चाहिए! इस समय लोकतंत्र को बचाना होगा!’

इससे पहले दिन में, तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने आरोप लगाया कि नरेन्द्र मोदी सरकार ‘बिना किसी जवाबदेही के केवल शक्ति और नियंत्रण हासिल करने’ में रुचि रखती है और इसलिए उसने गंभीर आरोपों में फंसे किसी भी प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने के लिए विधेयक पेश किया है।

भाषा नोमान प्रशांत

प्रशांत

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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