बेंगलुरु, 20 अगस्त (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने बुधवार को कहा कि राज्य सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक में अनुसूचित जातियों (एससी) के आंतरिक आरक्षण पर न्यायमूर्ति एच एन नागमोहन दास की सिफारिशों को कुछ संशोधनों के साथ स्वीकार कर लिया है। इनमें आयोग द्वारा ‘लेफ्ट-हैंड कास्ट’ (महादलित) के रूप में पहचाने गए समुदायों को छह प्रतिशत आंतरिक कोटा प्रदान करना भी शामिल है।
सिद्धरमैया ने विधानसभा को बताया कि जैसे ही आंतरिक आरक्षण आदेश जारी होगा, भर्ती प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और आयु सीमा में एक बार की छूट प्रदान की जाएगी।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने आंतरिक आरक्षण कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने का भी फैसला किया है।’’
मंगलवार को मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए निर्णयों पर विधानसभा में एक बयान पढ़ते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्रिमंडल ने इस बात पर गौर किया कि आयोग ने अनुसूचित जातियों में ‘पराया’, ‘मोगेरा’ और अन्य ‘ राइट-हैंड कास्ट’ (दलित) को ‘लेफ्ट-हैंड कास्ट’ (महादलित) के साथ समूहीकृत किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने इन समुदायों को ‘राइट-हैंड’ समूह में वर्गीकृत करने और उन्हें छह प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने आदि कर्नाटक, आदि आंध्र और आदि द्रविड़ समूहों को छह प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया है, जिनकी जनसंख्या 4,74,954 है। इसे ‘लेफ्ट-हैंड और राइट-हैंड’ समूहों के बीच समान रूप से वितरित किया जाएगा।
सिद्धरमैया ने कहा कि आयोग ने पांच समूहों – ए, बी, सी, डी और ई में वर्गीकरण का प्रस्ताव दिया था।
मुख्यमंत्री ने बताया कि मंत्रिमंडल ने इसे तीन समूहों – ए, बी और सी में पुनर्गठित करने का निर्णय लिया है, जिसके तहत समूह ए (लेफ्ट-हैंड कास्ट) को छह प्रतिशत, समूह बी (राइट-हैंड कास्ट) को छह प्रतिशत और समूह सी को पांच प्रतिशत आंतरिक आरक्षण प्रदान किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि ये परिवर्तन सभी 101 अनुसूचित जातियों के लिए शिक्षा, रोजगार और अन्य अवसरों तक पहुंच में समानता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए किए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने एक स्थायी अनुसूचित जाति आयोग गठित करने का निर्णय लिया है जो समय-समय पर अंतर-जातीय मुद्दे और उपलब्ध आंकड़ों का अध्ययन करेगा तथा समय-समय पर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
सिद्धरमैया ने कहा कि सरकार अगली राष्ट्रीय जनगणना से उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर, यदि आवश्यक हुआ तो, इस निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार ने यह साबित किया है कि एक प्रगतिशील राज्य के रूप में कर्नाटक सामाजिक न्याय के मामले में भी अग्रणी है।’’
सिद्धरमैया ने विधानसभा को बताया कि न्यायमूर्ति नागमोहन दास के आयोग ने राज्य में 101 अनुसूचित जातियों का व्यापक अध्ययन किया और एक अगस्त को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
आयोग ने अनुसूचित जातियों के 1,05,09,871 व्यक्तियों के आंकड़े एकत्र किए, जो अनुसूचित जातियों की 93 प्रतिशत आबादी को कवर करते हैं। मंत्रिमंडल ने इस रिपोर्ट का गहन अध्ययन किया।
विपक्षी दल भाजपा ने मंत्रिमंडल के फैसले पर चर्चा की मांग की, लेकिन सत्तारूढ़ कांग्रेस इसके लिए सहमत नहीं हुई। अध्यक्ष ने भी किसी चर्चा की अनुमति नहीं दी। इस फैसले से नाराज विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन किया।
भाषा
देवेंद्र नरेश
नरेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.