नयी दिल्ली, 20 अगस्त (भाषा) संसद की एक स्थायी समिति ने बुधवार को कहा कि नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) में कर्मचारियों की भारी किल्लत देश की विमानन सुरक्षा प्रणाली की अखंडता के लिए ‘अस्तित्वगत खतरा’ है और इस नियामक को प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वायत्तता दी जानी चाहिए।
परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्थायी समिति ने ‘नागर विमानन क्षेत्र में सुरक्षा की समग्र समीक्षा’ पर पेश अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है।
राज्यसभा सदस्य एवं जनता दल यूनाइटेड के नेता संजय कुमार झा की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा है कि डीजीसीए के 1,063 स्वीकृत पदों में से लगभग 50 प्रतिशत खाली हैं और केवल 553 पद ही भरे गए हैं।
समिति के मुताबिक, यह कमी मात्र प्रशासनिक समस्या नहीं है बल्कि विमानन सुरक्षा निगरानी तंत्र के लिए भी एक गंभीर खतरा है।
समिति ने सुरक्षा खामियों को तय समयसीमा में दूर करने, गंभीर मामलों में कठोर प्रवर्तन कार्रवाई करने और सभी हवाई अड्डों पर क्षमता विस्तार योजना को विमानन कंपनियों के बेड़े विस्तार के अनुरूप लाने की सिफारिश की है।
हालांकि, इस रिपोर्ट में 12 जून को अहमदाबाद में हुए भीषण विमान हादसे का कोई उल्लेख नहीं है। एयर इंडिया का बोइंग विमान अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरने के चंद मिनटों के ही भीतर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमें 260 से अधिक लोगों की मौत हुई थी।
हाल में हुए कई हेलिकॉप्टर हादसों को ध्यान में रखते हुए संसदीय समिति ने सभी राज्यों की हेलिकॉप्टर सेवाओं के लिए समान राष्ट्रीय नियामक ढांचा और क्षेत्र-विशिष्ट पायलट प्रशिक्षण अनिवार्य करने की सिफारिश की।
समिति के सदस्यों ने यह भी कहा कि हवाई पट्टी पर घुसपैठ, पक्षी के टकराने और इंजन फेल होने जैसी घटनाओं के लिए गहन कारण विश्लेषण और प्रभावी सुधारात्मक उपाय जरूरी हैं।
इसके साथ ही समिति ने ‘दंडात्मक संस्कृति’ को खत्म कर ‘न्यायसंगत संस्कृति’ अपनाने तथा कानून समर्थित व्हिसलब्लोअर संरक्षण ढांचे की वकालत की।
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