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Wednesday, 20 August, 2025
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महाराष्ट्र चुनाव से जुड़े आंकड़ों में हेरफेर पर CSDS को ICSSR का कारण बताओ नोटिस जारी

ICSSR ने आरोप लगाया कि सीएसडीएस ने न केवल आंकड़ों में गड़बड़ी की, बल्कि चुनाव आयोग द्वारा कराए जा रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभ्यास की पक्षपाती व्याख्या पर आधारित मीडिया रिपोर्ट्स भी प्रकाशित कीं.

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नई दिल्ली: भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) ने बुधवार को सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) को महाराष्ट्र चुनाव से जुड़े आंकड़ों में कथित हेरफेर के मामले में शो कॉज नोटिस जारी किया.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जारी पोस्ट में ICSSR ने आरोप लगाया कि सीएसडीएस ने न केवल आंकड़ों में गड़बड़ी की, बल्कि चुनाव आयोग द्वारा कराए जा रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभ्यास की पक्षपाती व्याख्या पर आधारित मीडिया रिपोर्ट्स भी प्रकाशित कीं.

ICSSR ने कहा, “यह जानकारी में आया है कि CSDS, जो ICSSR से वित्तपोषित संस्थान है, से जुड़े एक जिम्मेदार पद पर आसीन व्यक्ति ने महाराष्ट्र चुनाव के आंकड़ों को लेकर मीडिया में बयान दिए, जिन्हें बाद में डेटा विश्लेषण में त्रुटियों का हवाला देकर वापस लेना पड़ा. साथ ही, संस्थान ने चुनाव आयोग के SIR अभ्यास की पक्षपाती व्याख्या पर आधारित रिपोर्टें भी प्रकाशित कीं.”

परिषद ने आगे लिखा, “ICSSR भारतीय संविधान को सर्वोच्च मान्यता देता है. भारत का चुनाव आयोग एक उच्च संवैधानिक निकाय है, जो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में दशकों से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराता आ रहा है. सीएसडीएस द्वारा डेटा में हेरफेर और चुनाव आयोग की पवित्रता को कमजोर करने का प्रयास, ICSSR की अनुदान नियमावली का गंभीर उल्लंघन है. इसे लेकर सीएसडीएस को कारण बताओ नोटिस जारी किया जा रहा है.”

इससे पहले, लोकनीति-सीएसडीएस के सह-निदेशक और राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार ने मंगलवार को महाराष्ट्र चुनाव संबंधी आंकड़ों पर किए गए एक पोस्ट को लेकर सफाई दी थी. उन्होंने पोस्ट डिलीट कर माफी मांगी थी.

संजय कुमार ने कहा, “दरअसल हमने गलती से विधानसभा क्षेत्र संख्या 125 (नासिक पश्चिम) का डेटा 124 से और 50 (हिंगणा) का डेटा 49 से तुलना कर लिया. यही कारण था कि जानकारी गलत आई.”

उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग के अनुसार महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए छह महीने में करीब 40 लाख से ज्यादा नए मतदाता सूची में जुड़े हैं. हालांकि, उन्होंने लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच मतदाताओं की संख्या में “थोड़ा असामान्य इजाफा” स्वीकार किया, लेकिन यह भी कहा कि अगर लोकसभा चुनाव के दौरान कुछ नाम मतदाता सूची में छूट गए थे और विधानसभा चुनाव से पहले अपडेट में शामिल कर लिए गए हों, तो यह संभव है.

गौरतलब है कि भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) सामाजिक एवं मानवीय विज्ञानों के शोध का शीर्ष सरकारी निकाय है. इसकी स्थापना 1969 में हुई थी और यह शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन कार्य करता है.


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