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Wednesday, 20 August, 2025
होमदेशजन विश्वास बिल 2025: खंभे से गाय बांधना, साइलेंस ज़ोन में हॉर्न बजाने समेत 355 अपराधों में होगा संशोधन

जन विश्वास बिल 2025: खंभे से गाय बांधना, साइलेंस ज़ोन में हॉर्न बजाने समेत 355 अपराधों में होगा संशोधन

अगर यह पास हो गया, तो बिल भारतीयों के रोज़मर्रा के जीवन में कानून से निपटने का तरीका बदल देगा, रोज़मर्रा की गलतियों से ‘अपराधी’ का टैग हटाकर उन्हें जुर्माने के ज़रिए जवाबदेही में बदला जाएगा.

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नई दिल्ली: बिना लाइसेंस फेरी लगाना, गैर-निर्धारित जगहों पर कपड़े धोना, खतरनाक कुत्तों को खुला छोड़ना, या पुराने औद्योगिक कानूनों के तहत रिटर्न दाखिल न करना—भारत में ऐसे कई छोटे-मोटे अपराध अब खत्म होने की राह पर हैं. जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, 2025 में जेल की सज़ा की जगह आर्थिक दंड या साधारण चेतावनी का प्रावधान किया गया है.

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को लोकसभा में यह बिल पेश किया, जिसका मकसद शासन को आसान बनाना और रोज़मर्रा की गतिविधियों को अपराध की श्रेणी से बाहर करना है. विभिन्न केंद्रीय कानूनों के तहत छोटे अपराधों को अपराधमुक्त करने वाला यह बिल जांच के लिए लोकसभा की प्रवर समिति को भेजा गया है.

अपने पूर्ववर्ती जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) अधिनियम, 2023 की तरह, जिसने 42 कानूनों के तहत कई पुराने प्रावधानों को अपराधमुक्त किया था, 2025 का यह बिल और भी व्यापक स्तर पर छोटे अपराधों को हटाने की कोशिश करता है.

अपराधों की सूची बेहद विविध है—चाहे किसान का अपनी गाय को सड़क के खंभे से बांधना हो, किसी यात्री का साइलेंस ज़ोन में हॉर्न बजाना, या किसी दुकानदार का गलत बाट का इस्तेमाल करना.

बिल की खासियत पहली चेतावनी तंत्र है. इनमें से कई अपराधों पर पहली बार न तो जुर्माना लगेगा और न ही मुकदमा होगा. इसकी जगह ‘सुधार नोटिस’ जारी किया जाएगा, ताकि गलती सुधारने का मौका मिले. दोबारा गलती करने पर जुर्माना लगेगा, लेकिन जेल की सज़ा ज्यादातर मामलों में हटा दी गई है.

बिल के उद्देश्यों में कहा गया है, “जन विश्वास बिल का लक्ष्य है व्यापार-हितैषी माहौल बनाना और जीवन को आसान बनाना, अनावश्यक कानूनी बाधाओं को हटाकर और नियामक ढांचे को सरल बनाकर. यह पहल भारत की पारदर्शी, भरोसेमंद और न्यायसंगत नियामक व्यवस्था की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है.”

मुख्य उद्देश्य है व्यवसायों और नागरिकों पर अनुपालन का बोझ घटाना, ताकि छोटे अपराधों के लिए जेल जाने का डर खत्म हो. सरकार का कहना है कि ऐसे प्रावधान विकास और व्यक्तिगत आत्मविश्वास के रास्ते में बड़ी रुकावट हैं. इनकी जगह जुर्माने का प्रावधान न्यायालयों पर बोझ भी घटाएगा.

प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) की विज्ञप्ति के अनुसार, यह बिल 10 मंत्रालयों/विभागों द्वारा प्रशासित 16 केंद्रीय कानूनों को कवर करता है. कुल 355 प्रावधानों में संशोधन प्रस्तावित हैं—288 प्रावधानों को इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस बढ़ाने के लिए अपराधमुक्त किया जाएगा और 67 प्रावधानों में इज़ ऑफ लिविंग को आसान बनाने के लिए संशोधन किया जाएगा.

अगर यह बिल पास हो जाता है, तो यह भारतीयों के लिए रोज़मर्रा के जीवन में कानून से निपटने का तरीका बदल देगा, रोज़मर्रा की गलतियों से ‘अपराधी’ का टैग हटाकर उन्हें जुर्माने के ज़रिए जवाबदेह बनाया जाएगा.


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दिल्ली नगरपालिका अधिनियम, 1957

शायद सबसे दिलचस्प बदलाव इसी कानून में हुए हैं, जिसमें स्ट्रीट लाइट को नुकसान पहुंचाने से लेकर सार्वजनिक जगहों पर कपड़े धोने तक सब शामिल था.

अब बिल के तहत कई धाराएं हटाई गई हैं और कई अपराधों को सिर्फ “उल्लंघन” मानते हुए तय जुर्माने का प्रावधान किया गया है. जैसे—सार्वजनिक जगह पर जानवर बांधना या वहीं दूध निकालना, जो पहले दंडनीय था, अब उस पर 1,000 रुपये का जुर्माना और उल्लंघन जारी रहने पर रोज़ाना 50 रुपये का अतिरिक्त जुर्माना लगेगा.

पहले किसी परिसर में शौचालय और मूत्रालय न होना, उनकी सफाई या मरम्मत न करना, या उचित स्वच्छता व्यवस्था न करना छोटे अपराध माने जाते थे और उस पर जुर्माना या केस तक हो सकता था, लेकिन 2025 के बिल में इन्हें “पहली बार चेतावनी, दोबारा करने पर जुर्माना” की व्यवस्था में डाल दिया गया है.

गंदगी को सड़कों पर बहाना या 24 घंटे से ज़्यादा कूड़ा रखना अब सीधे जुर्माने की श्रेणी में आ गया है. इसी तरह, कपड़े या बिस्तर ऐसे स्थानों पर धोना जिन्हें आयुक्त ने अधिसूचित न किया हो, उस पर अब 50 रुपये का जुर्माना लगेगा. खतरनाक कुत्तों को बिना मुंहपट्टे के रखने पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगेगा और बिना लाइसेंस सामान बेचने (हॉकिन्ग) पर 200 रुपये का जुर्माना लगेगा.

स्ट्रीट लाइट, खंभे या लैम्प को नुकसान पहुंचाना, जो पहले अपराध था, अब नागरिक उल्लंघन माना जाएगा. पहली बार पर चेतावनी या सुधार नोटिस मिलेगा, उसके बाद 500–1,000 रुपये तक का जुर्माना लगेगा.

इसी तरह, ज्वलनशील सामान रखने वाली इमारतों के पास बिना ढका हुआ दीपक जलाना जैसी फायर-सेफ़्टी से जुड़ी गड़बड़ियां अब जुर्माने योग्य उल्लंघन होंगी.

संक्रमित व्यक्ति द्वारा खाना बनाना/बेचना या कपड़े धोना और बंद जगह में लाशों को दफनाना या जलाना—इन पर 50 रुपये का जुर्माना होगा. तय रास्तों के विरुद्ध लाश हटाने पर 25 रुपये का जुर्माना लगेगा.

महत्वपूर्ण बात यह है कि अब इस अधिनियम में पुलिस की गिरफ्तारी की शक्ति सीमित कर दी गई है—यानी गिरफ्तारी तभी होगी जब किसी अधिकृत अधिकारी की शिकायत होगी.

कई मामलों में जैसे 24 घंटे से ज़्यादा कूड़ा रखना, गंदगी न हटाना या बिना अनुमति के कपड़े धोना, इन पर पहली बार सिर्फ चेतावनी मिलेगी, सज़ा या जुर्माना नहीं.

साथ ही, अपील की व्यवस्था भी जोड़ी गई है—यानी नगर निगम अधिकारियों द्वारा लगाए गए जुर्माने को बिना कोर्ट गए चुनौती दी जा सकेगी.

मोटर व्हीकल्स एक्ट, 1988

भारत में सड़क पर चलने वाले लोगों के लिए इस संशोधन के बाद बड़े बदलाव दिखेंगे. पहले जिन कई अपराधों को ‘जुर्माने से दंडनीय’ माना जाता था, उन्हें अब ‘पेनल्टी योग्य’ कर दिया गया है.

बिना रजिस्ट्रेशन गाड़ी चलाना, तय संख्या से ज़्यादा यात्री ले जाना या सीट बेल्ट न पहनना, अब इन पर आपराधिक जुर्माने की जगह पेनल्टी लगेगी. साइलेंस ज़ोन में बेवजह हॉर्न बजाने पर पहले चेतावनी दी जाएगी और बाद में पेनल्टी लगाई जाएगी.

इसके अलावा, इमरजेंसी वाहनों को रास्ता न देने पर, जहां पहले छह महीने की जेल और/या 10,000 रुपये का जुर्माना हो सकता था, अब पहली गलती पर सिर्फ पेनल्टी लगेगी. बार-बार नियम तोड़ने पर ही जेल की सज़ा का प्रावधान रहेगा.

लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट, 2009

यह कानून वज़न और नाप-तौल से जुड़े नियमों को नियंत्रित करता है. इसमें छोटे-छोटे अपराध शामिल हैं जैसे गैर-मानक वज़न का इस्तेमाल करना, गलत लेबल वाले सामान बेचना या ज़रूरी दस्तावेज़ न दिखाना.

2025 के बिल के तहत, अब पहली बार गलती करने पर ‘सुधार नोटिस’ जारी होगा. बार-बार गलती करने वालों पर हर बार बढ़ता हुआ जुर्माना लगेगा, जो अधिकतम सीमा तक पहुंच सकता है. कई मामलों में जेल की सज़ा हटा दी गई है.

रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट, 1934

पुराने आरबीआई एक्ट में जानकारी न देना, दस्तावेज़ न दिखाना या सवालों को नज़रअंदाज़ करना, इन सब पर जुर्माना और लगातार उल्लंघन पर अतिरिक्त जुर्माने का प्रावधान था.

2025 के बिल में कई ‘पेनल्टी’ वाले उप-धाराओं को हटा दिया गया है और अब रिज़र्व बैंक को अधिकार होगा कि वह प्रति अपराध एक लाख रुपये तक का प्रशासनिक दंड लगाए. लगातार गलती करने पर अतिरिक्त पेनल्टी भी लगेगी.

ऑडिटर्स के लिए भी बदलाव किए गए हैं. पहले आरबीआई के निर्देशों का पालन न करने पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता था. अब इन प्रावधानों को हटा दिया गया है, जिससे ऐसे उल्लंघनों पर आपराधिक कार्रवाई की जगह हल्का, गैर-आपराधिक व्यवहार अपनाया जाएगा.

सेंट्रल सिल्क बोर्ड एक्ट, 1948

पहले सिल्क बोर्ड के अफसर को रोकने जैसी गड़बड़ियों पर एक साल तक की जेल या जुर्माना हो सकता था. अब पहली बार गलती करने पर सिर्फ चेतावनी मिलेगी.

बार-बार गलती करने पर 25,000 से एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा. जेल का प्रावधान हटा दिया गया है.

टी एक्ट, 1953

पहले रिटर्न दाखिल न करने या गलत जानकारी देने पर जुर्माना होता था. नए बिल में पहली बार गलती करने पर चेतावनी दी जाएगी.

दोबारा गलती करने पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा.

अप्रेंटिसेज एक्ट, 1961

पहले प्रशिक्षुओं (अप्रेंटिस) को काम पर न रखने या ज़रूरी जानकारी न देने पर जुर्माना या जेल हो सकती थी. 2025 का बिल इसे तीन हिस्सों में बांटता है: पहली गलती पर सलाह/मार्गदर्शन, दूसरी बार पर चेतावनी या फटकार और बार-बार गलती पर मौद्रिक जुर्माना.

टेक्सटाइल्स कमिटी एक्ट, 1963

पहले टेक्सटाइल्स के निर्यात या बिक्री पर रोक जैसे आदेश तोड़ने पर मुकदमा और जेल हो सकती थी. अब पहली बार गलती करने पर सिर्फ चेतावनी मिलेगी, जबकि बार-बार गलती पर 25 लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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