चिशोती (जम्मू कश्मीर), 18 अगस्त (भाषा) जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ में बादल फटने से प्रभावित सुदूरवर्ती गांव में मलबे से दो और लोगों के शव बरामद किए गए, जिससे प्राकृतिक आपदा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 63 हो गई है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि भारी बारिश और दुर्गम इलाकों में बचाव दल ने लापता लोगों का पता लगाने के लिए सोमवार को भी बड़े पैमाने पर तलाश अभियान जारी रखा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
रेनकोट पहने बचाव दल के कर्मी कई स्थानों पर खासकर लंगर (सामुदायिक रसोई) स्थल के पास भारी बारिश के बावजूद काम करते देखे गए। बचाव दल जेसीबी मशीन, श्वान दस्ते और अन्य मशीनों का उपयोग करके मलबे को हटाते दिखे।
अधिकारियों ने बताया कि आज दोपहर दो शव बरामद किये गये, जिनमें से एक महिला का है।
उन्होंने बताया कि महिला का शव कुकुंदरा गांव के पास एक घाटी में मिला, जबकि दूसरा शव एक मंदिर के पास से बरामद किया गया।
मचैल माता मंदिर मार्ग पर चिशोती गांव में 14 अगस्त को बादल फटने से 63 लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के तीन कर्मी और एक विशेष पुलिस अधिकारी शामिल हैं।
अधिकारियों ने बताया कि कुल 167 लोगों को बचा लिया गया है, जबकि आज सुबह सूची में नए सिरे से किए गए संशोधन के बाद लापता लोगों की संख्या घटकर 39 रह गई है।
सेना की जम्मू स्थित ‘व्हाइट नाइट कोर’ ने ‘एक्स’ पर एक ‘पोस्ट’ में कहा कि बल की पांच राहत टुकड़ियां बचाव एवं राहत कार्यों में लगी हुई हैं तथा अतिरिक्त चिकित्सा टीम को तैनात करके प्रयासों को और बढ़ा दिया गया है।
इसने कहा, ‘‘प्रतिकूल भूभाग और मौसम के बावजूद चिशोती नाला पर पुल का निर्माण 17 अगस्त को पूरा हो गया, जिससे राहत एवं बचाव अभियान में तेजी आई। अभियान को मजबूत करने के लिए अतिरिक्त उपकरण भेजे जा रहे हैं और अभियान की निगरानी के लिए सेना के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद हैं।’’
मौके पर राहत एवं बचाव अभियान में तेजी लाने के लिए प्रशासन के साथ तालमेल में काम किया जा रहा है।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सोमवार को घोषणा की कि अगले आठ दिनों तक चिशोती में हर दिन भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के एक-एक वरिष्ठ अधिकारी तैनात किए जाएंगे। कुल मिलाकर 10 वरिष्ठ अधिकारी होंगे।
सरकार के आयुक्त सचिव एम. राजू द्वारा जारी आदेश में कहा गया, ‘‘हाल ही में बादल फटने की दुखद घटना के बाद राहत एवं बचाव कार्यों की निगरानी के लिए, रोस्टर के अनुसार अधिकारियों को किश्तवाड़ जिले के चिशोती में तैनात किया जाएगा।’’
अधिकारियों को अगले आठ दिनों के लिए गांव में तैनात किया जाएगा, जिसमें एक आईएएस और एक आईपीएस अधिकारी दो-दो दिन तक कार्यों की देखरेख करेंगे।
दल फटने से आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई, एक अस्थायी बाजार, वार्षिक मचैल माता यात्रा के लिए लंगर स्थल, 16 मकान और सरकारी इमारतें, तीन मंदिर, चार पनचक्की, 30 मीटर लंबा एक पुल और एक दर्जन से अधिक वाहन क्षतिग्रस्त हो गए।
सीआईएसएफ के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘आज अभियान का पांचवां दिन है और लापता लोगों के शव बरामद करने के लिए संयुक्त प्रयास जारी हैं। बारिश के कारण मौसम चुनौतीपूर्ण है। हमें आज के लिए (भारी बारिश की) चेतावनी भी दी गई है, लेकिन फिर भी हम अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं।’’
पुलिस, सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ), सीआईएसएफ, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ), नागरिक प्रशासन और स्थानीय स्वयंसेवकों की संयुक्त टीम बचाव कार्यों में लगी हुई हैं।
सेना के इंजीनियरों ने रविवार को चिशोती नाले पर एक ‘बेली ब्रिज’ बनाया, जिससे गांव और मचैल माता मंदिर तक आवश्यक संपर्क स्थापित हो गया। अधिकारियों ने बताया कि सेना ने बचाव और राहत अभियान को तेज करने के प्रयासों के तहत कुछ ‘ऑल-टेरेन व्हीकल’ भी शामिल किए हैं।
‘बेली ब्रिज’ एक प्रकार का मॉड्यूलर ब्रिज होता है जिसके घटक/पुर्जे पहले से निर्मित होते हैं।
बचावकर्मियों ने पिछले दो दिनों में खोज अभियान में बाधक बन रहे विशालकाय पत्थरों को तोड़ने के लिए लगभग आधा दर्जन नियंत्रित विस्फोट किए।
वार्षिक मचैल माता यात्रा रविवार को लगातार पांचवें दिन स्थगित रही। यह यात्रा 25 जुलाई से शुरू होकर पांच सितंबर को समाप्त होने वाली थी।
9,500 फुट की ऊंचाई पर स्थित मंदिर तक पहुंचने के लिए 8.5 किलोमीटर का पैदल मार्ग चिशोती से शुरू होता है। चिशोती किश्तवाड़ शहर से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
बचावकर्मी 12 से अधिक जेसीबी मशीन और अन्य भारी उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं, जबकि एनडीआरएफ बचाव अभियान में तेजी लाने के लिए श्वान दस्ते सहित अपने अन्य संसाधन की मदद ले रहा है।
भाषा प्रीति प्रशांत
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