ऋषिकेश, 18 अगस्त (भाषा) केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पिथौरागढ़ वन प्रभाग के मुनस्यारी रेंज में कथित रूप से नियमों का उल्लंघन कर बनाई गईं पक्की संरचनाओं के मामले में कड़ा संज्ञान लेते हुए उत्तराखंड सरकार से जांच रिपोर्ट तथा इस पर की गई कार्रवाई का ब्योरा मांगा है।
मंत्रालय के देहरादून स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में सहायक महानिरीक्षक (वन) नीलिमा शाह ने इस संबंध में उत्तराखंड सरकार के प्रमुख वन सचिव को पत्र लिखा है।
पत्र में शाह ने उत्तराखंड के मुख्य वन संरक्षक (कार्ययोजना) संजीव चतुर्वेदी द्वारा उनके कार्यालय को इस संबंध में दी गई जानकारी के हवाले से कहा कि पिथौरागढ़ वन प्रभाग की पुनरीक्षणाधीन कार्ययोजना की अवधि के दौरान खलिया आरक्षित वन कक्ष संख्या तीन में वन विभाग द्वारा बिना किसी पूर्व अनुमति के पक्की संरचनाओं का निर्माण किया गया जो वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 की धारा दो का उल्लंघन है।
शाह ने राज्य सरकार से वन अधिनियम के उल्लंघन की विस्तृत जांच रिपोर्ट तथा उल्लंघन करने वाले समस्त अधिकारियों के नाम व पद की जानकारी मांगी है।
उन्होंने यह जानकारी वन संरक्षण अधिनियम 1980 की धारा तीन ए व तीन बी के अंतर्गत कार्यवाही करने के लिए मांगी है। इन धाराओं में आरोपी लोगों के विरुद्ध न्यायिक कार्यवाही का प्रावधान वन संरक्षण अधिनियम में है।
शाह ने राज्य सरकार से उल्लंघन करने वाले अधिकारी पर उसके स्तर पर की गई कार्यवाही से भी अवगत कराने को कहा है।
इसी प्रकरण में उत्तराखंड सरकार 18 जुलाई को पिथौरागढ़ वन प्रभाग के तत्कालीन प्रभागीय वन अधिकारी और वर्तमान में वन संरक्षक, पश्चिमी वृत्त हल्द्वानी के पद पर तैनात विनय भार्गव को ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी कर चुकी है जिसमें उनसे 15 दिन में जबाब मांगा गया था।
भार्गव पर आरोप है कि उन्होंने बिना पूर्व स्वीकृति और अनुमोदन के 2019 में मुनस्यारी रेंज के खलिया आरक्षित वन कक्ष तीन में चार पक्की संरचनाओं-डोरमैट्री, वन कुटीर उत्पाद विक्रय केंद्र, 10 वीआईपी ईको हट तथा ‘ग्रोथ सेंटर’ का निर्माण कराया।
भार्गव को जारी नोटिस में उन पर एक करोड़ 34 लाख 46 हजार रुपये के व्यय से बनी संरचनाओं के निर्माण में वित्तीय अनियमितताओं का भी आरोप लगाते हुए उनसे जवाब तलब किया गया है। निर्माण सामग्री की खरीद कथित तौर पर बिना निविदा प्रक्रिया और सक्षम स्तर के अधिकारी की स्वीकृति के करने, निर्माण सामग्री की आपूर्ति के लिए एक निजी संस्था का चयन करने और उसे एकमुश्त भुगतान किए जाने पर भी सवाल उठाते हुए उनसे जवाब मांगा गया है।
भाषा सं दीप्ति शोभना नेत्रपाल
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