नई दिल्ली: करीब 25 साल पहले, मुंबई के एक प्रोडक्शन हाउस में ऑडिशन देने एक लंबी, दुबली-पतली 20 साल के आसपाल की एक युवती आई थीं. उनकी को-आर्टिस्ट अपरा मेहता का ध्यान उनकी तरफ सिर्फ “खूबसूरत शक्ल” से नहीं, बल्कि उनके हाथ में एक किताब देखकर भी तुरंत खिंच गया.
सालों बाद, जब स्मृति ईरानी ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ जैसे मशहूर धारावाहिक में तुलसी विरानी के किरदार से टीवी पर सनसनी बन गईं—जो अब फिर से शुरू हो गया है, तो अक्सर शूटिंग के बीच में भी उन्हें किताब हाथ में लिए देखा जाता था.
फिर आया 2014…टीवी स्टार से मानव संसाधन विकास (HRD) मंत्री बनने तक का स्मृति ईरानी का तेज़ सफर—जिस मंत्रालय का नाम बाद में शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया, काफी विवादों में घिर गया. उन्हें देश की शिक्षा नीति संभालने के लिए “अयोग्य” बताकर कड़ी आलोचना हुई.
राइट-विंग एक्टिविस्ट मधु किश्वर ने एक्स पर लिखा था, “सिर्फ 12वीं पास स्मृति ईरानी, फैशन मॉडल से टीवी बहू बन गईं. क्या यह भारत की शिक्षा मंत्री बनने की योग्यता है?”
इसके बाद आलोचनाओं की बौछार होने लगी. जल्द ही, विरोधियों ने आरोप लगाया कि 2004 और 2014 लोकसभा चुनावों में उन्होंने अपने हलफनामों में शिक्षा संबंधी विरोधाभासी जानकारी दी.
38 साल की ईरानी ने पलटवार करते हुए कहा कि उनके पास येल यूनिवर्सिटी की डिग्री है, जिसका बाद में आलोचकों ने मज़ाक उड़ाया.
दस साल बाद, 2024 लोकसभा चुनाव हारने के बाद राजनीतिक सुर्खियों से दूर, ईरानी अब एक शांत लेकिन व्यस्त जीवन जी रही हैं, कुछ-कुछ एक अकादमिक की तरह. उनका कहना है कि उनका कैलेंडर शैक्षणिक कार्यक्रमों से भरा रहता है.
स्मृति ईरानी इन दिनों यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले में सोशल इम्पैक्ट ऑफ फिनटेक (Fintech) पर कोर्स पढ़ा रही हैं. साथ ही वे ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ आर्डेन से समाजशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स कर रही हैं, जिसमें उनका शोध स्वास्थ्य निगरानी (health surveillance) पर है.
वे मेरिडियन इंटरनेशनल सेंटर और अटलांटिक काउंसिल के साथ भारत-अमेरिका संबंधों पर काम कर रही हैं. इस महीने के अंत में वे नॉर्वे भी जाएंगी, जहां नॉर्डिक एनर्जी रिसर्च द्वारा ऊर्जा क्षेत्र में लैंगिक समानता पर आयोजित सम्मेलन में बोलेंगी.
जब वे ‘अपने नाटक क्योंकि’ की शूटिंग में नहीं होतीं, तब शोध-पत्र लिखती हैं. इस समय वे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को जनसुलभ बनाने पर एक शोध-पत्र तैयार कर रही हैं.
जब वे खुद शोध-पत्र नहीं लिख रही होतीं, तो युवा शोधकर्ताओं को गेट्स फाउंडेशन, भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) जैसे संस्थानों से जोड़ती हैं ताकि उनके शोध को फंड मिल सके. इनमें से एक अध्ययन महिलाओं के स्वास्थ्य पर गर्मी के असर को लेकर है.
राजनीति, शिक्षा और मनोरंजन
इस साल मार्च में जब स्मृति ईरानी ने ओब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) द्वारा आयोजित रायसीना डायलॉग्स में भाषण दिया, तो श्रोताओं में बैठे एक व्यक्ति को याद है कि उन्होंने रिसर्च पेपर और अध्ययनों का हवाला एक अनुभवी शोधकर्ता की तरह सहजता से दिया.
सोचा जा सकता है कि टीवी शो की शूटिंग और इतने शैक्षणिक कार्यक्रमों के बीच उनके पास और किसी चीज़ का वक्त नहीं होगा, लेकिन वे मंडारिन (चीनी भाषा) भी सीख रही हैं.
और राजनीति तो है ही. एक शुक्रवार की दोपहर, उनसे मिलने बीजेपी कार्यकर्ता और उत्तर प्रदेश के एक सांसद आते हैं, जो उन्हें “दीदी” कहकर बुलाते हैं.
स्मृति ईरानी चंद सेकंड में गूढ़ शोध विषयों पर चर्चा से लेकर उत्तर प्रदेश की जटिल जातीय राजनीति पर स्थानीय नेताओं को सटीक राजनीतिक सलाह देने तक का सहज बदलाव कर लेती हैं. इस दौरान उन्हें पता होता है कि वे सामने वाले को प्रभावित कर रही हैं.
उनके साथ कैम्ब्रिज और हार्वर्ड में लेक्चर में मौजूद रहे बीजेपी के एक सदस्य ने कहा, “जब वे विदेशी विश्वविद्यालयों में लेक्चर देती हैं तो माहौल बिजली की तरह गूंज उठता है. वह ज़्यादातर वित्तीय समावेशन, राजनीति में महिलाओं की भूमिका जैसे मुद्दों पर बोलती हैं.”
आखिर कितने लोग हैं जो एक साथ राजनीति, मनोरंजन और शिक्षा में पैर जमाए हुए हैं? या फिर कितने अभिनेता ऐसे हैं जिन्होंने केंद्र में शिक्षा, सूचना और प्रसारण, महिला और बाल विकास, वस्त्र और अल्पसंख्यक मामलों जैसे मंत्रालय संभाले हों? या फिर गांधी परिवार के गढ़ अमेठी में 2019 में उसकी विरासत को चुनौती देकर जीत दर्ज की हो?
तब स्मृति ईरानी को “जाएंट स्लेयर” यानी दिग्गज को मात देने वाली नेता कहा गया, लेकिन पांच साल बाद, 2024 में वे गांधी परिवार के वफादार किशोरी लाल शर्मा से चुनाव हार गईं. इसके बाद से उन्होंने लगभग पूर्णकालिक रूप से शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखा है. हालांकि, पार्टी के दिए गए काम भी करती रहती हैं.
2003 में बीजेपी में शामिल होकर और जल्दी ही उस चुनिंदा नेताओं के समूह में जगह बनाकर, जिन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के आवास में सहज पहुंच थी, स्मृति ईरानी के लिए राजनीति को शिक्षा या मनोरंजन से अलग करना मुश्किल है.
वर्षों पहले उन्होंने कहा था कि कांग्रेस ने एक पूरा तंत्र खड़ा किया है, उनके पास अकादमिक, नर्तक, संगीतकार, कलाकार हैं जो उनके पक्ष में बोलते हैं, उन्होंने अपने चारों ओर एक रोमांस रच दिया है और यही वजह है कि उनकी विरासत अब भी कायम है.
क्या स्मृति ईरानी भी शिक्षा और अपने बहुप्रतीक्षित अभिनय वापसी के जरिए वैसी ही विरासत गढ़ना चाहती हैं? यह कहना मुश्किल है.
लेकिन क्योंकि के उनके को-आर्टिस्ट अमर उपाध्याय ने, उस समय को याद करते हुए जब उन्होंने स्मृति को विरोध प्रदर्शन करते, धक्का-मुक्की सहते और बीजेपी नेताओं के साथ गिरफ्तारी देते देखा, कहा, “एक वक्त पर मुझे एहसास हुआ कि तुलसी उनकी राजनीति के साथ नहीं थी. तुलसी ही उनकी राजनीति थी.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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