नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा स्नेहा देबनाथ एक हफ्ते से लापता थीं. उनके मोबाइल की लास्ट लोकेशन आखिरी बार सिग्नेचर ब्रिज के पास की थी, जिसे शहर का सुसाइड स्पॉट भी माना जाता है.
सिग्नेचर ब्रिज पर लगे 15 से ज़्यादा CCTV कैमरों में से एक भी काम नहीं करता है, जिसकी वजह से कई दिनों तक पुलिस को स्नेहा से जुड़ा कोई सुराग नहीं मिला. पुल के क्षेत्राधिकार (jurisdiction) को लेकर भी लोगों और यहां तक कि अधिकारियों के बीच भ्रम देखा गया, जहां कुछ लोगों को लगता है कि यह पुल चार थानों के तहत आता है, वहीं असल में यह केवल दो थानों के बीच बंटा है, लेकिन अधिकारियों के पास भी इस बात की सटीक जानकारी नहीं है कि पुल का कौन-सा हिस्सा किस थाने के तहत आता है.
19 साल की स्नेहा देबनाथ का शव आखिरकार रविवार को उत्तर दिल्ली में गीता कॉलोनी फ्लाईओवर के पास यमुना नदी से बरामद हुआ.
स्नेहा की तलाश में कई सर्च ऑपरेशन चलाए गए, जिनमें नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (NDRF) और लोकल पुलिस टीमों की मदद ली गई. ये ऑपरेशन यमुना नदी के उस हिस्से में चलाए गए जो निगम बोध घाट से लेकर नोएडा तक फैला हुआ है. पहला सर्च ऑपरेशन तिमारपुर पुलिस ने स्थानीय गोताखोरों की मदद से पुल के नीचे बहने वाली यमुना के हिस्से में चलाया गया था. इसके बाद बुधवार को महरौली पुलिस अधिकारियों और NDRF टीम ने मिलकर दूसरा सर्च ऑपरेशन चलाया.
हालांकि, अधिकारियों ने पुष्टि की कि रविवार को सर्च ऑपरेशन के दौरान स्नेहा का शव गीता कॉलोनी फ्लाईओवर के नीचे यमुना नदी में तैरता मिला, बाद में उनके परिवार के सदस्यों ने शव की शिनाख्त की.
स्नेहा देबनाथ की 24 साल की बहन बिपाशा देबनाथ ने कहा, “हम ये मान ही नहीं सकते कि सिग्नेचर ब्रिज जैसी हाई-रिस्क जगह, जिसे सुसाइड स्पॉट के रूप में जाना जाता है — वहां एक भी CCTV कैमरा काम नहीं कर रहा था.”
अब पूरे मामले को लेकर स्नेहा की एक रिश्तेदार ने कहा, “अब कुछ भी मायने नहीं रखता है.”
स्नेहा के साकेत स्थित घर पर मौजूद उनकी एक दोस्त ने बताया कि उनके कमरे से एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें उन्होंने अपनी जान देने की बात लिखी है.
नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने कहा, “अब न तो जांच में देरी मायने रखती है, न ही छह दिन तक चली तलाश — हर कोई बस सुसाइड नोट की बात कर रहा है, कोई ये नहीं पूछ रहा कि ब्रिज पर सुरक्षा के इंतज़ाम क्यों नहीं थे.”
महरौली थाना के एक सूत्र ने भी सुसाइड नोट मिलने की बात स्वीकार की और कहा कि पुलिस अभी भी मामले की हर संभव तरीके से जांच कर रही है.
स्नेहा की बड़ी बहन बिपाशा और एक दूसरी रिश्तेदार ने पहले दिप्रिंट को बताया था कि स्नेहा कभी भी डिप्रेस्ड नहीं थीं.
बिपाशा ने कहा कि “वह बहुत इंट्रोवर्ट, लेकिन ज़िंदादिल लड़की थीं. वह शाम को मेरे साथ शॉपिंग पर जाने वालीं थीं. वह खुदकुशी नहीं कर सकती — किसी ने उसे बेहकाया है.
उन्होंने कहा, “हम अपनी लापता बहन के बारे में कई दिनों तक कोई सुराग नहीं ढूंढ पाए क्योंकि अकेला ठोस सबूत, यानी वीडियो फुटेज मौजूद ही नहीं था.”
स्नेहा देबनाथ के लापता होने, छह दिनों तक कोई सुराग न मिलने, CCTV कैमरों के काम न करने और पुलिस के बीच क्षेत्राधिकार को लेकर कन्फ्यूजन — क्योंकि यह पुल तिमारपुर और उस्मानपुर पुलिस थाना के तहत आता है — ये सब दिल्ली के सबसे आधुनिक शहर के इन्फ्रास्ट्रक्चर, सिग्नेचर ब्रिज की हालत को लेकर चिंता बढ़ाते हैं.
इस पुल का आधिकारिक तौर पर 4 नवंबर 2018 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उद्घाटन किया था. इसे भारत का पहला असिमेट्रिकल केबल-स्टेइड ब्रिज माना जाता है, जिसका डिजाइन ‘नमस्ते’ जैसा दिखता है, जो भारतीय संस्कृति और आधुनिक इंजीनियरिंग का प्रतीक है. खूबसूरत पहचान होने के अलावा, इस पुल ने केंद्रीय दिल्ली और पूर्वोत्तर दिल्ली के बीच की दूरी घटा दी है, जो पहले 45 मिनट से ज़्यादा थी, अब लगभग 10 मिनट है.
पुल का जो हिस्सा तिमारपुर थाना क्षेत्र में आता है — खासकर वह इलाका जहां से यमुना बहती है — वह अब अक्सर आत्महत्याओं के लिए जाना जाने लगा है. दूसरी ओर, उस्मानपुर थाना क्षेत्र के तहत आने वाले हिस्से में चैन स्नैचिंग और छोटे-मोटे चोरी की घटनाएं आम हो गई हैं. इस पुल पर हादसे इसके उद्घाटन के कुछ ही समय बाद शुरू हो गए थे — बाइक और गाड़ी चलाने वाले लोग रैम्प के मोड़ों पर नियंत्रण खो बैठते थे. पुल की पहचान और लोकप्रियता ने इसे एक घूमने की जगह बना दिया, लेकिन इसके बावजूद यहां एक भी काम कर रहा CCTV कैमरा नहीं है — जो कि सुरक्षा व्यवस्था में एक बड़ी कमी है.
उस्मानपुर थाने के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने कई बार DCP कार्यालय को कैमरों के काम न करने को लेकर चिट्ठियां लिखी हैं, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला.”
“CCTV कैमरों का काम न करना न सिर्फ अपराधों को रोकने में बाधा बनता है, बल्कि कई मामलों में जांच में भी देर होती है”
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लापता स्नेहा की कहानी
स्नेहा देबनाथ, जिनका परिवार त्रिपुरा से है, दक्षिण दिल्ली के साकेत स्थित पर्यावरण कॉम्प्लेक्स में रहता है. वे दिल्ली यूनिवर्सिटी के आत्मा राम सनातन धर्म कॉलेज में मैथ्स में ग्रेजुएशन कर रही थीं. स्नेहा 7 जुलाई को लापता हो गई थीं. उस सोमवार की सुबह उन्होंने आखिरी बार अपने परिवार से बात की थी, जब वह सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशन से एक दोस्त से मिलकर लौट रही थीं.
सुबह करीब 6 बजे उन्होंने घर पर कॉल किया, लेकिन उसके बाद उनका फोन बंद हो गया. परिवार कई घंटों तक जब उनसे संपर्क नहीं कर पाया और उनके सभी दोस्तों से भी कोई जानकारी नहीं मिली, तो 9 जुलाई को गुमशुदगी की एक शिकायत दर्ज की गई. चूंकि, परिवार साकेत में रहता है, इसलिए एफआईआर महरौली थाने में दर्ज की गई.
महरौली थाने के एक वरिष्ठ जांच अधिकारी ने बताया, “एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस ने ब्रिज पर तलाश शुरू की और तिमारपुर थाने से संपर्क किया, लेकिन जांच में देरी इसलिए हुई क्योंकि पूरे ब्रिज पर एक भी CCTV कैमरा काम नहीं कर रहा था.”
अधिकारी ने आगे बताया कि जांच में एक बड़ा सुराग तब मिला जब पुलिस को मजनू का टीला के पास लगे एक CCTV कैमरे की फुटेज मिली, जिसमें स्नेहा की कैब ब्रिज की ओर जाती हुई दिखाई दी. कैब ड्राइवर का पता लगाने और पूछताछ में पुष्टि हुई कि उसने स्नेहा को सिग्नेचर ब्रिज पर छोड़ा था.
हालांकि, ब्रिज पर एक भी CCTV कैमरा काम नहीं कर रहा था, इसलिए यह पता नहीं चल सका कि स्नेहा के वहां पहुंचने के बाद आखिर क्या हुआ था. स्नेहा की बहन लगातार जांच टीम के साथ हर जगह जाती रहीं और सुराग की तलाश में वज़ीराबाद और तिमारपुर थानों के चक्कर तक लगाए.
जानलेवा सिग्नेचर ब्रिज
दिल्ली की भागती-दौड़ती ज़िंदगी के बीच एक शाम अगर आप सिग्नेचर ब्रिज की ओर मुड़ें, तो वहां आपको एक अलग ही दुनिया दिखाई देगी. दिन ढलते ही और कभी-कभी आधी रात बीतने के बाद भी, यहां एक छोटी सी ‘मेले’ जैसी रौनक रहती है. लोहे की रेलिंग के पास खड़े होकर कुछ युवा दूर तक फैले शहर के नज़ारों को कैमरे में कैद कर रहे होते हैं—सेल्फियों के शौकीन इन चेहरों पर रौशनी ब्रिज की लाइट से झलकती है. वहीं, सड़क के किनारे लाइन में लगे आइसक्रीम, पानी और नींबू पानी वाले ठेले अपनी-अपनी पुकार में मशगूल रहते हैं.
मोटरसाइकिल पर आए लड़के कुछ पल रुकते हैं, मोबाइल से एक-दो तस्वीरें लेते हैं और फिर बाइक की गड़गड़ाहट के साथ आगे निकल जाते हैं. दूसरी ओर, परिवार कार से उतरते हैं—बच्चे चहकते हैं, बुज़ुर्ग कुछ पल शांत बैठना पसंद करते हैं और हर किसी के हाथ में जल्द ही आइसक्रीम या कुल्फी दिखती है.
कभी-कभी यह हलचल देर रात 2 बजे तक भी जारी रहती है—शहर के इस कोने में जैसे नींद आने का वक्त ही नहीं होता.

26 साल के आइसक्रीम विक्रेता किशन मोहन ने बताया, “यह सिर्फ दिन का नज़ारा नहीं है. लोग यहां रात को भी आते हैं, अक्सर 1 या 2 बजे तक, शहर का रात का नज़ारा देखने और आइसक्रीम खाने.”
उन्होंने आगे कहा, “लेकिन पहले यहां ज्यादा भीड़ आया करती थी.”
सिग्नेचर ब्रिज दिल्ली पर्यटन और परिवहन विकास निगम (DTTDC) द्वारा बनाया गया सबसे महत्वाकांक्षी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में से एक है, जिसकी लागत 1,519 करोड़ रुपये थी. यह भारत के सबसे लंबे पुलों में से एक है, जिसकी लंबाई 675 मीटर है, इसके साथ पश्चिम दिशा में 100 मीटर का एक्सटेंशन भी है. पुल के रास्तों सहित, पूरे प्रोजेक्ट की कुल लंबाई लगभग 6,000 मीटर है. कई बार रूकावट के बाद, पुल का निर्माण शुरू होने के 14 साल बाद आखिरकार जनता के लिए खोला गया.
पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था, “पुल के टॉप से लोग शहर का नज़ारा देख सकते हैं, जैसे पेरिस में एफिल टावर से दिखता है.”
शुरुआत में इस पुल पर रंग-बिरंगी रोशनी और अच्छी तरह से रख-रखाव वाली स्ट्रीट लाइटें थीं, लेकिन समय के साथ उनकी देखभाल कम होने लगी. सबसे पहले CCTV कैमरे बंद हो गए, फिर स्ट्रीट लाइटें जिन्हें अब तक ठीक नहीं किया गया.
40 साल के ऑटो रिक्शा चालक अर्जुन कुमार ने कहा, “ज़्यादातर लाइट्स धीरे-धीरे खराब हो गई हैं. कभी-कभी एक चालू होती है, कभी नहीं. अपने कई अन्य वादों की तरह, सरकार ने सिग्नेचर ब्रिज तो बना दिया, लेकिन इसके देखभाल के बारे में भूल गई.”
पुल के आसपास और उसमें नियमित रूप से उस्मानपुर और तिमारपुर थानों के अधिकारी पेट्रोलिंग करते हैं. मुख्य मकसद पुल में कोई घटना होने से रोकना और कानून व्यवस्था बनाए रखना होता है.
तिमारपुर थाना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हर साल पुल पर तीन से चार आत्महत्या के प्रयास होते हैं.”
उन्होंने बताया कि पुलिस अधिकारी हमेशा नज़दीक तैनात रहते हैं और यमुना नदी में गोताखोर आपात स्थिति के लिए तैयार रहते हैं.
डीयू की स्टूडेंट प्रियंका रावत ने स्नेहा देबनाथ मामले का ज़िक्र करते हुए कहा, “यह बहुत निराशाजनक है — दिल्ली ने एक भविष्यवादी पुल बनाया, लेकिन यह भूल गई कि भविष्य में महिलाओं और छात्रों की सुरक्षा भी ज़रूरी है. अगर कोई लापता हो या अपहृत हो जाए, तो पकड़ने के लिए एक भी कैमरा नहीं है.”
दो महीने पहले, उस्मानपुर थाना ने पुल पर एक पुराने बंद कैमरे के साथ दो नए कैमरे लगाए. अधिकारी ने बताया कि “बिजली की समस्या की वजह से ये कभी-कभी ठीक से काम नहीं करते.”
तिमारपुर थाना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि उनके हिस्से में लगे चार CCTV कैमरे काम कर रहे हैं और नियमित निगरानी की जाती है, लेकिन महरौली थाना के एक वरिष्ठ जांच अधिकारी ने इस बात का खंडन किया.
जांच अधिकारी ने कहा, “हमने अन्य थानों के साथ समन्वय किया, लेकिन पुल पर लगे कोई भी CCTV कैमरे काम नहीं कर रहे हैं.”
घटनाओं का इतिहास
सिग्नेचर ब्रिज के पूरे किनारे लगी लोहे की रेलिंग की कम ऊंचाई के कारण यमुना नदी में कूदना बेहद आसान हो जाता है.
तिमारपुर पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर पंकज तोमर ने कहा, “हर साल, दो से तीन — कभी-कभी इससे भी ज्यादा — आत्महत्या के प्रयास इस पुल से होते हैं. प्राइवेट डाइवर्स और तिमारपुर पुलिस अधिकारियों की मदद से कई जानें बचाई गई हैं, जो चौबीसों घंटे सिग्नेचर ब्रिज पर तैनात रहते हैं.”

अप्रैल में आत्महत्या की कोशिश करने वाले 30 साल के व्यक्ति को पुलिस टीम ने बचा लिया था.
साल 2023 में 17 साल की लड़की जो सिग्नेचर ब्रिज से यमुना नदी में कूदी थीं, उन्हें पुलिसकर्मियों और स्थानीय गोताखोरों की टीम ने 45 मिनट की लंबी खोज के बाद बचाया था.
2018 में दो मेडिकल स्टूडेंट्स बाइक पर नियंत्रण खो बैठें, रेलिंग से टकराकर करीब 30 फीट नीचे सड़क पर गिर गए, जिससे उनकी मौत हो गई थी.
पेट्रोलिंग पर तैनात एक अधिकारी ने कहा, “आत्महत्या रोकने के लिए सही सुरक्षा उपाय लागू करने की बजाय सुंदरता पर ज़्यादा ध्यान दिया जाता है.”
उन्होंने बताया कि खराब इंफ्रास्ट्रक्चर और खराब CCTV कैमरों को लेकर कई बार वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत की गई, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
किसकी जिम्मेदारी
पुल की खूबसूरती, पर्यटक आकर्षण और वास्तुकला की अद्भुतता उस वक्त सवालों के घेरे में आ गई जब इसके बेसिक निगरानी और सुरक्षा इंतजामों की कमी सामने आई.
रावत ने सवाल उठाया, “सरकार क्यों रैलिंग की ऊंचाई नहीं बढ़ाती या कूदने से रोकने वाली जाल या सुरक्षा नेट क्यों नहीं लगाती?”
2024 में दिल्ली सरकार ने पूरे शहर में CCTV कैमरे लगाने के लिए 60 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया था.
जहां तिमारपुर पुलिस का कहना है कि पुल के CCTV की देखभाल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (PWD) की जिम्मेदारी है, वहीं PWD के नॉर्थ ईस्ट रोड एंड बिल्डिंग डिवीजन के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर दिनेश कुमार जायसवाल ने कहा कि पुल से संबंधित उनका कोई ठेका या जिम्मेदारी नहीं है.
जायसवाल ने कहा, “सिग्नेचर ब्रिज का कोई भी काम या रखरखाव दिल्ली पुलिस और दिल्ली टूरिज्म एंड ट्रांसपोर्ट डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (DTTDC) संभालते हैं, न कि PWD.”
अधिकारियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा, लेकिन स्नेहा के परिवार के लिए हर बीतता दिन सिर्फ बेचैनी और दुख लेकर आया. उनका कहना है कि जांच की रफ्तार जिस तरह धीमी रही, वह सिर्फ नौकरशाही की अनदेखी और सिस्टम की खामियों को उजागर करती है.
बिपाशा ने कहा, “यह केवल स्नेहा का मामला नहीं है; यह हर उस छात्र और नागरिक की सुरक्षा का सवाल है जो इस इलाके में आता है.”
उन्होंने कहा, “हम बस चाहते हैं कि कोई ज़िम्मेदारी ले. दिल्ली पुलिस और सरकार से हम जवाब चाहते हैं — और ये कि अब और कोई परिवार इस तरह की लापरवाही का शिकार न हो, इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएं.”
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