मुजफ्फरनगर, 11 जुलाई (भाषा) कभी मसालों की सुगंध और प्लेटों की खनक के लिए पहचाने जाने वाले बाबा बालक नाथ ढाबे से चहल-पहल गायब है। इसके मालिक साधना और धीरज पंवार मायूसी के साथ यहां खामोश नजर आते हैं।
पुरकाज़ी थाना क्षेत्र में फलोंदा बाइपास के पास स्थित साधना और धीरज का यह ढाबा यात्रियों के बीच बेहद लोकप्रिय था और अब यह कांवड़ियों के एक समूह द्वारा की गई तोड़फोड़ का गवाह है।
आठ जुलाई को कांवड़ियों का यह समूह उनके ढाबे में आया। उन्होंने प्रति प्लेट ₹150 की दर से 10 प्लेट खाना खाया, लेकिन जब भोजन में कुछ प्याज़ के टुकड़े दिखाई दिए, तो उन्होंने कथित रूप से बर्बरता पर उतरते हुए ढाबे में तोड़फोड़ मचाई।
उस बर्बर घटना को याद करते हुए साधना ने शुक्रवार को पीटीआई-भाषा से कहा, ”उन्होंने (खाने का) एक रुपया भी नहीं दिया, बल्कि ढाबे में तोड़फोड़ कर हमारा हजारों का नुकसान कर दिया। ”
गुस्साए कांवड़ियों ने ढाबे का फर्नीचर तहस-नहस कर दिया, रसोई में भारी तोड़फोड़ की और यहां तक कि सीलिंग फैन तक उखाड़कर क्षतिग्रस्त कर दिए।
साधना ने आरोप लगाया कि कांवड़ियों ने नकदी लूट ली और फ्रिज में रखी कोल्ड ड्रिंक भी निकाल लीं।
ढाबे में यह तोफोड़ इस दंपति के लिए भारी आर्थिक चपत साबित हुई, जो पहले से ही वित्तीय तंगी से जूझ रहा था।
साधना ने कहा, “इस घटना के बाद हमारे ढाबे में आने वाले ग्राहकों की संख्या 70 प्रतिशत तक घट गई है। हिंसा की वजह से हमारे नियमित ग्राहक दूर चले गए है।”
ढाबा मालिक के हालात और भी बदतर हो गए हैं, क्योंकि एक घायल कर्मी के अलावा अन्य कर्मचारी काम छोड़कर चले गए हैं।
ढाबे का एक कर्मचारी पिंटू कांवड़ियों के कोप को झेलने वाला सबसे पहला व्यक्ति था, क्योंकि उसने तोड़फोड़ को रोकने की कोशिश की। साधना ने कहा, ”उसे बेरहमी से पीटा गया और उसकी टांग टूट गई है।”
साधना ने बताया कि चिकित्सकों ने पिंटू को तीन महीने आराम करने को कहा है और इस दौरान हम (साधना और उनके पति) उसकी देखभाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
पंवार दंपति, जिन्होंने अपनी उम्मीदें और सीमित संसाधन इस ढाबे में लगा दिए थे, अब गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, क्योंकि उनकी आजीविका की बुनियाद ही हिल गई है।
फिलहाल इस तोड़फोड़ को अंजाम देने वाले लोगों का कुछ अता-पता नहीं है, लेकिन एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि मामले में जांच की जा रही है।
भाषा सं राजेंद्र जितेंद्र पवनेश
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