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गुरूवार, 3 जुलाई, 2025
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गुजरात उच्च न्यायालय ने आसाराम की अस्थायी जमानत की मियाद एक महीने के लिए बढ़ाई

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अहमदाबाद, तीन जुलाई (भाषा) गुजरात उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को स्वयंभू संत आसाराम की अस्थायी जमानत अवधि एक महीने के लिए और बढ़ा दी, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि यह ‘अंतिम विस्तार’ होगा।

आसाराम (86)को 2013 में दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी और इस समय उसे चिकित्सा आधार पर जमानत मिली है।

न्यायमूर्ति इलेश वोरा और न्यायमूर्ति पीएम रावल की खंडपीठ ने आसाराम की अस्थाई जमानत एक महीने के लिए और बढ़ा दी। अदालत ने सबसे पहले 28 मार्च को जमानत दी थी और 30 जून को अवधि समाप्त होने से पहले इसमें सात जुलाई तक अंतरिम विस्तार दिया था।

अदालत में बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान आसाराम के वकील ने जमानत की अवधि तीन महीने और बढ़ाने का अनुरोण किया। हालांकि, उच्च न्यायालय ने कहा कि वह जमानत की अवधि को सिर्फ एक महीने के लिए और बढ़ाएगा और यह ‘अंतिम विस्तार’ होगा। विस्तृत आदेश का इंतजार है।

आसाराम ने उच्च न्यायालय का दरवाजा तब खटखटाया था, जब चिकित्सा आधार पर उसे 31 मार्च तक उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई अंतरिम जमानत समाप्त होने वाली थी। उच्चतम न्यायालय ने उसे निर्देश दिया था कि यदि किसी विस्तार की आवश्यकता हो तो वह इसकी गुहार लगा सकता है।

उच्च न्यायालय की पीठ ने तब विभाजित फैसला सुनाया था, जिसके बाद मामला जिस तीसरे न्यायाधीश के पास भेजा गया था। तीसरे न्यायाधीश ने उसे तीन महीने की अस्थायी जमानत दे दी थी।

गांधीनगर की एक अदालत ने जनवरी 2023 में आसाराम को बलात्कार के एक मामले में दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। आसाराम 2013 में राजस्थान में अपने आश्रम में एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के एक अन्य मामले में भी आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।

भाषा धीरज पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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