लंदन, 25 जून (भाषा) भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) और इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) ने अपने टी20 टूर्नामेंटों को कमजोर होने से बचाने के लिए लगभग 400 मिलियन डॉलर की महत्वाकांक्षी सऊदी टी20 लीग परियोजना का समर्थन नहीं करने का फैसला किया है।
ब्रिटिश अखबार ‘द गार्जियन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘इस महीने लॉर्ड्स में खेली गयी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल के दौरान ईसीबी और बीसीसीआई ने नयी लीग का विरोध करने के लिए एकजुट होने पर सहमति जताई। दोनों बोर्ड इस बात पर सहमत हुए कि वे अपने खिलाड़ियों को नयी प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए ‘अनापत्ति प्रमाण पत्र’ जारी नहीं करेंगे। दोनों बोर्ड इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) से उनके समर्थन को रोकने के लिए पैरवी भी करेंगे।’’
दूसरी ओर क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (सीए) लीग में सऊदी निवेशकों के साथ साझेदारी करने के लिए उत्सुक दिखा।
‘द गार्जियन’ की खबर के मुताबिक, ‘‘ऑस्ट्रेलिया से पता चली योजना के मुताबिक सऊदी अरब के एसआरजे स्पोर्ट्स इन्वेस्टमेंट्स ने नयी लीग की स्थापना के लिए 400 मिलियन डॉलर का निवेश करने का वादा किया है। इसमें आठ टीमें हर साल अलग-अलग स्थानों पर चार टूर्नामेंट खेलेंगी, जिसकी तुलना टेनिस के ग्रैंड स्लैम से की जा रही है।’’
सीए का मुख्य उद्देश्य निजी निवेशक से लाभ कमाना है क्योंकि बिग बैश लीग (बीबीएल) फ्रेंचाइजी का स्वामित्व शासी निकाय और राज्यों के पास है।
आईपीएल का अनुमानित मूल्य 12 बिलियन डॉलर है जबकि ईसीबी ‘द हंड्रेड’ की आठ फ्रेंचाइजी टीमों की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच कर लगभग 700 मिलियन डॉलर कमाने की तैयारी में है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘ क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका (सीएसए) ने तीन वर्ष पहले इंडियन प्रीमियर लीग के मालिकों को एसए20 प्रतियोगिता की फ्रेंचाइजी बेचकर लगभग 136 मिलियन डॉलर से अधिक की धनराशि जुटाई थी।’’
अखबार ने यह भी बताया कि आईसीसी का संचालन वर्तमान में बीसीसीआई के पूर्व सचिव जय शाह कर रहे हैं। इस मामले में उनके भारतीय बोर्ड की इच्छा के विरुद्ध जाने की संभावना नहीं है।
भाषा आनन्द सुधीर
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