scorecardresearch
Thursday, 6 March, 2025
होमदेशवन अधिनियम पर उच्चतम न्यायालय का आदेश मोदी सरकार के लिए कड़ी फटकार: कांग्रेस

वन अधिनियम पर उच्चतम न्यायालय का आदेश मोदी सरकार के लिए कड़ी फटकार: कांग्रेस

Text Size:

नयी दिल्ली, छह मार्च (भाषा) कांग्रेस ने वन संरक्षण अधिनियम, 2023 के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश की बृहस्पतिवार को सराहना की और कहा कि यह देश में पारिस्थितिक संरक्षण के लिए संस्थानों के साथ-साथ नियामक प्रणालियों को कमजोर करने के ‘‘मोदी सरकार के व्यवस्थित प्रयासों’’ के लिए एक ‘‘कड़ी फटकार’’ है।

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे एक महीने के भीतर वन जैसे क्षेत्रों, अवर्गीकृत और सामुदायिक वन भूमि सहित विभिन्न भूमि का समेकित रिकॉर्ड तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन करें।

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा था कि विशेषज्ञ समिति वन (संरक्षण एवं संवर्धन) नियम, 2023 के नियम 16 ​​(1) के तहत आवश्यक कार्य छह महीने के भीतर पूरा करेगी।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘वन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2023 केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए सबसे कठोर कानूनों में से एक था। जब से इसे संसद के माध्यम से पेश किया गया और इसे मनमाने ढंग से पारित कराया गया।’’

उन्होंने कहा कि न्यायालय ने उन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों पर भी कार्रवाई की है जो वन (संरक्षण एवं संवर्धन) नियम, 2023 को लागू करने में विफल रहे हैं।

रमेश के अनुसार, शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी है कि अगर वे एक महीने के भीतर इन समितियों का गठन करने और अगले छह महीनों के भीतर इन जमीनों का एक समेकित रिकॉर्ड तैयार करने में विफल रहते हैं तो यह राज्यों के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी ठहराएगा।

रमेश ने कहा, ‘‘यह एक स्वागत योग्य घटनाक्रम है और देश में पारिस्थितिक संरक्षण के लिए संस्थानों और नियामक प्रणालियों को कमजोर करने के मोदी सरकार के व्यवस्थित प्रयासों के लिए एक कड़ी फटकार है।’’

भाषा हक हक माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments