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Sunday, 19 January, 2025
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स्टार्ट-अप इंडिया केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं; आधे से अधिक दूसरी, तीसरी श्रेणी के शहरों से: मोदी

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नयी दिल्ली, 19 जनवरी (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि स्टार्ट-अप इंडिया कार्यक्रम केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं है और आधे से अधिक स्टार्ट-अप दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों से संचालित हो रहे हैं।

आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 118वीं और वर्ष 2025 की पहली कड़ी में अपने विचार साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि अपशिष्ट प्रबंधन, गैर-नवीकरणीय ऊर्जा, जैव प्रौद्योगिकी और लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में बड़ी संख्या में स्टार्ट-अप देखने को मिले हैं।

उन्होंने कहा कि अंबाला, हिसार, कांगड़ा, चेंगलपत्तू, बिलासपुर, ग्वालियर और वाशिम में कई स्टार्ट-अप काम कर रहे हैं और पिछले वर्ष नागालैंड में स्टार्ट-अप पंजीकरण में दौ सौ प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई।

कुछ दिन पहले स्टार्ट-अप इंडिया के नौ साल पूरे होने का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘हमारे देश में जितने स्टार्ट-अप नौ साल में बने हैं, उनमें से आधे से ज्यादा दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों से हैं। जब यह सुनते हैं तो हर हिन्दुस्तानी का दिल खुश हो जाता है। यानि हमारी स्टार्ट-अप संस्कृति बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि आपको यह जानकर हैरानी होगी कि छोटे शहरों के स्टार्ट-अप में आधे से ज्यादा का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘जब यह सुनने को मिलता है कि अंबाला, हिसार, कांगड़ा, चेंगलपट्टु, बिलासपुर, ग्वालियर और वाशिम जैसे शहर स्टार्ट-अप के केंद्र बन रहे हैं तो मन आनंद से भर जाता है।’’

मोदी ने कहा, ‘‘अपशिष्ट प्रबंधन, गैर-नवीकरणीय ऊर्जा, जैव प्रौद्योगिकी और लॉजिस्टिक्स ऐसे क्षेत्र हैं, जिनसे जुड़े स्टार्ट-अप सबसे ज्यादा देखे जा रहें हैं। ये पारंपरिक क्षेत्र नहीं हैं लेकिन हमारे युवा-साथी भी तो परंपरा से आगे की सोच रखते हैं, इसलिए, उन्हें सफलता भी मिल रही है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि 10 साल पहले जब कोई स्टार्ट-अप की बात करता था तो उसे तरह-तरह के ताने सुनने को मिलते थे और लोग कहते थे कि इससे कुछ होने वाला नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अब देखिए, एक दशक में कितना बड़ा बदलाव आ गया।’’

प्रधानमंत्री ने इस दौरान स्वामी विवेकानंद की चर्चा की और उल्लेख किया कि उन्होंने कहा था कि जिस व्यक्ति में अपने विचारों के प्रति जुनून होता है, वही अपने लक्ष्य को हासिल कर पाता है।

उन्होंने कहा कि किसी भी विचार को सफल बनाने के लिए जुनून सबसे ज़रुरी होता है और निष्ठा तथा उत्साह से नवाचार, सृजनात्मकता और सफलता का रास्ता अवश्य निकलता है।

प्रधानमंत्री ने अन्य प्राणियों के साथ मनुष्य के जुड़ाव के संबंध में कहा कि भारतीय संस्कृति और विरासत आसपास के पशु-पक्षियों के साथ प्यार से रहना सिखाती है।

उन्होंने असम के नौगांव का उदाहरण दिया, जहां ग्रामीणों ने हाथियों के भोजन लिए 800 बीघा परती भूमि पर नेपियर घास उगाई है।

मोदी ने छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास तमोर पिंगला बाघ अभयारण्य और मध्यप्रदेश में रातापानी बाघ अभयारण्य की स्थापना पर भी प्रसन्नता व्यक्त की।

प्रधानमंत्री ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के योगदान को याद करते हुए 23 जनवरी को उनकी जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाए जाने का उल्लेख किया और युवाओं से अपील की कि वे नेताजी के बारे में अधिक से अधिक पढ़ें और उनके जीवन से निरंतर प्रेरणा लें।

उन्होंने अरूणाचल प्रदेश के दीपक नाबाम की चर्चा की जो एक ऐसा लिविंग-रूम चलाते हैं जहां शारीरिक और मानसिक दिव्यांगों के अलावा बुजुर्गों और नशे के शिकार लोगों की देखभाल की जाती है।

उन्होंने लक्षद्वीप के कवारत्ती में कार्यरत नर्स के हिंडुम्बी और के जी मोहम्मद के कार्यों की भी प्रशंसा की।

मोदी ने निकोबार जिले में नारियल तेल के लिए जीआई-टैग मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि इस तेल के उत्पादन से जुड़ी महिलाओं के स्व-सहायता समूह बनाए जा रहे हैं और उन्हें इस तेल की मार्केटिंग और ब्रांडिंग के लिए विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘ये हमारे आदिवासी समुदायों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। मुझे विश्वास है कि भविष्य में निकोबार का यह तेल दुनिया-भर में धूम मचाने वाला है और इसमें सबसे बड़ा योगदान अंडमान और निकोबार के महिला स्व सहायता समूह का होगा।’’

भाषा

ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र सुभाष

सुभाष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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