मुंबई, 24 दिसंबर (भाषा) भारतीय सिनेमा में 1970 और 1980 के दशक में समानांतर फिल्मों में अग्रणी नाम एवं मशहूर फिल्मकार श्याम बेनेगल का मंगलवार को मुंबई में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
‘अंकुर’, ‘मंडी’, ‘निशांत’ और ‘जुनून’ जैसी फिल्मों के लिए प्रख्यात बेनेगल का सोमवार को यहां एक अस्पताल में निधन हो गया। वह गुर्दे की गंभीर बीमारी से ग्रसित थे।
फिल्मकार ने 14 दिसंबर को अपना 90वां जन्मदिन मनाया था। उनका अंतिम संस्कार दादर के शिवाजी पार्क श्मशान घाट पर अपराह्न करीब तीन बजे किया गया। बेनेगल के पार्थिव शरीर को राष्ट्रीय ध्वज में लपेटा गया था।
बेनेगल की पत्नी नीरा और बेटी पिया के साथ ही बेनेगल के समकालीन सहयोगी, सहकर्मी और युवा पीढ़ी के अभिनेता एवं कलाकार इस महान हस्ती को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे थे। बेनेगल की फिल्मों में भारत की कई हकीकत को बयां किया गया था।
बेनेगल की कई फिल्मों में अभिनय कर चुके अभिनेता नसीरुद्दीन शाह, रजित कपूर, कुलभूषण खरबंदा और इला अरुण निर्देशक को अंतिम विदाई देने के लिए उपस्थित थे। बाद में एक पुजारी ने फिल्मकार की स्मृति में पूजा की।
भावुक नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मुझे लगता है कि आपको मेरे दिल में क्या है, यह समझने की कोशिश करनी चाहिए। …मैं जो कुछ भी हूं और जो कुछ भी मेरे पास है, उसका श्रेय उन्हीं को जाता है। मुझे वाकई नहीं पता कि इसके अलावा और क्या कहूं।’’
बेनेगल की कई फिल्मों जैसे ‘अंकुर’, ‘निशांत’ और ‘मंथन’ में बतौर सिनेमैटोग्राफर काम कर चुके फिल्मकार गोविंद निहलानी ने केवल इतना कहा, ‘‘मैं कुछ नहीं कह पाऊंगा, प्लीज।’’
अनुभवी एक्शन निर्देशक शाम कौशल, जो बेनेगल के 90वें जन्मदिन समारोह का हिस्सा थे, ने कहा कि बेनेगल जीवन और फिल्मों के लिए उत्सुक थे।
कौशल के अनुसार, ‘‘मुजीब: द मेकिंग ऑफ ए नेशन’ – बेनेगल की सबसे हालिया फिल्म – की टीम निर्देशक बेनेगल के जन्मदिन पर उनके कार्यालय में अचानक पहुंच गई थी।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’’ से कहा, ‘‘हमने उनके लिए जन्मदिन का गीत गाया। उन्हें उसकी उम्मीद नहीं थी क्योंकि हमने फिल्म पर उनके साथ दो साल तक काम करने के दौरान कभी उनका जन्मदिन नहीं मनाया। हमने ‘मुजीब’ के निर्माण के बारे में बात की, उन्होंने यह भी कहा कि वह अपनी अगली फिल्म पर काम कर रहे हैं। यह उनके और हम सभी के लिए एक यादगार दिन था, लेकिन हमें उम्मीद नहीं थी कि यह आखिरी दिन होगा।’’
कौशल ने बेनेगल के साथ ‘‘बोस: द फॉरगॉटन हीरो’’ और ‘‘वेल डन अब्बा’’ में भी काम किया था। उन्होंने कहा कि स्टंट के मामले में उनकी फ़िल्में अलग होती थीं।
उन्होंने कहा, ‘‘वे पूरे ‘एक्शन सीक्वेंस’ को बताते थे और इसे कई कैमरों से एक ही बार में शूट करने के लिए कहते थे, ताकि यह मूलभूत लगे और लय और कहानी बनी रहे… फिल्मों के प्रति उनका जुनून बरकरार था… उन्होंने हम सभी को अपने जुनून को आगे बढ़ाने और उम्र से विचलित न होने के लिए प्रोत्साहित किया।’’
अभिनेत्री रत्ना पाठक शाह, उनके बेटे विवान शाह, लेखक-कवि गुलजार, निर्देशक हंसल मेहता, गीतकार-लेखक जावेद अख्तर, अभिनेत्री दिव्या दत्ता, अभिनेता बोमन ईरानी, कुणाल कपूर और अनंग देसाई भी इस मौके पर मौजूद थे। साथ ही शिवेन्द्र सिंह डूंगरपुर भी उपस्थित थे।
अख्तर ने कहा कि वह और उनकी अभिनेत्री पत्नी शबाना आजमी, दोनों ही फिल्मकार के निधन से दुखी हैं।
अख्तर ने अंतिम संस्कार के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। शबाना उनके 90वें जन्मदिन पर वहां थीं, लेकिन मैं मुंबई में नहीं था। और आज वह मुंबई में नहीं हैं। शबाना उन्हें पिता की तरह मानती थीं और मैंने उनसे बात की और वह रो पड़ीं (जब उन्हें बेनेगल के निधन के बारे में पता चला)। वह एक बेहतरीन इंसान और निर्देशक थे। उनकी कमी बहुत खलेगी।’’
गुलजार ने कहा कि बेनेगल सिनेमा में जो क्रांति लाये, वह कभी दोबारा नहीं आएगी। गुलजार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘वह गए नहीं हैं, हम उनसे विदा हुए हैं और हमने उन्हें अलविदा कहा है। वह एक क्रांति लेकर आए और सिनेमा में बदलाव की उस क्रांति के साथ चले गए। कोई और उस लहर, क्रांति को दोबारा नहीं ला पाएगा। हम उन्हें लंबे समय तक याद रखेंगे और उनके बारे में लंबे समय तक बात करेंगे।’’
ईरानी ने कहा कि वे भाग्यशाली हैं कि उन्हें हैदराबाद में 2009 में बनी ‘वेल डन अब्बा’ में निर्देशक के साथ काम करने का मौका मिला। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे याद है कि जब मैंने पहली बार ‘अंकुर’ देखी थी, तब मैं उन्हें एक लड़के के रूप में देखता था और मैंने उनकी, शबाना आजमी, गोविंद निहलानी की तस्वीरें देखी थीं। मुझे लगता था कि फिल्में बहुत ‘ग्लैमरस’ होती हैं। मैंने सोचा कि अगर मैं कभी अभिनेता बन गया, तो मुझे उनके साथ काम करने का मौका मिले। उन्होंने मुझे 30 से 35 साल बाद बुलाया और ‘वेल डन अब्बा’ करने के लिए कहा।’’
बेनेगल ने अपनी कई फिल्में, जिनमें उनकी पहली फिल्म ‘अंकुर’, ‘निशांत’, ‘सुस्मान’ और ‘मंडी’ शामिल हैं, तेलंगाना और उसके आस-पास पर आधारित थीं, जो पहले उनके गृह राज्य आंध्र प्रदेश का हिस्सा था।
बेनेगल की व्यंग्यपूर्ण फिल्म ‘वेलकम टू सज्जनपुर’ में मुख्य भूमिका निभाने वाले अभिनेता श्रेयस तलपड़े ने कहा कि बेनेगल की वजह से यह फिल्म उनके लिए सबसे यादगार शूटिंग अनुभवों में से एक रही।
तलपड़े ने कहा, ‘‘फिल्म की शूटिंग से लौटने के बाद मैंने काफी बदला हुआ महसूस किया। मुझे लगता है कि हम उनकी बातों को सबसे ज्यादा याद करेंगे। जब भी वह बात करते थे, तो हमें मंत्रमुग्ध कर देते थे। यह एक बहुत बड़ी क्षति है।’’
अभिनेत्री नंदिता दास ने कहा कि बेनेगल ने ही उन्हें निर्देशक बनने के लिए प्रेरित किया। दास ने कहा, ‘‘उन्होंने बहुत योगदान दिया और बहुत से लोगों के जीवन को छुआ, उन्होंने उन्हें बेहतर इंसान और विचारशील बनाया… वे बहुत प्रोत्साहित करने वाले थे, मैंने जिस भी फिल्म का निर्देशन किया, वे मुझे फोन करते थे या उसके बारे में मुझे ईमेल भेजते थे। वे मेरे लिए एक मार्गदर्शक की तरह थे।’’
भाषा अमित पवनेश
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