कोलंबो, 24 दिसंबर (भाषा) भारत ने जब वाम नेता अनुरा कुमार दिसानायके को फरवरी में देश की यात्रा के लिए आमंत्रित किया था, तो किसी ने यह अनुमान नहीं लगाया था कि श्रीलंका के राजनीतिक परिदृश्य में इतना बड़ा परिवर्तन आएगा और इसकी परिणति वर्ष के अंत तक आश्चर्यजनक रूप से उनके राष्ट्रपति बनने के साथ होगी।
इस घटनाक्रम ने दोनों पड़ोसी देशों के बीच तालमेल पर नये सिरे से ध्यान आकर्षित किया। दिसानायके (56) को ‘एकेडी’ के नाम से जाना जाता है। उन्हें सितंबर में हुए राष्ट्रपति चुनाव में विजेता घोषित किया गया था। यह 2019 में उनकी पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन के मत प्रतिशत के तीन प्रतिशत से बढ़कर 60 प्रतिशत से अधिक होना दर्शाता है।
कुछ सप्ताह बाद, दिसानायके की ‘जनता विमुक्ति पेरामुना’ (जेवीपी) के नेतृत्व वाले नेशनल पीपुल्स पावर (जेवीपी-एनपीपी) गठबंधन ने 225 सीट में से 159 सीट जीतकर संसदीय चुनावों में जीत हासिल की। यह पहली बार था जब किसी पार्टी ने 1978 में शुरू की गई आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत दो-तिहाई बहुमत हासिल किया।
एनपीपी ने जाफना चुनावी जिले में भी अपना दबदबा कायम किया- जो देश के तमिल अल्पसंख्यकों का गढ़ है।
एनपीपी नेता को 2024 की शुरुआत में पूर्ण आधिकारिक यात्रा के लिए भारत का निमंत्रण, इसकी मूल पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना के खूनी अतीत को देखते हुए अकल्पनीय प्रतीत होता है। 1987-90 में, पार्टी ने हिंसक विद्रोह किया था।
उस समय विद्रोह श्रीलंका सरकार के खिलाफ था, लेकिन कई मायनों में यह भारत विरोधी भी था। यह समूह द्वीप के सिंहली बहुसंख्यकों और तमिल अल्पसंख्यकों के बीच जातीय संघर्ष में भारत के हस्तक्षेप का विरोध कर रहा था। दिसानायके 1987 में जेवीपी में शामिल हुए।
तब जेवीपी एक प्रतिबंधित संगठन था। उसने 1987 के भारत-श्रीलंका समझौते का समर्थन करने वाले सभी लोकतांत्रिक दलों के कई कार्यकर्ताओं का खात्मा कर दिया। इसने भारतीय हस्तक्षेप को श्रीलंका की संप्रभुता के साथ विश्वासघात करार दिया। हालांकि, इस वर्ष फरवरी में दिसानायके की भारत यात्रा को भारत के प्रति एनपीपी के दृष्टिकोण में बदलाव के रूप में देखा गया, जिसमें विदेशी निवेश हितों के साथ संरेखण प्रदर्शित हुआ।
भारत में लोगों द्वारा दिसानायके का स्वागत किया जाना पार्टी के लिए द्वीप के उच्च मध्यम वर्ग को मनाने के वास्ते आवश्यक प्रोत्साहन था, जो राजनीतिक विभाजन में दोनों प्रमुख ताकतों की राजनीति से तंग आ चुके थे। दिसानायके ने यह व्यक्तिगत रूप से कोलंबो राजनयिक समुदाय को यह संदेश दिया।
श्रीलंका की स्वतंत्रता के बाद वर्ष 2022 में सबसे खराब आर्थिक संकट के दौरान हुए सार्वजनिक विरोध प्रदर्शनों में, जेवीपी बचता हुआ दिखाई दिया। फिर भी, आंदोलन सफल रहा और दशकों तक बहुसंख्यक राजनीतिक मंच को नियंत्रित करने वाले राजपक्षे परिवार का सत्ता पर नियंत्रण समाप्त हो गया।
रानिल विक्रमसिंघे ने 2024 के अंत तक शेष कार्यकाल पूरा करने के लिए गोटाबाया राजपक्षे की जगह राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाला। उन्होंने उसके बाद दिवालिया अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाना शुरू किया। जब आर्थिक संकटों के समाधान के रूप में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के कठोर सुधारों ने जनता को परेशान किया, तब जेवीपी ने आत्मविश्वास के साथ प्रतीक्षा की।
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ, लेकिन जेवीपी का ध्यान ‘‘भ्रष्टाचार’’ के खिलाफ था।
जब दिसानायके को अप्रत्याशित रूप से विजेता घोषित किया गया, तो भारतीयों ने सबसे पहले उन्हें बधाई दी।
यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर दिसानायके के शपथ ग्रहण के बाद कोलंबो पहुंचने वाले पहले विदेशी गणमान्य व्यक्ति थे। दिसानायके ने आधिकारिक यात्रा के लिए भारत को अपना पहला विदेशी गंतव्य चुना।
दिसानायके ने दिसंबर में भारत की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की। इस दौरन दिसानायके ने नयी दिल्ली को आश्वासन दिया कि कोलंबो द्वीप के क्षेत्र का उपयोग उस तरह से करने की ‘‘अनुमति नहीं देगा, जो भारत के हितों के लिए हानिकारक हो।’’ इसका परोक्ष तौर पर इशारा चीन की ओर था।
दिसानायके के पूर्ववर्ती विक्रमसिंघे ने वर्ष के अंत तक भारत के साथ एक मुक्त व्यापार समझौता करने का लक्ष्य रखा था, जबकि भारत ने उत्तरी कांकेसंथुराई बंदरगाह को विकसित करने के लिए पांच करोड़ अमरीकी डालर से अधिक की कुल लागत की प्रतिबद्धता जतायी थी।
भारत लंका हाउसिंग परियोजना और जाफना द्वीपों के लिए नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों की आपूर्ति पर समझौते श्रीलंका के अपने ‘पड़ोसी पहले’ नीति का हिस्सा थे। वर्ष के अंत में, श्रीलंकाई नौसेना ने घोषणा की कि उसने इस वर्ष श्रीलंकाई जलक्षेत्र में मछली पकड़ने के आरोप में 537 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया है। भारत ने श्रीलंका से हिरासत में लिए गए मछुआरों की जल्द रिहायी का आग्रह किया और इस मुद्दे को हल करने के लिए मानवीय और रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दिया।
दोनों देशों के मछुआरों को एक-दूसरे के जलक्षेत्र में अनजाने में प्रवेश करने के कारण अक्सर गिरफ्तार किया जाता है। मछुआरों का मुद्दा दोनों देशों के बीच संबंधों में एक विवादास्पद मुद्दा है।
भाषा
अमित मनीषा
मनीषा
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