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Wednesday, 18 December, 2024
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ट्रंप, हिटलर, सावरकर का राष्ट्रवाद ‘सोच को छोटा बनाता है’—कांग्रेस कार्यकर्ताओं का ट्रेनिंग मैनुअल

विचारधारा पर यह पुस्तिका कांग्रेस के मुख्य संगठन सेवा दल द्वारा बनाए गए प्रशिक्षण मॉड्यूल का हिस्सा है. इसमें कहा गया है कि कांग्रेस पार्टी 'हिंदू राष्ट्रवाद नहीं, बल्कि भारतीय देशभक्ति' का समर्थन करती है.

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नई दिल्ली: कांग्रेस के संगठन सेवा दल ने अपने विचारधारा पर बने एक ट्रेनिंग मॉड्यूल में अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप को नाजी तानाशाह हिटलर, इटली के फासीवाद के नेता बेनिटो मुसोलिनी और हिंदुत्व विचारक वीर सावरकर के साथ जोड़कर पेश किया है.

ये नाम एक 16 पन्नों की बुकलेट में दिए गए हैं, जो राष्ट्रवाद और देशभक्ति में अंतर समझाती है. बुकलेट में लिखा है कि हिटलर, मुसोलिनी, सावरकर और ट्रंप ऐसा राष्ट्रवाद दिखाते हैं जो “इंसान की सोच को छोटा करता है”, जबकि देशभक्ति “सोच को बड़ा और खुला बनाती है.”

बुकलेट में महात्मा गांधी, रवींद्रनाथ टैगोर, भगत सिंह, जवाहरलाल नेहरू, चे ग्वेरा और नेल्सन मंडेला को मानवता प्रेमी और देशभक्त बताया गया है.

इसमें कहा गया है कि “भारत में कट्टरपंथी ताकतें जो राष्ट्रवाद की बात करती हैं, असल में वह हिंदू राष्ट्रवाद है.” भारतीय राष्ट्रवाद के लिए सही शब्द देशभक्ति है. इसमें देशभक्ति और “हिंदू राष्ट्रवाद” के बीच अंतर को भी समझाया गया है.

यह बुकलेट सेवा दल के प्रशिक्षण कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसे 1923 में कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने और संगठित करने के लिए शुरू किया गया था.

“ट्रंप अब दुनिया भर में राष्ट्रवादियों का नया चेहरा बन गए हैं. यह इस बात से समझा जा सकता है कि ट्रंप की जीत पर आरएसएस और बीजेपी के लोगों ने जश्न मनाया. ट्रंप खुद को अमेरिकी जनता का नेता बताते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि उन्हें सिर्फ गोरे लोगों के एक वर्ग का समर्थन मिलता है,” बुकलेट में यह लिखा गया है.

ट्रंप इस साल फिर से चुनाव जीतकर 2025 में अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं.

सेवा दल की यह बुकलेट, जो प्रशिक्षण कार्यक्रम का हिस्सा है, में आरएसएस, अल्पसंख्यक और दलित राजनीति जैसे कई अन्य विषयों पर जानकारी दी गई है. “वैचारिकता” नामक इस बुकलेट में लिखा गया है कि ट्रंप को अमेरिकन के अलावा किसी अन्य समुदाय का व्यापक समर्थन नहीं मिला. दिप्रिंट ने बुकलेट देखी है.

इसमें कहा गया है, “ट्रंप की जीत के बाद न सिर्फ अल्पसंख्यक, बल्कि गैर-गोरे, एशियाई, लैटिनो और गोरों का एक हिस्सा भी डरा हुआ है. इसलिए यह डर सही है कि भारतीय मूल के लोग (ट्रंप के शासन में) अपनी नौकरियां और सम्मान खो सकते हैं.”

हिटलर के बारे में बुकलेट बताती है कि उन्होंने जर्मन लोगों को राष्ट्रवादी भावनाओं और प्रतीकों के जरिए अपनी ओर खींचा. “हर राष्ट्रवादी की तरह हिटलर को भी जर्मन होने पर गर्व था. उन्होंने आर्यों को सबसे श्रेष्ठ जाति माना और यहूदियों से नफरत की. इसी वजह से उन्होंने लाखों यहूदियों की हत्या कर दी, दुनिया को दूसरे विश्व युद्ध में झोंक दिया और अंत में आत्महत्या कर ली.”

मुसोलिनी के बारे में इसमें लिखा है कि वह ऐसा नेता था जिसने हिटलर को भी प्रभावित किया. मुसोलिनी को इटालियन लोगों ने 20 साल तक नायक माना, लेकिन जब उन्होंने उसके विनाशकारी कामों को समझा, तो उसे सत्ता से हटा दिया और गोली मार दी. इसके आगे कहा गया है, “मुसोलिनी के प्रति नफरत इतनी बढ़ गई थी कि उसकी हत्या के बाद उसके शरीर को कपड़े उतारकर उल्टा लटका दिया गया.”

सेवा दल की प्रशिक्षण पुस्तिका में लिखा गया है कि आरएसएस और बीजेपी के “स्वयंभू वीर” सावरकर के बारे में कई विवादित बातें हैं. इसमें कहा गया है कि सावरकर ने अपनी 11 साल की जेल में ब्रिटिश सरकार को 9 माफीनामे लिखे थे, जिनमें उन्होंने ब्रिटिश राज को मजबूत करने का वादा किया था.

बुकलेट में यह भी लिखा गया है कि सावरकर ने स्वतंत्रता से 10 साल पहले दो-राष्ट्र का सिद्धांत पेश किया था, जिसके अनुसार भारत दो राष्ट्रों में बंटा हुआ था—हिंदू और मुसलमान. सावरकर ने ब्रिटिश सरकार के साथ मिलकर भारत छोड़ो आंदोलन को कमजोर करने की साजिश की और हिंदुओं को ब्रिटिश सेना में भर्ती होने के लिए कहा, ताकि वे आजाद हिंद फौज के खिलाफ लड़ सकें.

सावरकर पर महात्मा गांधी की हत्या की साजिश रचने का भी आरोप था, लेकिन सबूतों के अभाव में वह बच गए. हालांकि, कपूर आयोग ने उन्हें दोषी ठहराया था.

बुकलेट यह भी कहती है कि कांग्रेस स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में भारतीय राष्ट्रवादी पार्टी मानी जा सकती है, लेकिन वह “हिंदू राष्ट्रवाद” नहीं, बल्कि “भारतीय देशभक्ति” का समर्थन करती है. 

इसमें कहा गया है, “राष्ट्रवाद मनुष्य को सीमित करता है, जबकि देशभक्ति उसे विस्तृत करती है और देश के प्रति प्रेम बढ़ाती है. राष्ट्रवादी के लिए देशभक्त बनना कठिन है, क्योंकि वह धर्म, जाति आदि की सीमाओं में बंधा होता है, लेकिन एक देशभक्त राष्ट्रवादी बन सकता है.”

“गांधी और नेहरू जैसे कांग्रेस के बड़े नेता असल में मानवतावादी थे, जिन्होंने सही समय पर देश और उसके लोगों के लिए सबसे बड़ी देशभक्ति दिखाई. वहीं, हिंदू राष्ट्रवादी संगठन जैसे आरएसएस और हिंदू महासभा ने स्वतंत्रता संग्राम के साथ धोखा किया और अंग्रेजों का साथ दिया. इसलिए, आरएसएस और बीजेपी के पास कोई बलिदान या संघर्ष का इतिहास नहीं है.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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