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शुक्रवार, 27 जून, 2025
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आईआईटी-मद्रास के शोधार्थियों ने प्रोटीन उत्परिवर्तन का पता लगाने वाला एआई आधारित उपकरण विकसित किया

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(गुंजन शर्मा)

नयी दिल्ली, एक दिसंबर (भाषा) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास (आईआईटी-मद्रास)के शोधकर्ताओं ने प्रोटीन उत्परिवर्तनों के लिए ‘मशीन लर्निंग’ आधारित एक उपकरण विकसित किया है जो मौजूदा अधिक समय लेने वाली और महंगी विधियों से बेहतर है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता-आधारित उपकरण ‘डीप पीपीए प्रेड म्यूट’ में एक उपयोगकर्ता-अनुकूल वेब सर्वर शामिल है जो शोधकर्ताओं के लिए पहुंच बढ़ाता है। शोध के निष्कर्ष पत्रिका ‘बायोइंफॉर्मेटिक्स’ में प्रकाशित हुए हैं।

अधिकारियों के अनुसार, प्रोटीन (जिसे अक्सर जीवन निर्माण का आधार कहा जाता है) का अध्ययन महत्वपूर्ण है क्योंकि वे कोशिका संकेतन और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया और कोशिका चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

वे जैव रासायनिक प्रतिक्रियाओं को उत्प्रेरित करने के लिए एंजाइम के रूप में मौजूद हो सकते हैं। उनके मांसपेशियों में मौजूद एक्टिन और मायोसिन की तरह संरचनात्मक और यांत्रिक कार्य भी होते हैं।

समस्या तब उत्पन्न होती है जब इन प्रोटीन-प्रोटीन कॉम्प्लेक्स में उत्परिवर्तन होता है, जो कॉम्प्लेक्स की स्थिरता को प्रभावित करता है और कार्यक्षमता को बाधित करता है, जिससे बीमारियां होती हैं। प्रोटीन-प्रोटीन कॉम्प्लेक्स का एक गुण, दो या दो से अधिक प्रोटीनों का बंधन है।

आईआईटी मद्रास के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर एम माइकल ग्रोमिहा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा, ‘इस जुड़ाव को’ ‘बाइंडिंग एफिनिटी’ के रूप में जाना जाता है, प्रोटीन के दो या दो से अधिक अणुओं के बीच जुड़ाव की मजबूती यह आकलन करते समय महत्वपूर्ण है कि उत्परिवर्तन प्रोटीन-प्रोटीन कॉम्प्लेक्स को कैसे प्रभावित करते हैं।

ग्रोमिहा ने बताया कि प्रोटीन-प्रोटीन कॉम्प्लेक्स के बंधन संबंध पर उत्परिवर्तन के प्रभाव का पता लगाने के लिए कई तरीके हैं, लेकिन ये श्रम-साध्य, समय लेने वाले और महंगे हैं।

उन्होंने कहा कि इसीलिए उत्परिवर्तन पर ‘बाइंडिंग एफिनिटी’ (जुड़ने की क्षमता) में परिवर्तन का अनुमान लगाने के लिए अनुक्रम-आधारित तरीके विकसित किए गए हैं।

इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने ‘डीप पीपीए प्रेड म्यूट’ विकसित किया, जो उपयोगकर्ता से इनपुट के रूप में प्रोटीन अनुक्रम और उत्परिवर्तन लेता है और प्रोटीन कॉम्प्लेक्स में उत्परिवर्तन पर ‘बाइंडिंग एफिनिटी’ में परिवर्तन का अनुमान व्यक्त करता है।

आईआईटी-मद्रास में जैव प्रौद्योगिकी विभाग के राहुल निकम ने कहा कि प्रोटीन से प्रोटीन के जुड़ाव कई कोशिकीय प्रक्रियाओं को रेखांकित करता है और उत्परिवर्तन के कारण उनके व्यवधान से बीमारियां हो सकती हैं।

भाषा संतोष सुभाष

सुभाष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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