हैदराबाद, 25 नवंबर (भाषा) आंध्र प्रदेश पुलिस फिल्म निर्देशक राम गोपाल वर्मा की तलाश कर रही है, क्योंकि वह मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और अन्य के खिलाफ कथित आपत्तिजनक पोस्ट के मामले में पूछताछ के लिए पेश नहीं हुए। एक पुलिस अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।
नायडू, उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण और उनके परिवार के सदस्यों की तस्वीरों से कथित तौर पर छेड़छाड़ कर उन्हें सोशल मीडिया पर डालने के मामले में वर्मा के खिलाफ 11 नवंबर को प्रकाशम जिले के मद्दीपड्डू पुलिस थाने में एक मामला दर्ज किया गया था।
आंध्र प्रदेश पुलिस की तीन टीम – दो हैदराबाद में और एक तमिलनाडु में – वर्मा की तलाश में हैं।
पुलिस ने निर्देशक को दो नोटिस जारी कर 24 नवंबर तक का समय दिया था और आज जांच के लिए बुलाया था, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुए।
एक पुलिस अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘एक टीम चेन्नई गई है। एक टीम उनके घर (हैदराबाद में) है और दूसरी टीम हैदराबाद के फिल्म नगर में तलाश कर रही है। उनका फोन बंद है।’’
अधिकारी ने कहा, ‘‘उन्होंने (वर्मा ने) खुद ट्विटर पर पोस्ट किया कि वह कोयंबटूर पहुंच गए हैं। इसलिए इसके आधार पर, एक पुलिस टीम पहले ही चेन्नई पहुंच चुकी है।’’
उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश पुलिस निर्देशक को पकड़ने के लिए तमिलनाडु पुलिस के साथ समन्वय कर रही है।
इससे पहले दिन में वर्मा के वकील ने पत्रकारों से कहा कि फिल्म निर्देशक राम गोपाल वर्मा ने मुख्यमंत्री नायडू एवं अन्य के खिलाफ अपनी कथित आपत्तिजनक पोस्ट के संबंध में आंध्र प्रदेश पुलिस के समक्ष ‘‘ऑनलाइन तरीके से’’ पेश होने की इच्छा जताई है।
प्रकाशम जिले के पुलिस अधीक्षक ए आर दामोदर ने पूछा, ‘‘जांच में शामिल हुए बिना वर्मा यह कैसे कह सकते हैं कि वह ऑनलाइन जांच में शामिल होंगे?’’
उन्होंने कहा कि पुलिस के दल हर उस जगह की तलाशी ले रहे हैं जहां वर्मा के मौजूद होने का संदेह है।
वकील ने हैदराबाद में वर्मा के जुबली हिल्स स्थित आवास के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘भौतिक रूप से पेश होने की कोई आवश्यकता नहीं है। अब ‘डिजिटल इंडिया’ का समय आ गया है। इसी तरह ‘डिजिटल पुलिसिंग’ भी आ गई है। इसलिए, (भौतिक रूप से) पेश होने की आवश्यकता नहीं है। हमें ऑनलाइन तरीके से पेश होने का (मौका) दें, हम जांच में सहयोग करेंगे।’’
उन्होंने कहा कि वर्मा ‘‘ऑनलाइन तरीके’’ से जांच में सहयोग करेंगे क्योंकि ‘‘डिजिटल पुलिसिंग अब पूरे भारत में प्रचलित है’’।
वकील ने दावा किया कि नये भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) कानून में ऐसे प्रावधान हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘आरजीवी (राम गोपाल वर्मा) ने कोई गलती नहीं की। यह न तो राजद्रोह है और न ही अंतरराष्ट्रीय माफिया। हम कानून का पालन करेंगे।’’
स्थानीय समाचार चैनलों के अनुसार राज्य पुलिस की एक टीम को निर्देशक के आवास पर इंतजार करते हुए देखा गया।
प्रकाशम जिले के पुलिस अधीक्षक दामोदर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘वह (वर्मा) जांच के लिए नहीं आए। हम कानूनी तरीके से आगे बढ़ रहे हैं। वह दूसरी बार भी अनुपस्थित रहे। पहली बार उन्होंने और समय मांगा था और हमने उन्हें एक सप्ताह की अनुमति दी थी।’’
पुलिस सूत्रों के अनुसार वर्मा को 24 नवंबर तक की अनुमति दी गई थी क्योंकि उन्होंने सिनेमा की शूटिंग में व्यस्त होने के कारण अधिक समय दिये जाने की अपील की थी। उन्हें आज जांच के लिए बुलाया गया था।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘उन्होंने (वर्मा ने) कहा कि वह 24 नवंबर के बाद कभी भी आ सकते हैं। उनके अनुरोध के अनुसार, हमने उन्हें समय दिया और 25 नवंबर को बुलाया। अब वह जो भी कारण बताएं, उसमें कोई कानूनी वैधता नहीं होगी।’’
वर्मा के खिलाफ मद्दीपड्डू निवासी रामलिंगम (45) की शिकायत के आधार पर विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।
रामलिंगम ने यह दावा करते हुए मामला दर्ज कराया कि वर्मा की कथित सोशल मीडिया पोस्ट से समाज में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और उनके परिवार के सदस्यों की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है।
भाषा
देवेंद्र संतोष
संतोष
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