नयी दिल्ली, 25 नवंबर (भाषा) सीबीआई ने नीतीश कटारा की हत्या मामले के गवाह उनके भाई अजय कटारा को बलात्कार के झूठे मामले में “फंसाने” के लिए जाली दस्तावेजों के आधार पर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करने के आरोप में आठ वकीलों और दो अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।
केंद्रीय जांच एजेंसी ने उच्चतम न्यायालय के आदेश पर कार्रवाई की, जिसने मामले की जांच करने का निर्देश दिया था। कथित तौर पर याचिका दायर करने वाले व्यक्ति ने दावा किया था कि उसने अजय कटारा के खिलाफ बलात्कार का आरोप लगाने वाली उसकी बेटी से जुड़े मामले में किसी “वकालतनामा” पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
राजनीतिक नेता डी.पी. यादव के बेटे और भतीजे को 17 फरवरी, 2002 को 23 वर्षीय नीतीश के अपहरण और हत्या का दोषी ठहराया गया था।
अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने अजय के खिलाफ शिकायत करने वाली महिला, उसके पति और आठ वकीलों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है जो उच्चतम न्यायालय में एसएलपी दायर करने में शामिल थे।
महिला के पिता, जिनके नाम पर न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई थी, ने कहा कि 2013 में जब से उसने भागकर शादी की है, तब से वह उसके पास नहीं है और इसलिए वह उस पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते।
बदायूं पुलिस ने अजय कटारा के खिलाफ महिला द्वारा दर्ज कराए गए कथित बलात्कार के मामले को बंद कर दिया था, क्योंकि उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला था।
भाषा प्रशांत संतोष
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