नयी दिल्ली, 25 नवंबर (भाषा) रॉयल कॉलेज ऑफ ऑब्स्टेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट की अखिल भारतीय समन्वय समिति (एआईसीसी आरसीओजी) ने सर्विकल कैंसर की रोकथाम के लिए किशोरियों और कम उम्र की युवतियों के अनिवार्य टीकाकरण की सिफारिश की है। सोमवार को जारी एक बयान में यह जानकारी दी गई है।
बयान में कहा गया है कि आरसीओजी समिति एचपीवी रोधी टीकाकरण का समर्थन करती है और सभी पात्र किशोरियों तथा कम उम्र की युवतियों की टीके तक पहुंच सुनिश्चित करने की वकालत करती है, क्योंकि यह भारत में एचपीवी रोगों की रोकथाम एवं नियंत्रण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इसमें एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि भारत में सर्विकल (गर्भाशय ग्रीवा) कैंसर के कुल मामलों में लगभग 98.4 फीसदी के लिए नौ तरह के ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) जिम्मेदार होते हैं। समिति ने लंदन स्थित आरसीओजी को भेजे एक पत्र में सिफारिश की है कि “टीका लगाने से पहले जांच किया जाना अनिवार्य नहीं है।”
एआईसीसी आरसीओजी की अखिल भारतीय अध्यक्ष डॉ. उमा राम ने कहा, “एचपीवी रोधी टीकों में एचपीवी के कारण होने वाले 90 फीसदी से अधिक कैंसर की रोकथाम करने की क्षमता है। स्वस्थ भविष्य के निर्माण के लिए किशोरियों और कम उम्र की युवतियों का टीकाकरण अहम है।”
बयान में कहा गया है कि उम्र एचपीवी संक्रमण के महत्वपूर्ण जोखिम कारकों में से एक है और 15 से 25 साल के आयु वर्ग में शामिल किशोरियां और युवतियां इस संक्रमण के प्रति सबसे संवेदनशील मानी जाती हैं।
इसमें कहा गया है कि भारत में एचपीवी संक्रमण के ज्यादातर नये मामले इसी आयु वर्ग में दर्ज किए जाते हैं।
एआईसीसी आरसीओजी महिलाओं के स्वास्थ्य और स्त्री एवं प्रसूति रोगों के निदान में सुधार के लिए मानक निर्धारित करने के आरसीओजी के उद्देश्य से जुड़ा हुआ है। यह भारत में चिकित्सकीय प्रशिक्षण देने के साथ सीओजी परीक्षा भी आयोजित करता है।
भाषा पारुल दिलीप
दिलीप
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.