ग्रेटर नोएडा (उप्र), 24 नवंबर (भाषा) अपनी अद्वितीय प्रतिबद्धता और बहादुरी का परिचय देते हुए मात्र नौ महीने में तीन राज्यों से 104 बच्चों को तस्करी से बचाने वालीं दिल्ली पुलिस की हेड कॉन्स्टेबल सीमा देवी और सुमन हुड्डा को यहां एक कार्यक्रम में सम्मानित किया गया।
बेनेट विश्वविद्यालय और ‘द टाइम्स ग्रुप’ द्वारा आयोजित ‘टाइम्स नाउ हीरोज’ के पहले संस्करण में इन दोनों अधिकारियों को रविवार को सम्मानित किया गया।
बेनेट विश्वविद्यालय और ‘द टाइम्स ग्रुप’ द्वारा यहां जारी एक बयान में बताया गया कि साहस, प्रतिबद्धता और करुणा का परिचय देते हुए समाज के उत्थान में निस्वार्थ योगदान देने वाले गुमनाम नायकों को सम्मानित करने लिए आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन बेनेट विश्वविद्यालय के कुलपति और ‘द टाइम्स ग्रुप’ के प्रबंध निदेशक विनीत जैन ने किया।
इसमें बताया गया कि इस कार्यक्रम में ‘ऑपरेशन मिलाप’ के प्रति अपनी अद्वितीय प्रतिबद्धता के जरिए बहादुरी की नयी परिभाषा गढ़ने वाली दिल्ली पुलिस की हेड कांस्टेबल सीमा देवी और सुमन हुड्डा आकर्षण का मुख्य केंद्र रहीं।
बयान में बताया गया कि इन अधिकारियों ने केवल नौ महीने में तीन राज्यों से 104 बच्चों को तस्करों के चंगुल से बचाकर उन्हें उनके परिवारों से मिलाया।
इस मौके पर जैन ने कहा, ‘‘हमारा उद्देश्य ‘टाइम्स नाउ हीरोज’ के जरिए उन साधारण लोगों की असाधारण ताकत को सामने लाना है जो करुणा, साहस और उद्देश्य के साथ समाज का नेतृत्व करते हैं। इस पहल का मकसद असल जीवन के उन नायकों के बारे में बताना है जो लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं, जो साहस और निस्वार्थ भाव से कार्य करके लोगों के जीवन को बदलते हैं और हमारे समाज के ताने-बाने को मजबूत करते हैं।’’
सीमा देवी ने ‘टाइम्स हीरोज अवार्ड’ प्राप्त करने के बाद कहा, ‘‘यह सब करने से मुझे संतुष्टि मिलती है। मुझे एक अभिभावक के रूप में अपने स्वयं के अनुभवों से प्रेरणा मिलती है। हम ड्यूटी पर सिर्फ वर्दी ही नहीं पहनते। जब हमें कोई बच्चा मिलता है तो हम बिल्कुल एक मां या बहन की तरह उसे समझने और उससे एक रिश्ता बनाने की कोशिश करते हैं।’’
उन्होंने 13 से 17 वर्ष की आयु के किशोरों को निशाना बनाकर किए जाने वाले सोशल मीडिया अपराधों में खतरनाक वृद्धि पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, ‘‘मानव तस्करी को रोकने के लिए पहला कदम यह है कि भीख मांगने वाले बच्चों को पैसे देना बंद कर दिया जाए। अगर आप पैसे देना बंद कर देंगे, तो आपको सड़कों पर कम बच्चे दिखेंगे। प्रयास करें।’’
सुमन हुड्डा ने कहा, ‘‘बच्चों को उनके परिवारों से फिर से मिलाने पर मुझे बहुत गर्व और राहत महसूस होती है। हम बच्चों और उनके परिवारों से भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं। बच्चे अपने माता-पिता से कुछ भी बात करने से कतराते हैं क्योंकि वे उनसे नाराज होते हैं लेकिन वे हमें मार्गदर्शक मानकर हमें सुनते हैं।’’
भाषा सिम्मी मनीषा
मनीषा
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