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Friday, 15 November, 2024
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SDM थप्पड़ विवाद: कांग्रेस के बागी, ​​पूर्व छात्र नेता और किरोड़ी लाल के शिष्य नरेश मीणा गिरफ्तार

राजनीति में मीणा का प्रवेश 2003 में शुरू हुआ जब वे राजस्थान विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव चुने गए. उनके समर्थक उन्हें प्यार से ‘छोटा किरोड़ी’ कहते थे.

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नई दिल्ली: मतदान केंद्र के बाहर सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) को थप्पड़ मारने के आरोप में गिरफ्तार किए गए कांग्रेस के बागी नरेश मीणा ने राजस्थान में विपक्षी पार्टी में शामिल होने से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिग्गज किरोड़ी लाल मीणा से राजनीति का पहला पाठ सीखा.

मीणा को गुरुवार दोपहर राजस्थान पुलिस ने गिरफ्तार किया, लेकिन इससे पहले बुधवार रात टोंक के समरवता गांव में उनके समर्थकों की पुलिस के साथ झड़प हुई थी, जो गुरुवार को भी जारी रही. झड़पों में दर्जनों लोग घायल हो गए, जबकि कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया.

राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) एसोसिएशन पहले से ही हड़ताल पर है और मांग कर रही है कि मीणा को गिरफ्तार किया जाए, जिन्होंने देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव में बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा था. उन्होंने कैमरों के सामने मालपुरा के एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मारा था. एसोसिएशन ने कहा है कि जब तक उन्हें मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मिलने की अनुमति नहीं दी जाती, तब तक हड़ताल जारी रहेगी.

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, “जब लोग कानून अपने हाथ में लेते हैं, तो सरकार अपनी विश्वसनीयता खो देती है. ऐसी स्थिति क्यों पैदा हुई कि एक एसडीएम को थप्पड़ मारा गया?”

दिप्रिंट यहां आपको मीणा के उत्थान और उनकी राजनीतिक यात्रा के दौरान विभिन्न प्रकरणों के बारे में बता रहा है.

मीणा की राजनीति में शुरुआत 2003 में हुई जब वे राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्र संघ के महासचिव चुने गए. जोधपुर के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष रहे शिव रवींद्र सिंह भाटी के विपरीत, मीणा को 2023 के राजस्थान विधानसभा चुनावों में बारां से चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस से टिकट नहीं मिला.

2023 में उन्होंने बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा और बारां में 44,000 वोट पाकर कई लोगों को चौंका दिया. कांग्रेस ने बारां जिले की सभी सीटें खो दीं. यहां तक ​​कि कांग्रेस के मंत्री प्रमोद जैन भाया, जो मीणा को टिकट देने के खिलाफ थे, अंता में हार गए.

इस बार, मीणा देवली-उनियारा से चुनाव टिकट के लिए शीर्ष दावेदार थे, जो हरीश मीणा के लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद खाली हुई थी, लेकिन बाद में कहा गया कि वे मीणा के नामांकन के खिलाफ थे और टिकट केसी मीणा को मिल गया.

राजस्थान कांग्रेस के एक नेता ने दिप्रिंट को बताया, “वे एक बागी हैं, जिन्हें विधानसभा और लोकसभा दोनों चुनावों में टिकट नहीं मिला. उन्होंने विधानसभा चुनाव में वोटों का बंटवारा करके कांग्रेस उम्मीदवार को हराया. कांग्रेस उम्मीदवार 5,000 वोटों से हार गए.”

देवली-उनियारा में मीणा और गुज्जर समुदाय की अच्छी खासी मौजूदगी है, जहां उम्मीदवार इन दो प्रतिद्वंद्वी समुदायों से हैं. परंपरागत रूप से कांग्रेस ने मीणा का समर्थन किया है, जबकि भाजपा ने चुनावों में गुज्जर उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है.

2008 के राजस्थान चुनावों में कांग्रेस उम्मीदवार राम नारायण मीणा ने इस निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा के नाथूराम गुज्जर को हराया था. पांच साल बाद, भाजपा के राजेंद्र गुज्जर ने मौजूदा विधायक को हराया. पिछले साल, कांग्रेस ने फिर से पूर्व विधायक पर दांव लगाया, जिन्होंने भाजपा के विजय बैंसला को हराया.

भाजपा ने इस साल उपचुनाव में विजय बैंसला को मैदान में उतारा है. हालांकि कांग्रेस ने नरेश मीणा को मनाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माने और बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़े.

पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता प्रहलाद गुंजल ने दिप्रिंट को बताया, “मैंने उन्हें समझाने की कोशिश की कि वे चुनाव में न उतरें क्योंकि वे युवा हैं और अगली बार चुनाव लड़ सकते हैं…मुझे नहीं पता कि उन्होंने कांग्रेस के दबाव के बावजूद चुनाव लड़ने का फैसला क्यों किया. जब मैं भाजपा में था, तब उनकी पत्नी ने जिला पंचायत चुनाव लड़ा था. वे एक युवा नेता हैं…हालांकि, मैंने पार्टी नेताओं को उन्हें चुनाव टिकट देने के लिए मनाने की पूरी कोशिश की, लेकिन वह नहीं माने.”

अपने समर्थकों द्वारा लोकप्रिय रूप से ‘छोटा किरोड़ी’ कहे जाने वाले नरेश मीणा एक समय किरोड़ी लाल मीणा को अपना गुरु मानते थे. 2017 में उन्होंने किरोड़ी लाल मीणा के माथे पर ‘तिलक’ करने के लिए अपनी उंगली काटकर सुर्खियां बटोरीं. हालांकि, वैचारिक मतभेदों के कारण दोनों अलग हो गए, लेकिन दोनों मीणा नेताओं ने अपने संबंध नहीं तोड़े.

राजस्थान कांग्रेस के एक अन्य नेता ने दिप्रिंट को बताया, “देवली-उनियारा में भाजपा की जीत में मदद करने के लिए नरेश मीणा के निर्दलीय उम्मीदवार लड़ने के पीछे किरोड़ी लाल का हाथ है. किरोड़ी लाल के छोटे भाई जगमोहन मीणा पड़ोसी दौसा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां भाजपा के दिग्गज की प्रतिष्ठा दांव पर है…किरोड़ी लाल का राजस्थान उपचुनावों में बड़ा दांव है क्योंकि उन्होंने घोषणा की थी कि अगर भाजपा राजस्थान के पूर्वी क्षेत्र में अपने गढ़ में नहीं जीतती है तो वे कार्यभार नहीं संभालेंगे.”

टोंक जिले के भाजपा अध्यक्ष अजीत सिंह मेहता ने दिप्रिंट को बताया कि निर्दलीय उम्मीदवार विवादों में घिरे रहे हैं. मेहता ने कहा, “उनका 23 से अधिक मामलों में शामिल होने का रिकॉर्ड है, जिसमें आगजनी से जुड़े मामले भी शामिल हैं. सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी…वैसे भी, भाजपा उनके समर्थन के साथ या उनके बिना सीट जीत रही है.”

कांग्रेस के बागी किरोड़ी लाल मीणा की मदद कर रहे हैं या नहीं, यह तो 23 नवंबर को नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा, लेकिन उन्होंने मीणा के मजबूत नेता पर अपनी उम्मीदें लगाने की बात कही.

जब पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने गई, उन्होंने कहा, “मेरे सभी गिरफ्तार समर्थक निर्दोष हैं. हिंसा पुलिस ने की है. मुझे किरोड़ी लाल मीणा के अलावा किसी से कोई उम्मीद नहीं है.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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