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Wednesday, 18 December, 2024
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साल 2024 का सबसे गर्म वर्ष होना लगभग तय : यूरोपीय जलवायु एजेंसी

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नयी दिल्ली, सात नवंबर (भाषा) यूरोपीय जलवायु परिवर्तन एजेंसी ‘कॉपरनिकस’ ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह लगभग तय है कि साल 2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष होगा और औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक काल की तुलना में कम से कम 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहेगा।

यूरोपीय जलवायु एजेंसी ने बताया कि यह दूसरा वर्ष है जब इतिहास में सबसे गर्म अक्टूबर दर्ज किया गया है।

यह घोषणा संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन से पहले की गई है, जो 11 नवंबर को अजरबैजान के बाकू में शुरू हो रहा है। शिखर सम्मेलन में देशों से जलवायु संबंधी नए वित्तीय सहायता समझौते पर सहमत होने की उम्मीद है, जिसे विकसित देशों को 2025 से विकासशील देशों को प्रदान करना होगा ताकि उन्हें जलवायु परिवर्तन से निपटने और अनुकूलन में मदद मिल सके।

कॉपरनिकस के निदेशक कार्लो बुओनटेंपो ने कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि तापमान में निरंतर वृद्धि चिंताजनक है।’’

बुओनटेंपो ने कहा कि आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि अगर वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की निरंतर वृद्धि के कारण ग्लोबल वार्मिंग नहीं होती, तो धरती पर रिकॉर्ड तोड़ तापमान का इतना लंबा क्रम देखने को नहीं मिलता।

बुओनटेंपो और अन्य वैज्ञानिकों का कहना है कि तापमान में लंबे समय तक उतार-चढ़ाव का यह सिलसिला एक बुरा संकेत है।

कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) की उप निदेशक सामंथा बर्गेस ने कहा, ‘‘2024 के 10 महीने बीतने के बाद अब यह लगभग तय है कि 2024 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्ष होगा। यह पूर्व-औद्योगिक काल के स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान वाला पहला वर्ष होगा। यह वैश्विक तापमान रिकॉर्ड में एक नया मील का पत्थर है, जो आगामी जलवायु परिवर्तन सम्मेलन ‘सीओपी29’ में जलवायु संबंधी लक्ष्य को पाने की महत्वाकांक्षा बढ़ाने के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम करना चाहिए।’’

सी3एस के वैज्ञानिकों ने कहा कि 2023 के बाद इस साल भी अक्टूबर वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे गर्म महीना रहा, जब औसत सतही वायु तापमान 15.25 डिग्री सेल्सियस रहा, जो 1991-2020 के दौरान अक्टूबर के महीने में औसत तापमान से 0.80 डिग्री सेल्सियस अधिक था।

उन्होंने कहा कि 2023 का तापमान पूर्व-औद्योगिक काल के स्तर से 1.48 डिग्री सेल्सियस अधिक है, इसलिए यह भी लगभग निश्चित है कि 2024 का वार्षिक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक होगा और इसके 1.55 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने की संभावना है।

पेरिस में 2015 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में विश्व नेताओं ने जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचने के लिए वैश्विक औसत तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने की प्रतिबद्धता जताई थी।

सी3एस ने कहा कि यूरोप, उत्तरी कनाडा में तापमान औसत से अधिक था तथा मध्य और पश्चिमी अमेरिका, उत्तरी तिब्बत, जापान और ऑस्ट्रेलिया में तापमान औसत से काफी अधिक था।

भारत में 1901 के बाद से अक्टूबर सबसे गर्म महीना रहा, जिसमें औसत तापमान सामान्य से 1.23 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने नवंबर के और गर्म होने का अनुमान जताया है।

भाषा

सुरभि शोभना नरेश

नरेश

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यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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