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Sunday, 3 November, 2024
होमदेशफ्लाइट में बम होने की धमकी चाहे सच हो या शरारत, पर इसकी कीमत 'वास्तव' में चुकानी पड़ रही है

फ्लाइट में बम होने की धमकी चाहे सच हो या शरारत, पर इसकी कीमत ‘वास्तव’ में चुकानी पड़ रही है

पिछले कुछ हफ़्तों में 510 से ज़्यादा विमान, बम होने की झूठी धमकियों की चपेट में आ चुके हैं. गिरफ़्तारियों और सिख कट्टरपंथी संबंधों के संदेह के बावजूद, अधिकारियों के पास अभी भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं है.

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नई दिल्ली: भारतीय विमानन क्षेत्र गंभीर उथल-पुथल से गुज़र रहा है. लगभग दो हफ़्तों में, 510 से ज़्यादा घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें बम की झूठी धमकियों की चपेट में आ चुकी हैं, जिसकी वजह से उड़ानों में देरी, आपातकालीन लैंडिंग, एयरलाइनों के लिए लागत में उछाल और आसमान में दहशत का माहौल है. एयर इंडिया, इंडिगो, स्पाइसजेट और विस्तारा जैसी भारतीय एयरलाइन्स को इसका खामियाज़ा भुगतना पड़ा है. मंगलवार को हद तो तब हो गई जब 100 से ज़्यादा उड़ानों को निशाना बनाया गया.

उड़ानों में बम की धमकियों की यह अभूतपूर्व लहर 2014 से 2017 तक तीन सालों में दर्ज की गई 120 से चार गुना ज़्यादा है, यह आखिरी अवधि है जिसके लिए आधिकारिक डेटा उपलब्ध है.

यही कारण है कि उड़ानों पर ये फर्जी धमकियाँ दिप्रिंट की न्यूज़मेकर ऑफ़ द वीक हैं.

अक्टूबर के मध्य में धमकियां शुरू होने के बाद से, सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ अपराधियों की पहचान करने और आगे की घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल काम कर रही हैं. विभिन्न सुरागों, कुछ गिरफ्तारियों और सिख कट्टरपंथियों के शामिल होने के संदेह के बावजूद, उन्हें अभी तक निर्णायक जवाब नहीं मिल पाए हैं.

इस बीच, एयरलाइंस इस तरह के खतरों से निपटने के लिए सख्त प्रोटोकॉल का पालन कर रही हैं.

एयरलाइन के एक सूत्र ने बताया कि जब बम की धमकी की सूचना मिलती है, तो इसे तुरंत नामित सुरक्षा एजेंसियों के साथ-साथ एयरलाइन की सुरक्षा टीम को भी सूचित किया जाता है. प्रोटोकॉल का पालन करते हुए, संबंधित विमान को एक आइसोलेशन बे में ले जाया जाता है, जहाँ सुरक्षा अधिकारी इसकी जांच करते हैं.

सूत्र ने कहा, “यात्रियों और चालक दल को बाहर निकाला जाता है, जिसके बाद विमान की उनकी (सुरक्षा एजेंसी) टीमों द्वारा गहन जांच की जाती है. पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विमान, सामान और कार्गो पर ये जांच की जाती है.”

शरारत या साजिश?

धमकियां शुरू होने के कुछ ही दिनों बाद, केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने उनमें से कुछ को लंदन और जर्मनी के आईपी एड्रेस पर ट्रेस किया. कुछ गिरफ्तारियां भी की गई हैं.

16 अक्टूबर को मुंबई पुलिस ने छत्तीसगढ़ के एक 17 वर्षीय स्कूल ड्रॉपआउट को हिरासत में लिया, जिसने कथित तौर पर पैसे के विवाद के चलते एक दोस्त को फंसाने के लिए 14 अक्टूबर को चार फ्लाइट्स में बम होने की धमकियां दी थीं. पिछले हफ़्ते, दिल्ली के एक 25 वर्षीय बेरोज़गार व्यक्ति को भी इसी तरह की धमकियां देने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने दावा किया कि उस व्यक्ति ने सिर्फ़ खुद की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए धमकियां देने की बात स्वीकार की.

फिर इस हफ़्ते, नागपुर पुलिस ने दावा किया कि उन्होंने एक और संदिग्ध की पहचान की है- 35 वर्षीय जगदीश उइके, जो आतंकवाद पर एक किताब के लेखक हैं. कई धमकियों के लिए ज़िम्मेदार माने जाने वाले उइके को बुधवार को गोंदिया से हिरासत में लिया गया.

इस स्थिति को वैश्विक स्तर पर भी काफ़ी कवरेज मिली है. द गार्डियन ने इसे “नकली बम धमकियों में अभूतपूर्व उछाल” कहा. इसने यह भी उजागर किया कि भारतीय विमानन अधिकारियों और जांचकर्ताओं को अभी भी धमकियों के पीछे के स्रोत और उद्देश्यों का पता लगाना बाकी है, जिनमें से कई ईमेल के ज़रिए भेजे गए थे या एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर गुमनाम रूप से पोस्ट किए गए थे.

इसने कहा, “भारत के एयरलाइन उद्योग पर इसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा है. नियम एयरलाइनों को हर खतरे पर कार्रवाई करने के लिए बाध्य करते हैं, जिसका मतलब है कि दर्जनों विमानों को अपना मार्ग बदलना पड़ा और आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी.”

इन “झूठी धमकियों” ने सीएनएन का भी ध्यान खींचा – “अधिकारियों द्वारा सुरक्षा उपाय बढ़ाने, कानूनी सजा की धमकी देने, एयरलाइनों को संतुष्ट करने और घबराए हुए यात्रियों को आश्वस्त करने के बावजूद.”

लेकिन इसमें एक बड़ी साजिश के होने का भी संदेह है.

भारत ने अब अपराधियों का पता लगाने में मदद के लिए एफबीआई और इंटरपोल से संपर्क किया है. भारतीय अधिकारी कथित तौर पर उन सभी सुरागों की तलाश कर रहे हैं जो कॉल को अमेरिका में सिख कट्टरपंथी समूहों से जोड़ सकते हैं.

पिछले हफ़्ते एक प्रसारण में, सिख फॉर जस्टिस के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू – एक नामित आतंकवादी जो भारत में कई मामलों में वांछित है – ने “भारत को आर्थिक रूप से बर्बाद करने” के लिए 1 से 19 नवंबर तक एयर इंडिया का “बहिष्कार” करने का आह्वान किया था.

क्या किया जा रहा है?

फर्जी धमकियों की वजह से सरकार कार्रवाई करने के लिए मजबूर हुई है. केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने कहा है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां ​​एयरलाइनों के खिलाफ बम की धमकियों के सभी मामलों की सक्रियता से जांच कर रही हैं, सरकार स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रही है. सरकार सख्त मानदंडों पर भी विचार कर रही है, जिसमें अपराधियों को नो-फ्लाई सूची में डालना शामिल है.

नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) ने “विकसित हो रही सुरक्षा चुनौतियों”, विशेष रूप से सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रही फर्जी बम धमकियों की “उभरती प्रवृत्ति” के जवाब में नागरिक उड्डयन सुरक्षा के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं. अपडेट किए गए दिशा-निर्देशों के तहत, बम की धमकी की गंभीरता का आकलन करते समय अब ​​कई कारकों पर विचार किया जाएगा, जिसमें सोशल मीडिया अकाउंट की गुमनाम या छद्म नाम वाली प्रकृति, भू-राजनीतिक संदर्भ और विमान में वीआईपी की मौजूदगी शामिल है.

भारत में, BCAS और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) विमानन सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हैं और नागरिक उड़ान सुरक्षा के लिए मानक निर्धारित करते हैं. हालांकि, जैसा कि CNN की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है, मौजूदा प्रोटोकॉल पुराने कानूनों पर आधारित हैं. रिपोर्ट में विमानन विशेषज्ञ संजय लाजर के हवाले से कहा गया है कि 1982 के एक कानून के तहत, जिसे आखिरी बार 2010 में संशोधित किया गया था, “हर खतरे को ध्यान में रखा जाना चाहिए” – भले ही कानून सोशल मीडिया जैसी आधुनिक चुनौतियों को ध्यान में नहीं रखता है, जो कार्य को जटिल बनाते हैं.

हालांकि, फर्जी धमकियां भेजने वाले अपराधियों की पहचान करना महत्वपूर्ण है, लेकिन गंभीर खतरों की पहचान करने के लिए अपडेट किए गए BCAS नियम उड़ानों में देरी और डायवर्जन की संख्या को कम करने में मदद कर सकते हैं.

इस बीच, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने भी कदम उठाया है, इन फर्जी धमकियों के प्रसार को रोकने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को एक सलाह जारी की है. MeitY ने सोशल प्लेटफॉर्म से सख्त सावधानी बरतने, फर्जी धमकियों को तुरंत हटाने और अधिकारियों के साथ सहयोग करने का आग्रह किया है – या तीसरे पक्ष की सामग्री के लिए अपनी प्रतिरक्षा खोने का जोखिम उठा सकते हैं.

एडवाइजरी में कहा गया है, “सोशल मीडिया बिचौलियों द्वारा उपलब्ध कराई गई या होस्ट की गई किसी भी तीसरे पक्ष की जानकारी, डेटा या संचार लिंक के लिए आईटी अधिनियम की धारा 79 के तहत देयता से छूट लागू नहीं होगी, यदि ऐसे मीडिएटर आईटी अधिनियम के तहत निर्धारित उचित दायित्वों का पालन नहीं करते हैं या गैरकानूनी कार्य करने में सहायता करते हैं.”

एडवाइजरी में कहा गया है कि ये फर्जी बम धमकियां, जो बड़ी संख्या में नागरिकों को प्रभावित करती हैं, देश की आर्थिक सुरक्षा के लिए जोखिम पैदा करती हैं. इसने यह भी चेतावनी दी कि इस तरह की गलत सूचनाओं के तेजी से प्रसार को सोशल मीडिया फीचर जैसे कि फॉरवर्डिंग, री-शेयरिंग और री-पोस्टिंग द्वारा खतरनाक रूप से बढ़ाया गया है.

इसमें कहा गया है, “इस तरह की झूठी बम धमकियां अधिकतर गलत सूचनाएं होती हैं, जो सार्वजनिक व्यवस्था, एयरलाइनों के संचालन और एयरलाइन यात्रियों की सुरक्षा को बड़े पैमाने पर बाधित करती हैं.”

आखिरकार, भले ही धमकियां झूठी हों, लेकिन भारत के विमानन क्षेत्र और यात्रियों के लिए इसका असर बहुत वास्तविक है.

(व्यक्त किए गए विचार निजी हैं)

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.) 


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