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Thursday, 3 October, 2024
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कर्नाटक : मैसूर में धार्मिक और पारंपरिक उत्साह के साथ भव्य दशहरा उत्सव शुरू

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मैसुरु, तीन अक्टूबर (भाषा) मैसुरु में धार्मिक और पारंपरिक उत्साह के बीच बृहस्पतिवार को 10 दिवसीय प्रसिद्ध दशहरा समारोह शुरू हुआ और प्रसिद्ध लेखक एवं विद्वान हम्पा नागराजैया ने उत्सव का उद्घाटन किया।

राज्य उत्सव ‘नाडा हब्बा’ के रूप में मनाए जाने वाले दशहरा उत्सव के इस वर्ष भव्य होने की उम्मीद है, जिसमें कर्नाटक की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं के साथ राजवंशों के ठाठ और गौरव की झलक दिखाई देंगी। दशहरा को यहां ‘शरण नवरात्रि’ भी कहा जाता है।

नागराजैया ने यहां चामुंडी पहाड़ियों पर स्थित चामुंडेश्वरी मंदिर परिसर में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मैसूरु और उसके राजघरानों की अधिष्ठात्री देवी चामुंडेश्वरी की प्रतिमा पर पुष्प वर्षा कर शुभ ‘‘वृश्चिक लग्न’’ के दौरान उत्सव का उद्घाटन किया।

उनके साथ मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार, राज्य मंत्रिमंडल के कई मंत्री तथा अन्य लोग भी मौजूद रहे।

नागराजैया मुख्यमंत्री और अन्य व्यक्तियों के साथ चामुंडेश्वरी मंदिर भी गए और उद्घाटन से पहले ‘‘नाद देवाते’’ ( राज्य देवी) की पूजा-अर्चना की।

नवरात्रि के दौरान यहां मैसूरु के महल, प्रमुख सड़कों, मोड़ों या सर्किलों और इमारतों में ‘‘दीपलंकारा’’ होगा यानी इन्हें रोशनी से जगमग किया जाएगा।

राज्य भर से 508 सहित लगभग 6,500 कलाकार करीब 11 मंचों पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में प्रस्तुति देंगे।

इसके अलावा खाद्य मेला, पुष्प प्रदर्शनी, सांस्कृतिक कार्यक्रम, किसान दशहरा, महिला दशहरा, युवा दशहरा, बच्चों का दशहरा और कविता पाठ भी लोगों को आकर्षित करेंगे।

जिला प्रशासन के अनुसार, इस वर्ष दशहरा के दौरान कोई ‘एयर शो’ नहीं होगा।

यहां महल में नवरात्रि समारोह में मैसूरु राजपरिवार के वंशज यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार भव्य पोशाक पहनकर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच स्वर्ण सिंहासन पर चढ़कर ‘खासगी दरबार’ (निजी दरबार) का आयोजन करते हैं।

विजयादशमी के अवसर पर 12 अक्टूबर को 10 दिवसीय उत्सव के समापन के दौरान सोने के सिंहासन में रखी देवी चामुंडेश्वरी की प्रतिमा को सजे-धजे हाथियों पर रखकर शोभा यात्रा निकाली जाएगी। यह अनुष्ठान ‘जम्बू सवारी’ कहलाता है।

आखिरी दिन 12 अक्टूबर को शुभ मुहूर्त पर नंदी ध्वज पूजा और मुख्यमंत्री व अन्य गणमान्यों द्वारा चामुंडेश्वरी पर पुष्प वर्षा के बाद अंबाविलास पैलेस परिसर से शोभायात्रा शुरू होगी। करीब छह किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद यह बन्नी मंडप में समाप्त होगी।

मैसूर में सबसे पहले उत्सव की शुरुआत राजा वाडियार प्रथम द्वारा वर्ष 1610 में की गई थी।

भाषा यासिर मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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