नयी दिल्ली, 25 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को अदालती कार्यवाही के दौरान कर्नाटक उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश की कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों पर स्वत: संज्ञान लेकर शुरू किए गए मामले की कार्यवाही बंद करते हुए बुधवार को कहा कि किसी गलत बात पर परदा डालना कोई समाधान नहीं है बल्कि उसका सामना किया जाना चाहिए।
सोशल मीडिया मंचों पर अनधिकृत रूप से क्लिप साझा किए जाने पर रोक के लिए न्यायिक कार्यवाही के सीधे प्रसारण पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के सख्त दिशा-निर्देश के मद्देनजर ये टिप्पणियां महत्वपूर्ण हैं।
उच्च न्यायालय का दिशानिर्देश न्यायाधीश की कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद आया था। उसके बाद सर्वोच्च अदालत ने स्वत: संज्ञान लिया था।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सोशल मीडिया पर नियंत्रण नहीं रखा जा सकता और इससे जुड़ी गोपनीयता इसे ‘‘बहुत खतरनाक’’ बनाती है।
इस पर प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘लेकिन मैं आपको बता दूं कि किसी गलत बात पर परदा डालना कोई समाधान नहीं है बल्कि उसका सामना किया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि इसका जवाब कूपमंडूक बने रहना नहीं है।
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