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Monday, 28 October, 2024
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2013 से 2022 के बीच भारत में हीटवेव के कारण हुईं 10 हज़ार से ज्यादा मौतें, सबसे ज्यादा आंध्र प्रदेश में

संसद में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने एनसीआरबी के आंकड़े साझा किए. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में गर्मी के दिनों की संख्या आंध्र प्रदेश से दोगुनी रही, लेकिन आंध्र प्रदेश में अधिक मौतें दर्ज की गईं.

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नई दिल्ली: बुधवार को लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 2013 से 2022 के बीच पूरे भारत में हीटवेव के कारण 10,000 से अधिक मौतें हुईं.

संसदीय प्रश्न के लिखित उत्तर में, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़े साझा किए.

आंकड़ों से पता चला कि कुल 10,617 मौतें हुईं, जिनमें आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब और बिहार सबसे अधिक प्रभावित राज्य रहे, जहां क्रमशः 2,203, 1,485, 1,172, 1,030 और 938 मौतें हुईं.

केंद्र शासित प्रदेशों के संदर्भ में दिए गए आंकड़ों से पता चला है कि इस अवधि में हीटवेव से होने वाली 18 मौतें दिल्ली और जम्मू-कश्मीर तक सीमित रहीं.

2014 से 2024 के बीच, 219 गर्मी के दिनों में, उत्तर प्रदेश में आंध्र प्रदेश की तुलना में हीटवेव वाले दिनों की संख्या दोगुनी थी, लेकिन आंध्र प्रदेश में हीटवेव से होने वाली सवार्धिक मौतें दर्ज की गईं.

तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के निशान को पार करने के साथ ही इस अभूतपूर्व गर्मी ने तापमान के 80 साल के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. उत्तर और मध्य भारत के कई क्षेत्रों में इस साल लंबे समय तक तेज़ गर्मी देखी गई.

इस साल राष्ट्रीय चुनाव भीषण गर्मी के साथ हुए, जिसमें बिहार, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में कई लोगों की जान चली गई, जिसमें कुछ चुनाव अधिकारी भी शामिल थे.

द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) नेता कनिमोझी करुणानिधि ने भी चुनाव के दौरान हीटवेव के कारण ड्यूटी पर मरने वाले सरकारी कर्मचारियों के परिवारों को मिलने वाले मुआवजे के बारे में मंत्रालय से सवाल किया.

इस पर मंत्री ने जवाब दिया कि राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) और राज्य आपदा शमन कोष (एसडीएमएफ) के पास राज्य के आपदा प्रबंधन से संबंधित मुद्दों के लिए संसाधन हैं. आगे की वित्तीय सहायता के लिए, राज्य संबंधित दिशा-निर्देशों के अनुसार आपदा प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार के फंड का लाभ उठा सकते हैं.

24 जुलाई को बजट सत्र में वाईएसआरसीपी के पीवी मिधुन रेड्डी द्वारा गर्मी की संवेदनशीलता और हॉटस्पॉट मैपिंग के लिए सरकार की तैयारियों के बारे में पूछे गए पिछले सवाल का जवाब देते हुए, मंत्री ने कहा, “भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) अलग-अलग स्थानिक और लौकिक पैमानों पर हीटवेव सहित गंभीर मौसम की घटनाओं से संबंधित पूर्वानुमान और चेतावनियां जारी करता है और उन्नत भू-स्थानिक तकनीकों का उपयोग करके आवश्यक शमन उपाय शुरू करने के लिए जनता और आपदा प्रबंधन अधिकारियों के साथ साझा करता है.”

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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