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Monday, 9 December, 2024
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मकर द्वार पर ‘नो एंट्री’; मीडिया के लिए ‘रेग्युलेटेड’ जगह- संसद के लिए नए नियमों पर हो रहा विचार

सभी के लिए रिसेप्शन एरिया जैसी अन्य अतिरिक्त सुविधाएं भी पाइपलाइन में हैं. विपक्षी नेताओं ने मीडिया को एक कमरे के अंदर तक सीमित करने के विचार का विरोध किया है.

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नई दिल्ली: दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक संसद परिसर में मीडिया के लिए कांच का वह घेरा, जिसकी पत्रकारों और विपक्षी नेताओं ने आलोचना की थी, उसके स्थायी होने की संभावना है क्योंकि लोकसभा सचिवालय, प्रेस के लिए “रेग्युलेटेड” स्थान पर विचार कर रहा है.

सभी के लिए रिसेप्शन एरिया जैसी अन्य अतिरिक्त सुविधाएं भी पाइपलाइन में हैं.

सरकार के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, “विचार यह है कि पत्रकार संसद के प्रवेश द्वारा मकर द्वार पर इकट्ठा नहीं हों और मीडिया के लोगों के लिए एक रेग्युलेटेड और निर्दिष्ट स्थान होना चाहिए.”

विपक्ष के नेता (एलओपी) और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी (एसपी) प्रमुख अखिलेश यादव और आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने मीडिया को एक कमरे के अंदर तक सीमित करने का जोरदार विरोध किया है.

लोकसभा सचिवालय के प्रमुख, लोकसभा अध्यक्ष ने सोमवार को पत्रकारों से भी मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी समस्याओं पर विचार किया जाएगा.

योजना से जुड़े सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि इन अतिरिक्त फेसिलिटीज़ की सुरक्षा करने के लिए सचिवालय इस परिसर में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के कर्मियों की संख्या में और वृद्धि कर सकता है. वर्तमान में सुरक्षा के लिए और संसदीय परिसर में प्रवेश करने वाले वाहनों की तलाशी, सामान की जांच जैसे विभिन्न कर्तव्यों का पालन करने के लिए लगभग 3300 सीआईएसएफ कर्मियों को तैनात किया गया है.

एक अन्य सरकारी सूत्र ने कहा, “नई फेसिलिटीज़ के कारण परिसर में सीआईएसएफ की तैनाती का स्तर और संख्या बढ़ने जा रही है.”

पिछले दिसंबर में जब दो व्यक्ति विज़िटर्स गैलरी से लोकसभा की बेंचों पर कूद गए थे, सुरक्षा में भंग होने के बाद सरकार ने संसद परिसर की सुरक्षा का पुनर्मूल्यांकन किया था. गृह मंत्रालय ने तब सुरक्षा उद्देश्यों के लिए परिसर में सीआईएसएफ को तैनात किया था.

दिप्रिंट ने बताया था कि मई में सीआईएसएफ ने लोकसभा और राज्यसभा दोनों के रिसेप्शन काउंटरों पर सीसीटीवी कंट्रोल रूम, वीकल ऐक्सेस और पास सेक्शन के प्रबंधन के अधिकारों जैसे सभी महत्वपूर्ण पहलुओं की पूरी कमान संभाल ली थी.

इसके बाद, एक “समझ” बनी कि सीआईएसएफ को प्रोटोकॉल की जिम्मेदारी भी मिलेगी जो पहले संसदीय सुरक्षा सेवाओं को सौंपी गई थी. इससे लोकसभा सचिवालय की स्वायत्तता को लेकर चिंताएं पैदा हुईं, क्योंकि सीआईएसएफ को सेवारत सांसदों के लिए प्रोटोकॉल के बारे में काफी हद तक जानकारी नहीं थी.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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