नई दिल्ली: सोमवार से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र से पहले रविवार को आयोजित सर्वदलीय बैठक में बिहार, आंध्र प्रदेश और ओडिशा के लिए विशेष दर्जा का मुद्दा छाया रहा.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व सहयोगी बीजू जनता दल (बीजेडी) और युवाजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के साथ-साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में अपने मौजूदा सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) ने अपने-अपने राज्यों के लिए विशेष दर्जा की मांग की.
विपक्ष में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग का समर्थन किया.
बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए जदयू सांसद संजय कुमार झा ने कहा, “बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए, यह हमारी पार्टी की शुरू से मांग रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मांग को लेकर बड़ी रैलियां की हैं. अगर सरकार को लगता है कि ऐसा करने में कोई दिक्कत है तो हमने बिहार के लिए विशेष पैकेज की मांग की है. हमने बिहार में बाढ़ की समस्या को भी उठाया है.”
हालांकि, कांग्रेस नेता जयराम रमेश की एक्स पर की गई एक पोस्ट के अनुसार, भाजपा की दूसरी सहयोगी और आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी की प्रतिद्वंद्वी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने “इस मामले पर अजीब तरह से चुप्पी साधे रखी”.
In today's all-party meeting of floor leaders chaired by Defence Minister Rajnath Singh, the JD(U) leader demanded special category status of Bihar. The YSRCP leader demanded special category status for Andhra Pradesh. Strangely, the TDP leader kept quiet on the matter.
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) July 21, 2024
रमेश ने एक अन्य पोस्ट में लिखा कि बीजद, जो अब विपक्ष में है, ने रक्षा मंत्री सिंह और राज्यसभा के नेता जेपी नड्डा को विधानसभा चुनाव के लिए 2014 के घोषणापत्र में ओडिशा को विशेष दर्जा दिए जाने के भाजपा के वादे की याद दिलाई.
उन्होंने कहा, “राजनीतिक माहौल कितना बदल गया है!” बैठक में मौजूद बीजद सांसद सस्मित पात्रा ने संवाददाताओं से कहा, “ओडिशा दो दशकों से अधिक समय से विशेष श्रेणी के दर्जे से वंचित है…बिहार और आंध्र प्रदेश के राजनीतिक दलों ने भी अपने-अपने राज्यों के लिए विशेष श्रेणी के दर्जे की मांग की है.”
उन्होंने कहा, “दूसरा मुद्दा ओडिशा के लिए कोयला रॉयल्टी में संशोधन न किया जाना है…हमने (बीजद) केंद्रीय निधियों के घटते हस्तांतरण और इस दिशा में काम करने की आवश्यकता के बारे में मुद्दा उठाया…ओडिशा के राज्यपाल के बेटे के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसने राजभवन के एक कर्मचारी की पिटाई की थी, जो बेहद चौंकाने वाला है. ओडिशा राज्य में कानून का पालन नहीं किया जा रहा है.”
वाईएसआरसीपी नेता और राज्यसभा सांसद विजयसाई रेड्डी ने कहा कि पार्टी ने आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जे और राज्य में अराजकता के मुद्दों को उठाया और सरकार से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की अपील की.
उन्होंने मीडिया से कहा, “टीडीपी विशेष श्रेणी के दर्जे का मुद्दा नहीं उठा रही है. उन्होंने लोगों के मुद्दों के साथ समझौता किया है.”
सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि बैठक में वाईएसआरसीपी और टीडीपी नेताओं के बीच तीखी नोकझोंक हुई.
सूत्रों ने बताया कि बैठक में विपक्षी दलों ने सरकार को उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा के आदेश जैसे “विभाजनकारी एजेंडे” को लागू करने से बचने के लिए आगाह किया.
इस बीच, बैठक की अध्यक्षता करने वाले रक्षा मंत्री ने नेताओं को वरिष्ठ नेताओं के भाषणों को बाधित न करने की सलाह दी, उन्होंने पिछले सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को बाधित करने का ज़िक्र किया.
यह भी पढ़ें: सम्मान समारोह, क्रीमी लेयर की आय सीमा बढ़ाने तक — हरियाणा में BJP क्यों दे रही है ओबीसी को फायदे
अन्य प्रमुख मांगें
कांग्रेस नेता जयराम रमेश, के. सुरेश और लोकसभा में पार्टी के उपनेता गौरव गोगोई ने बैठक के दौरान विपक्ष के लिए लोकसभा उपाध्यक्ष पद की मांग की. उन्होंने कहा कि 2014 से पहले अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार से लेकर मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) सरकार तक की सरकारों द्वारा अपनाया गया दृष्टिकोण यही था.
सुरेश ओम बिरला के खिलाफ अध्यक्ष पद के लिए चुनाव में इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार थे. उपसभापति का पद 2019 से 2024 तक खाली था.
ब संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने दोनों सदनों के सुचारू संचालन के लिए सभी दलों से सहयोग मांगा, तो गोगोई ने नीट विवाद और मणिपुर जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग भी उठाई और कहा कि विपक्ष को संसद में मुद्दे उठाने की अनुमति दी जानी चाहिए.
इस बीच, समाजवादी पार्टी (सपा), जो वर्तमान में लोकसभा में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है, ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों और दुकानों पर उनके मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के उत्तर प्रदेश सरकार के विवादास्पद आदेश की आलोचना की. इस आदेश की भाजपा की सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के जयंत चौधरी और केंद्रीय मंत्री तथा लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने भी आलोचना की है.
सपा नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि इस तरह के फैसले से समाज में और विभाजन पैदा होगा. इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी (आप) ने सपा का समर्थन किया.
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी बैठक में इस मामले पर बात की. बैठक के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “हमने कहा कि अगर कोई सरकार संविधान के खिलाफ कोई आदेश पारित करती है तो भारत सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए. इस तरह का आदेश जारी करना अनुच्छेद 17 का उल्लंघन है. वे छुआछूत को बढ़ावा दे रहे हैं. यह जीवन के अधिकार के खिलाफ है, आप आजीविका के खिलाफ हैं.”
विपक्षी दलों ने मणिपुर में संकट से लेकर बेरोज़गारी, नीट पेपर लीक और लगातार ट्रेन दुर्घटनाओं तक के मुद्दों की एक सूची सौंपी, जिन्हें तीन सप्ताह तक चलने वाले बजट सत्र में चर्चा के लिए प्राथमिकता दी जाएगी.
पिछले सत्र के दौरान विपक्ष ने मणिपुर का दौरा न करने और नीट पेपर लीक पर भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के रवैये के लिए पीएम मोदी की आलोचना की थी.
बजट सत्र 22 जुलाई से शुरू होने वाला है और 12 अगस्त 12 तक 19 बैठकें होंगी. पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार 23 जुलाई को अपने तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश करेगी. सत्र के पहले दिन आर्थिक सर्वेक्षण 2024 पेश किया जाएगा.
सरकार 90 साल पुराने एयरक्राफ्ट एक्ट को बदलने वाले विधेयकों सहित छह विधेयक पेश करने और जम्मू-कश्मीर के बजट के लिए संसद की मंजूरी लेने का इरादा रखती है, जो केंद्रीय शासन के अधीन है.
कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने संवाददाताओं से कहा, “जिस तरह से संवैधानिक एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है, किसानों की बिगड़ती हालत, रिकॉर्ड तोड़ बेरोजगारी और महंगाई…मणिपुर, रेल दुर्घटनाएं…हम इन सभी मुद्दों पर चर्चा करना चाहते हैं.”
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता 21 जुलाई को शहीद दिवस रैली के कारण बैठक में उपस्थित नहीं थे. यह रैली टीएमसी द्वारा प्रतिवर्ष 1993 में पश्चिम बंगाल में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेतृत्व वाली वाम मोर्चा सरकार के तहत राज्य सचिवालय तक मार्च के दौरान कोलकाता पुलिस की गोलीबारी की घटना में 13 कांग्रेस समर्थकों की हत्या की याद में मनाई जाती है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: मेघालय के CM संगमा बोले- आगे BJP से गठबंधन की संभावना नहीं, केंद्र को मणिपुर संकट का समाधान करना चाहिए