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Sunday, 6 October, 2024
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दिल्ली में मेनहोल से गाद निकालने के साथ ही पंपों की संख्या बढ़ायी गई: एनडीएमसी सदस्य

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नयी दिल्ली, आठ जुलाई (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 28 जून को हुई भारी बारिश के कारण हुए जलभराव की पुनरावृत्ति रोकने के लिए एनडीएमसी ने जल निकासी पंपों की संख्या बढ़ाने के अलावा मेनहोल और नालों की सफाई तक कई कदम उठाये हैं।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 28 जून को मानसून के पहले दिन 228.1 मिलीमीटर बारिश हुई, जो 1936 के बाद से जून महीने में सबसे अधिक बारिश थी। इससे शहर के कई हिस्से जलमग्न हो गए और कई लोगों की जान चली गई।

नयी दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) के सदस्य कुलजीत सिंह चहल ने कहा कि भारती नगर, जो एक निचला इलाका है और जहां गंभीर जलभराव की सूचना मिली थी, वहां अब पानी निकासी के लिए एक की बजाय तीन पंप हैं। तीन पंपों की कुल क्षमता 500 एचपी है।

इसी तरह, उन्होंने कहा कि सुनहरी पुल नाला डीटीसी बस डिपो में, नगर निगम ने पंपों की संख्या एक से बढ़ाकर चार कर दी है और इन पंपों की कुल क्षमता 200 एचपी है। उन्होंने कहा कि लोधी एस्टेट में भी पंपों की संख्या अब तीन है।

चहल ने इस बात पर जोर दिया कि एनडीएमसी यह सुनिश्चित करने के लिए तैयार है कि एनडीएमसी क्षेत्र में कहीं भी जलभराव न हो।

बारिश के मौसम में एनडीएमसी क्षेत्र में जल निकासी प्रणाली को मजबूत करने के बारे में उन्होंने कहा कि विभागीय श्रमिकों के माध्यम से 11,867 मेनहोल, 8,704 बेल माउथ और 7,177 गली ट्रैप से गाद निकालने का कार्य पहले ही पूरा हो चुका है। चहल ने कहा, ‘इसके अलावा, जरूरत पड़ने पर ड्रेनेज लाइन की सफाई के लिए सुपर सकर मशीनों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। नवीनतम तकनीक का उपयोग करके लगभग 23 किलोमीटर सीवरेज लाइन को मजबूत किया गया है, जिससे सीवर लाइन की वहन क्षमता में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।’

उन्होंने कहा कि एनडीएमसी क्षेत्र में पुरानी सीवरे लाइन को सुधारने के लिए लगभग 50 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।

एनडीएमसी सदस्य ने कहा कि ड्रेनेज पाइप की सफाई और गाद निकालने के कारण ड्रेनेज पाइप की वहन क्षमता में भी लगभग 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा ब्रिगेडियर होशियार सिंह रोड पर कुशक नाले के साथ 1,905 एमएम व्यास की सीवर लाइन पुनरुद्धार कार्य प्रगति पर है।

चहल ने यह भी बताया कि एनडीएमसी क्षेत्र में जनसंख्या में वार्षिक आधार पर 0.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि हालांकि, सीवर क्षमता पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है, क्योंकि एनबीसीसी, एम्स, सेंट्रल विस्टा और अन्य कंपनियां परिसर अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग के सिद्धांत पर विकसित कर रही हैं।

भाषा अमित माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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