नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) चाहेगी कि एनडीए सरकार हर दिन अपने आवास के करीब महिलाओं को 3 घंटे काम करने का अवसर प्रदान करे, और 45 वर्ष से अधिक आयु की शिक्षित महिलाएं जिन्हें शादी, प्रसव या लिंग भेदभाव के कारण अपनी नौकरियां छोड़नी पड़ी थी उनके लिए ‘कार्यालय घरों’ की एक नई मुहिम सत्ताधारी पार्टी के एजेंडे में नव-निर्वाचित महिला सांसदों को दिए गए एक एजेंडा दस्तावेज़ के रूप में सामने आई है.
हालांकि, एनडीए सरकार अपने पहले कार्यकाल में महिलाओं के आरक्षण बिल पर चुप थी, लेकिन बीजेपी चाहती है कि उसकी महिला सांसद इस कार्यकाल में इस बिल को उठाए. 2019 के लोकसभा चुनावों में अपनी शानदार जीत के बाद, भाजपा का मानना है कि महिला मतदाताओं से जो उसे भारी समर्थन मिला है, उसका एक कारण यह भी है कि पार्टी ने इतना अच्छा काम किया.
समर्थन का मुख्य कारण प्रधानमंत्री का इस समुदाय से अपील है.
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पथ प्रदर्शक
17वीं लोकसभा में 78 महिलाएं हैं, जिनमें से 34 अकेले भाजपा से हैं.
भाजपा अपनी महिलाओं को न केवल महिलाओं, बल्कि ट्रांसजेंडरों और बच्चों से संबंधित मुद्दों को उठाने के लिए प्रोत्साहित करके समाज के कमजोर वर्गों के पथ प्रदर्शक के रूप में पेश करना चाहती है.
भाजपा की महिला मोर्चा प्रमुख विजया रहाटकर के परामर्श पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा प्रमुख अमित शाह और पार्टी के नवनियुक्त कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा के मार्गदर्शन में रणनीति को अंतिम रूप दिया गया है.
भाजपा के नए एजेंडा दस्तावेज़ में ‘होममेकर्स’ यानी गृहणियों को एक ऐसे तबके के रूप में प्रस्तुत करना चाहती है जिनकी ताकत का सबसे कम इस्तेमाल हुआ है. और इसके लिए ‘गृह लक्ष्मी केंद्र’ बनाने का प्रस्ताव देती है ताकि उन्हें अपने घरों के पास काम करने के अवसर प्रदान किए जा सकें. यही कारण है कि 45 वर्ष से अधिक उम्र की शिक्षित महिलाओं पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया गया है.
एजेंडे में बिल
पार्टी ने कुछ बिलों को सूचीबद्ध किया है जिसमें यह उम्मीद की जा रही है कि महिला सांसद इसमें ‘सक्रिय रूप से’ भाग लेंगी. उन्हें पास कराने के लिए, या फिर उनके लिए माहौल बनाने के लिए.
इनमें भारत के गैर-निवासियों के विवाह का पंजीकरण, मुस्लिम महिला (विवाह में अधिकारों का संरक्षण) विधेयक शामिल है, जिसे 16वें लोकसभा, सरोगेसी (विनियमन) विधेयक 2016 के भंग होने के बाद पिछले सप्ताह फिर से प्रस्तुत किया गया था. जो राज्यसभा में पारित नहीं किया जा सका, और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक और व्यक्तियों की तस्करी (रोकथाम, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक, जिसका अंजाम भी लगभग भी वही हुआ.
भारत के गैर-निवासी के विवाह पंजीकरण विधेयक एनआरआई द्वारा भारती पत्नियों के शोषण की जांच करना चाहता है. जबकि मुस्लिम महिला बिल का उद्देश्य इंस्टैंट ट्रिपल टैलक बिल अपराधीकरण करना है. सरोगेसी (विनियमन) विधेयक 2016 का उद्देश्य गरीब महिलाओं के शोषण को रोकते हुए उसके व्यवसाय के लिए नियम कानून बनाना है,
दस्तावेज़ ‘जेंडर बजट’ के बारे में भी बात करता है, जिसका अर्थ है बजट तैयार करते समय महिलाओं के हितों को ध्यान में रखना, और समान अधिकारों के लिए राष्ट्रीय महिलाओं की नीति, जिसका मसौदा 2016 में मंत्रियों के एक समूह द्वारा अनुमोदित किया गया था, लेकिन वो अभी भी लंबित है.
अन्य बातों के अलावा, सांसदों को कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए कहा गया है.
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ध्यान केंद्रित करने के लिए नया खंड
डॉक्युमेंट अल्पसंख्यक महिलाओं की समस्याओं पर भी विशेष ध्यान देता है. जिसके अनुसार अल्पसंख्यक महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए एक विशेष कानून पारित किया जाना चाहिए जो ट्रिपल तालक, निकाह, हलाला और महिला जननांग विकृति की शिकार हैं.
इसके बारे में बोलते हुए, एक भाजपा सांसद ने कहा कि इसने महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थापना के लिए ‘विशेष जोर’ दिया जिसमें मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों, सरकारी अस्पतालों में बांझपन का इलाज और आयुष्मान भारत योजना के तहत बलात्कार और एसिड अटैक पीड़ितों का मुफ्त इलाज शामिल है.’
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