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Wednesday, 20 November, 2024
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क्यों रमेश पोखरियाल के मानव संसाधन मंत्रालय में ‘हिंदी’ बनी है सिरदर्द

नए मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने अंग्रेजी पर हिंदी को वरीयता दी है और अधिकारियों को डॉक्यूमेंट गूगल ट्रांसलेट करने के लिए भेजा.

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नई दिल्ली: हिंदी के थोपे जाने पर  देश में भले ही एक तबके के मन में डर व्याप्त हो, लेकिन अभी भी भारत में इसे कहीं थोपा नहीं गया है. जबकि मानव संसाधन मंत्रालय में हिंदी के बढ़ते प्रयोग ने प्रशासनिक अधिकारियों के माथे पर बल जरूर डाल दिया है.

हिंदी के कवि और लेखक रमेश पोखरियाल निशंक पिछले महीने मोदी सरकार की दूसरी पारी में मानव संसाधन मंत्री बने. उन्होंने आते ही ज्यादातर काम हिंदी में कराना शुरू कर दिया. मंत्रालय में काम कर रहे अधिकारियों के लिए ये एक अलग तरह का बदलाव है. कुछ अधिकारियों का कहना है कि पहले ऐसा कभी नहीं हुआ. पिछली किसी सरकार में नहीं.

केंद्रीय कार्यालयों में आधिकारिक काम अंग्रेजी भाषा में होते रहे हैं, खासकर शिक्षा से जुड़े मानव संसाधन मंत्रालय में.

वर्तमान समय में मानव संसाधन मंत्रालय में अधिकारी ट्रांसलेटर पर आश्रित होते हैं. और राज भाषा विभाग में आधिकारिक पेपरों को हिंदी में अनुवाद किया जाने लगा है. एक आधिकारी का कहना है कि गूगल ट्रांसलेशन ज्यादातर आधिकारिक डॉक्यूमेंट काम नहीं कर रहे हैं.


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अधिकारियों को कई अंग्रेजी शब्दों का अर्थ ढ़ूढ़ने में कड़ी मशक्कत झेलनी पड़ रही है. जैसे ‘इंफ्रास्ट्रचर’ टाइप करने पर गूगल ट्रांसलेट इसका अर्थ बताता है ‘अवस्थापना’.

मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘यहां तक ​​कि अगर पूरा दस्तावेज अंग्रेजी में है, तब भी जो डॉक्यूमेंट मंत्री के हस्ताक्षर के लिए भेजे जाते हैं उसके अंत में एक पैराग्राफ हिंदी में होना चाहिए.’

धाराप्रवाह भाषा नहीं होना एक दिक्कत

मंत्रालय के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि इन सब बदलाव के पीछे वजह है कि पोखरियाल अंग्रेजी भाषा में धाराप्रवाह नहीं हैं और यहां तक ​​कि हिंदी में बातचीत पसंद करते हैं.

मानव संसाधन मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘मंत्री के साथ बातचीत के दौरान भी, अगर एक अंग्रेजी शब्द का उपयोग किया जाता है, तो उनका अनुवादक हिंदी में अनुवाद करता है. हम समझते हैं कि वह अंग्रेजी में धाराप्रवाह नहीं हैं और इसलिए हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश करते हैं कि हम उससे बात करते समय अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल करने से यथासंभव हो सके बचें.’


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दस दिन पहले, मानव संसाधन विकास मंत्रालय को कवर करने वाले कुछ पत्रकारों ने व्हाट्सएप ग्रुप में विरोध किया कि पीआईबी ने उन्हें अंग्रेजी प्रेस विज्ञप्ति नहीं भेजी थी और केवल हिंदी में विज्ञप्ति जारी किया गया था.

मंत्रालय में एक अधिकारी ने बताया, ‘मंत्रालय एक केंद्रीय सरकारी विभाग है, यहां काम करने वाले गैर-हिंदी भाषी राज्यों सहित पूरे देश के लोग हैं, इसलिए यह हिंदी में काम करने के लिए एक चुनौती है. ज्यादातर लोग भाषा बोलने में निपुण हैं, लेकिन इसमें आधिकारिक काम करना अलग है.’

अन्य मोदी सरकार के मंत्रालय जैसे कि ग्रामीण विकास मंत्रालय और कौशल विकास मंत्रालय हिंदी में आधिकारिक कार्य कर रहे हैं, लेकिन मानव संसाधन विकास विभाग में इसकी सुगबुगाहट थोड़ी देरी से हो रही है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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1 टिप्पणी

  1. उत्तर प्रदेश की स्थिति बहुत खराब है प्रत्येक प्रशिक्षित युवा U.P.T.E.T. से गुजरता है , लेकिन P.N.P.की 150 प्रश्न सही से बनाने की क्षमता नहीं है, क्योंकि P.N.P.के पास बिशेषज्ञ नहीं है। यदि विशेषज्ञ होते तो प्रत्येक बर्ष कोर्ट में T.E.T.नही जाती। 10 से 14 प्रश्र हर बर्ष गलत पूछे जाते हैं।आपत्ति के बाद भी संबोधन नहीं किया जाता है।यह सचिव की तानाशाही है।

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