(रवि बंसल)
(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 31 मई (भाषा) कान फिल्म महोत्सव में ‘अन सर्टेन रिगार्ड’ श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीतने वाली अनसूया सेनगुप्ता का मानना है कि उनकी यह उपलब्धि केवल व्यक्तिगत रूप से ट्रॉफी हासिल करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि पूरे देश को इस पर गर्व है।
अनसूया का कहना है कि कान फिल्म समारोह में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीतकर यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली भारतीय कलाकार बनने का एहसास वह शब्दों में बयां नहीं कर सकती हैं।
बुल्गारिया के निर्देशक कॉन्स्टांटिन बोजानोव की हिंदी भाषी फिल्म ‘‘द शेमलेस’’ के लिए अनसुया सेनगुप्ता को कान फिल्म महोत्सव में ‘अन सर्टेन रिगार्ड’ श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला है। कोलकाता की रहने वाली अनसूया (37) इस श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय हैं।
अनसूया ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा, ‘‘मेरे पास अब भी अपनी इस कामयाबी को बयां करने के लिए सही शब्द नहीं है। शायद अगले शुक्रवार को मुझे सही शब्द पता चल जाएगा… मेरी खुशी के इस पल में हर कोई गर्व की भावना महसूस कर रहा है और यह एहसास मेरी सफलता को और भी बेहतर बनाता है। यह वास्तव में मेरे लिए कोई व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है… यह पूरे देश की उपलब्धि है, इससे बहुत अच्छा लगता है। ’’
भारत के लिए इस साल का कान फिल्म महोत्सव शानदार रहा और पायल कपाड़िया की “ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट”, एफटीआईआई के छात्र चिदानंद एस. नाइक की “सनफ्लावर वेयर द फर्स्ट वन्स टू नो”, और “द शेमलेस” की अनसूया सेनगुप्ता को अलग-अलग श्रेणी में प्रमुख पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
अनसूया ने कहा, ‘‘ हम 15-20 लोगों का एक समूह था, शायद इससे भी कम। लेकिन ऐसा लगा कि हम एक बड़ी भावना का प्रतिनिधित्व कर रहे थे क्योंकि वह बड़ी भावना हमारे देश में है। मेरी खुशी में हर किसी को खुशी महसूस होती है।’’
अभिनेत्री ने पायल की कामयाबी पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, ‘‘मुझे अपनी जीत से ज्यादा पायल की जीत पर गर्व है। और मुझे पता है कि वह और उसकी पूरी टीम मेरे और मेरी टीम के बारे में ऐसा ही महसूस करती है…। दुनिया के बाकी लोग हमें साथ में, एक-दूसरे का समर्थन करते हुए, अच्छा काम करते हुए, पहचान बनाते हुए देखते हैं, तो मुझे और भी ज्यादा खुशी होती है।’’
उन्होंने बताया कि ‘द शेमलेस’ में उनके सहयोगी कलाकार तन्मय धनानिया और ओमारा शेट्टी ने विजेता के रूप में उनके नाम की घोषणा होते ही जश्न मनाना शुरू कर दिया था।
भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) की पूर्व छात्रा कपाड़िया ने “ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट” के लिए ग्रां प्री पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय फिल्मकार बनकर इतिहास रच दिया।
कपाड़िया की पदार्पण फीचर फिल्म “ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट” 30 वर्ष में मुख्य प्रतिस्पर्धा में दिखाई गई भारत की पहली और किसी भारतीय महिला निर्देशक की पहली फिल्म है। इससे पहले शाजी एन. करुण की स्वाहम (1994) मुख्य प्रतिस्पर्धा में दिखाई गई थी।
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