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Friday, 22 November, 2024
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सुबह 6 बजे CM की विधायकों को कॉल, घर का दौरा; कॉल सेंटर — मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए BJP का अभियान

मध्य प्रदेश जैसे हिंदी भाषी राज्यों में पहले दो चरणों में धीमी गति से मतदान के बाद, भाजपा मंत्रियों, विधायकों और बूथ कार्यकर्ताओं पर जिम्मेदारी तय करके मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है.

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नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के पहले दो चरणों में वोटिंग प्रतिशत में 5-6 फीसदी की गिरावट के बाद से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं पर सख्ती कर रही है. पार्टी सूत्रों ने कहा, खासकर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्यों में मतदान के दिन मुख्यमंत्रियों द्वारा विधायकों को सुबह 6 बजे जगाने से लेकर, महिला मतदाताओं को एकजुट करने के लिए समर्पित कॉल सेंटर और स्विंग वोटर्स के घरों पर जाने वाले कार्यकर्ताओं तक, डैमेज कंट्रोल अभियान पूरे जोरों पर हैं.

इन कोशिशों का केंद्र बिंदु विधायकों और मंत्रियों को जवाबदेह बनाना रहा है. उदाहरण के लिए मध्य प्रदेश में तीसरे चरण के मतदान से एक हफ्ते पहले, गृह मंत्री अमित शाह ने 25 अप्रैल को राज्य के नेताओं के साथ एक बैठक की, जिसमें मंत्रियों को चेतावनी दी गई कि अगर उनके संबंधित जिलों में मतदान प्रतिशत कम रहा तो वे चुनाव के बाद अपने विभाग खो देंगे. पार्टी सूत्रों के अनुसार, उन्होंने कम मतदान प्रतिशत के लिए राज्य में कार्यकर्ताओं और विधायकों की आत्मसंतुष्टि को भी जिम्मेदार ठहराया.

इस बैठक के तुरंत बाद प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए रणनीति बनाई. प्रत्येक भाजपा विधायक और नेता को मतदान के दिन सुबह 5 से 6 बजे के बीच बूथ कार्यकर्ताओं को बुलाने का काम सौंपा गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निर्धारित मतदाता सुबह 10 बजे से पहले अपना वोट डाल दें. पार्टी सूत्रों ने कहा कि वीडी शर्मा ने खुद कम से कम 10 विधायकों को फोन किया और उन्हें जगाया और अधिक मतदान के लिए प्रचार करने का आग्रह किया. अन्य नेताओं ने भी ऐसा ही किया मतदाताओं को एकजुट करने के लिए बूथ समितियों के निचले स्तर और पन्ना प्रमुख (मतदाता पृष्ठ प्रभारी) तक पहुंचे.

नतीजे 7 मई को तीसरे चरण के मतदान में देखने को मिले, जहां मध्य प्रदेश की नौ सीटों पर औसत मतदान 66.05 प्रतिशत हुआ, जो 2019 के 66.08 प्रतिशत के समान था, जो पहले और दूसरे चरण से 6 प्रतिशत सुधार दर्शाता है.

13 मई को मध्य प्रदेश की आठ लोकसभा सीटों के लिए चौथे और अंतिम चरण के मतदान के लिए भी इसी तरह की रणनीति अपनाई गई, जिसमें मतदान प्रतिशत 71.72 दर्ज किया गया.

मध्य प्रदेश बीजेपी सचिव रजनीश अग्रवाल ने दिप्रिंट को बताया कि मतदान में सुधार के लिए पार्टी की रणनीतियां सफल रहीं और चौथे चरण के अंत तक मतदान का अंतर लगभग समाप्त हो गया.

उन्होंने कहा, “पहले और दूसरे चरण के बाद, संगठनात्मक स्तर पर, विशेषकर बूथ स्तर पर और अधिक सुधार किया गया. हमने 2019 में 65 प्रतिशत और विधानसभा चुनाव में 61 प्रतिशत बूथ सुरक्षित किए. हमारा प्राथमिक ध्यान अपने बूथ जीतने पर था. पिछले दस दिनों में, हमने बूथ-स्तरीय सूक्ष्म-प्रबंधन में अपनी कोशिशें बढ़ाईं, जो मतदान प्रतिशत के परिणामों में दिखाई भी दिया.”

भाजपा का गढ़, मध्य प्रदेश पार्टी के लिए एक उच्च प्राथमिकता वाला राज्य है, जिसने राज्य की 230 में से 163 विधानसभा सीटें जीतने के बाद दिसंबर में फिर से सरकार बनाई. 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने मध्य प्रदेश में 29 में से 28 सीटें जीतीं थीं.

भाजपा ने उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे अन्य हिंदी भाषी राज्यों में मतदान प्रतिशत को ऊंचा रखने के लिए बूथ समिति की बैठकें आयोजित करने, मतदाताओं तक पहुंचने और मुख्य समर्थकों को सक्रिय करने के लिए लक्षित रणनीतियों को लागू करने जैसे उपायों के साथ अपना खेल तेज कर दिया है.


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महिला कॉल सेंटर, बूथ ‘पुरस्कार’

मंत्रियों, विधायकों और बूथ कार्यकर्ताओं को जवाबदेह बनाने के अलावा, भाजपा ने विशेष रूप से महिलाओं के बीच मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए समर्पित कॉल सेंटरों शुरू किए हैं.

मध्य प्रदेश में, जहां पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की प्रमुख लाडली बहना वित्तीय महिला सहायता योजना 2023 के विधानसभा चुनावों में वोट खींचने वाली साबित हुई, पार्टी लोकसभा चुनाव के पहले दो चरणों के दौरान लाभार्थियों की कम उपस्थिति से चिंतित थी.

मध्य प्रदेश बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “केंद्रीय नेतृत्व ने विधानसभा चुनावों की तुलना में पहले दो चरणों के मतदान के दौरान योजना की महिला लाभार्थियों के बीच कम मतदान देखा और उन्होंने महिलाओं की मतदान भागीदारी बढ़ाने के लिए राज्य नेतृत्व को हिला देने का फैसला किया. महिला मतदाताओं को लक्षित करने के लिए कॉल सेंटर शुरू किए गए, जिन्होंने मतदान के दिन याद दिलाने के लिए लाभार्थियों से संपर्क किया.”

बूथ-स्तरीय हस्तक्षेप एक और महत्वपूर्ण कदम था.

अपनी रणनीतियों के हिस्से के रूप में भाजपा बूथों को विभिन्न समूहों-ए, बी, सी और डी में वर्गीकृत करती है. ए श्रेणी में वो बूथ हैं, जहां भाजपा लगातार जीत हासिल करती है. बी श्रेणी के बूथों पर भाजपा और विपक्ष ने जीत का परचम लहराया है. सी और डी श्रेणियां भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण बूथों का प्रतिनिधित्व करती हैं, आमतौर पर कमजोर बूथ या अल्पसंख्यक समुदायों के प्रभुत्व वाले बूथ.

वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, “मध्य प्रदेश में 22,000 ए श्रेणी के बूथ, 37,000 बी श्रेणी के बूथ और 7,000 सी श्रेणी के बूथ हैं. पार्टी का फोकस ज्यादातर बी और सी श्रेणी के बूथों पर था, जहां कांग्रेस और भाजपा के बीच प्रतिस्पर्धा अधिक है. इन बूथों पर हमारा लक्ष्य वोटों में 10 फीसदी की बढ़त सुनिश्चित करना था.”

13 मई को चौथे चरण का मतदान खत्म होने पर राज्य के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बूथ कार्यकर्ताओं के प्रयासों की सराहना की.

उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, “कार्यकर्ताओं का जोश और जज्बा !!! भारतीय जनता पार्टी की शक्ति कर्मठ कार्यकर्ता हैं. आज इंदौर में मतदान के बीच कार्यकर्ता बंधु पोलिंग बूथ पर डटे रहे.”

मिशन यूपी और बिहार

14 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी से नामांकन दाखिल करने से दो दिन पहले, अमित शाह ने मतदान प्रतिशत बढ़ाने और जीत का अंतर बढ़ाने के लिए निर्वाचन क्षेत्र के पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की एक बैठक बुलाई.

11 मई की बैठक में भाग लेने वाले वाराणसी भाजपा सूत्रों के अनुसार, शाह ने जिला अध्यक्ष और संबंधित विधायक की प्रतिक्रिया के अलावा, पार्टी को मिलने वाले वोटों और उनके बूथ के मतदान प्रतिशत के आधार पर बूथ कार्यकर्ताओं को नेतृत्व की भूमिकाओं में “पदोन्नत” करने का वादा किया.

पीएम के निर्वाचन क्षेत्र में मतदान बढ़ाने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को टिप्स देते हुए शाह ने बूथ कार्यकर्ताओं को सुबह 10 बजे से पहले ए और बी बूथों पर मतदान को प्राथमिकता देने की सलाह दी, साथ ही प्रत्येक पन्ना प्रमुख को मतदाताओं की लिस्ट को अपनी जेब में रखने का निर्देश दिया.

ए और बी श्रेणी के बूथों पर मतदान सुनिश्चित करने के बाद, पार्टी कार्यकर्ताओं और बूथ समिति के सदस्यों को सी और डी श्रेणी के बूथों पर ध्यान केंद्रित करने और प्रत्येक मतदाता को अपने चार्ट में चिह्नित करने का निर्देश दिया गया, भले ही उन्होंने मतदान किया हो या नहीं.

उत्तर प्रदेश में मतदाता मतदान के लिए बूथ समिति की बैठकें आयोजित करने के साथ-साथ, पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं को “जहा काम वहां हम” टैगलाइन के साथ मतदाताओं तक पहुंचने के लिए तैनात किया ताकि उन्हें भाजपा के लिए वोट करने के लिए प्रभावित किया जा सके.

उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, “पहले दो चरणों के मतदान के बाद पार्टी ने मतदाताओं से संपर्क करने के लिए कॉल सेंटर स्थापित करके मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने की अपनी रणनीति को बेहतर बनाया.”

उन्होंने कहा, पन्ना प्रमुखों के बीच जिम्मेदारियां बांटी गईं, एक बूथ नेता को गुजरात के पन्ना समिति मॉडल के समान, दस मतदाताओं की देखरेख का काम सौंपा गया. “उन्हें मतदान से पहले मतदाताओं से दो बार संपर्क करने का निर्देश दिया गया था. शक्ति केंद्र से लेकर मंडल स्तर तक हर स्तर पर निगरानी मजबूत की गई और हर वरिष्ठ नेता को मतदान के दिन बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को बुलाना पड़ा.”

एक अन्य वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि पार्टी को 70 प्रतिशत वोट मुख्य समर्थकों से मिले, जबकि शेष गैर-प्रमुख मतदाताओं से मिले.

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री द्वारा कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति और मंगलसूत्र मामले को उठाने के बाद, भाजपा के मूल मतदाता सक्रिय हो गए. कई लोग आत्मसंतुष्ट हो गए हैं क्योंकि यकीन है कि मोदी तीसरे कार्यकाल के लिए आएंगे.”

बिहार के एक वरिष्ठ पार्टी नेता ने दिप्रिंट को बताया कि योजनाओं को उजागर करना और उन तक पहुंच बढ़ाना मतदाता पहुंच रणनीति का एक प्रमुख हिस्सा था.

उन्होंने कहा, “हम विस्तारित आयुष्मान योजना के लिए वरिष्ठ नागरिकों का नामांकन कर रहे हैं. घोषणापत्र में वरिष्ठ नागरिकों के लिए 5 लाख रुपये तक नकद-मुक्त इलाज देने के प्रधान मंत्री के वादे ने हमें मतदान बढ़ाने में मदद करने के लिए वरिष्ठ नागरिक समूहों में नामांकन फॉर्म उपलब्ध कराने के लिए प्रेरित किया.”

बिहार के नेता ने कहा कि भाजपा ने कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने के लिए युवा और महिला विंग सम्मेलनों का भी आयोजन किया और बूथ आयोजन समितियों को आश्वासन दिया गया कि यदि उनका प्रदर्शन लक्ष्यों को पूरा करता है या उससे अधिक होता है तो उन्हें “पुरस्कृत” किया जाएगा.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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