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Thursday, 21 November, 2024
होमहेल्थ45% अस्पताल प्रेस्क्रिप्शन के नियमों का उल्लंघन करते हैं, पैंटोप्राजोल दवा सबसे अधिक दी जाती है: ICMR स्टडी

45% अस्पताल प्रेस्क्रिप्शन के नियमों का उल्लंघन करते हैं, पैंटोप्राजोल दवा सबसे अधिक दी जाती है: ICMR स्टडी

इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित अध्ययन में लगभग 10% नुस्खों को 'अस्वीकार्य' के रूप में वर्गीकृत किया गया है, कहा गया है कि ऐसी चूक से दवा पर प्रतिकूल रूप से ड्रग रिऐक्शन हो सकता है और रोगी के स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है.

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नई दिल्ली: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक महत्वपूर्ण अध्ययन में देश के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में दवा के नुस्खों (Prescription) में महत्वपूर्ण अनियमितताओं का खुलासा हुआ है.

आईसीएमआर के दवाओं के तर्कसंगत उपयोग (आईसीएमआर-आरयूएम) टास्क फोर्स प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में इस अनुसंधान ने पाया कि 45 प्रतिशत प्रेस्क्रिप्शन मानक उपचार दिशानिर्देशों के अनुरूप नहीं हैं, जिनमें से लगभग 10 प्रतिशत तो ऐसे हैं जो “पूर्णतः अस्वीकार्य” किए जाने की स्थिति में हैं.

अध्ययन – जो फरवरी में स्वास्थ्य अनुसंधान एजेंसी के इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित हुआ था – नई दिल्ली और भोपाल में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), मुंबई में KEM अस्पताल, चंडीगढ़ में पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER) और पुडुचेरी में जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (JIPMER) सहित 13 तृतीयक देखभाल अस्पतालों (Tertiary Care Hospitals) और मेडिकल कॉलेजों के बाह्य रोगी विभागों (OPD) के 7,800 प्रेस्क्रिप्शन की जांच की गई.

विश्लेषण में शामिल एक मात्र गैर-सरकारी अस्पताल वेल्लोर में क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) था.

वे प्रेस्क्रिप्शन जो दवा की पारस्परिक क्रिया (दवाओं के रिऐक्शन), प्रतिक्रिया की कमी, लागत में वृद्धि, रोकथाम योग्य प्रतिकूल दवा प्रतिक्रियाओं और रोगाणुरोधी प्रतिरोध को जन्म दे सकते हैं, उन्हें “अस्वीकार्य” के रूप में वर्गीकृत किया गया था, जो दर्शाता है कि इस तरह के प्रेस्क्रिप्शन में लिखी गईं एक या अधिक दवाएं मरीजों के लिए हानिकारक या अनावश्यक थे.

प्रोजेक्ट से जुड़े दो लेखकों के मुताबिक, यह देश में अपनी तरह का पहला अध्ययन है.

विश्लेषण से पता चला कि “अस्वीकार्य” के रूप में वर्गीकृत अधिकांश प्रेस्क्रिप्शन में सीने में जलन की दवा पैंटोप्राजोल थी.

इन “अस्वीकार्य” नुस्खों में अक्सर शामिल अन्य दवाएं गैस्ट्रोईसोफीगल रिफ्लक्स डिज़ीज़ (जीईआरडी) के लिए उपयोग की जाने वाली रैबेप्राजोल और डोमपेरिडोन का एक निश्चित डोज़ वाला कॉम्बिनेशन और एसिड रिफ्लक्स, गैस, सूजन और दस्त के लिए ओरल एंजाइम थीं.

लेखकों ने बताया कि इसके संभावित परिणाम लागत में वृद्धि, प्रतिकूल दवा प्रतिक्रिया, दवा रिएक्शन, थिरैप्युटिक रिस्पॉन्स की कमी और एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस थे.

अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. यशाश्री शेट्टी ने दिप्रिंट को बताया, “हालांकि यह आश्वस्त करने वाली बात है कि विश्लेषण किए गए 90 प्रतिशत प्रेस्क्रिप्शन स्वीकार्य थे, फिर भी मैं इन परिणामों को चिंताजनक कहूंगा क्योंकि प्रोजेक्ट में ऐसी सुविधाएं शामिल हैं जहां सबसे गरीब मरीज आते हैं, और जहां डॉक्टरों द्वारा बिना किसी फार्मास्युटिकल कंपनियों के प्रभाव के ज्यादातर दवाएं लिखने के बावजूद भटकाव की स्थिति है.

मुंबई के केईएम अस्पताल में फार्माकोलॉजी और थेरेप्यूटिक्स विभाग की एक सहायक प्रोफेसर, शेट्टी ने यह भी बताया कि कैसे एक सामान्य एसिडिटी ब्लॉकर पैंटोप्राजोल दवा को दवा रिऐक्शन के बारे में विचार किए बिना बहुत अधिक संख्या में रोगियों को यूं ही प्रेस्क्राइब किया गया था.

उन्होंने बताया, “उदाहरण के लिए, हृदय रोगों के लिए कुछ दवाएं उन रोगियों में काम नहीं करतीं जो पैंटोप्राज़ोल का भी सेवन करते हैं, फिर भी हमें ऐसे समस्याग्रस्त प्रेस्क्रिप्शन के उदाहरण मिले,”

अध्ययन में क्या शामिल था

अध्ययन में 7,800 प्रेस्क्रिप्शन का विश्लेषण किया गया, जिनमें से 4,838 को “पूर्ण” माना गया था – जिसका अर्थ है कि उन्होंने दवा के निर्माण, डोज़, अवधि और उसको कितनी बार दिया जाना है इसके बारे में स्पष्ट रूप से बताया था.

इन नुस्खों में सामुदायिक चिकित्सा, सामान्य चिकित्सा, सर्जरी, प्रसूति एवं स्त्री रोग, बाल चिकित्सा, त्वचा विज्ञान, नेत्र से संबंधित, ईएनटी और मनोचिकित्सा सहित विभिन्न मेडिकल स्पेशियलिटी शामिल हैं.

प्रत्येक नुस्खे का स्थानीय मानक उपचार दिशानिर्देशों (एसटीजी) के पालन के संदर्भ में मूल्यांकन किया गया और अंतिम रूप से उन्हें इस बात के लिए स्कोर प्रदान करना था कि वे कितने उपयुक्त हैं.

स्कोर 3 (उच्चतम स्कोर) उन नुस्खों को दिया गया जो पूर्ण थे और स्थानीय एसटीजी या राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय उपचार दिशानिर्देशों का पालन करते थे.

स्कोर 2 उन नुस्खों को दिया गया था जो स्थानीय एसटीजी/राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय उपचार दिशानिर्देशों के अनुरूप नहीं थे, लेकिन इसे स्वीकार्य माना गया था, भले ही नुस्खे पूरे हों या अधूरे.

स्कोर 1 उन सभी नुस्खों को दिया गया था जिनके स्थानीय एसटीजी/राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय उपचार दिशानिर्देशों से भटकाव को अस्वीकार्य माना गया था.

4,838 पूर्ण नुस्खों में से 2,667 (55.12 प्रतिशत) को उचित और दिशानिर्देशों के अनुरूप बताया गया, जबकि बाकी को “अनुचित” के रूप में वर्गीकृत किया गया. कुल मिलाकर, 9.8 प्रतिशत नुस्खे “अस्वीकार्य विचलन” वाले थे.

अध्ययन में पाया गया कि पैंटोप्राजोल सबसे अधिक बार प्रेस्क्राइब की गई दवा थी, जिसके कारण डोमपरिडोन और ओरल एंजाइम के साथ निश्चित डोज़ कॉम्बिनेशन (एफडीसी) रैबप्राजोल के कारण अस्वीकार्य स्तर तक अनुरूपता नहीं थी.

शोधकर्ताओं ने कहा, “अस्वीकार्य विचलन वाले नुस्खों में पहचानी जाने वाली दवाएं पैंटोप्राजोल, रैबेप्राजोल और डोमपरिडोन कॉम्बिनेशन, ट्रिप्सिन/काइमोट्रिप्सिन (ओरल एंजाइम), सेराटियोपेप्टिडेज़, रैनिटिडिन, एज़िथ्रोमाइसिन, सेफिक्साइम, एमोक्सिसिलिन और क्लैवुलैनिक एसिड कॉम्बिनेशन और एसेक्लोफेनाक थीं.”

ऐसा प्रतीत होता है कि उपरोक्त दवाएं न केवल लक्षणों का इलाज करने के लिए बल्कि निर्धारित दवाओं के संभावित दुष्प्रभावों का इलाज करने के लिए भी निर्धारित की गई थीं, उन्होंने कहा, जिन रोगियों में दर्द एक लक्षण के रूप में था, उनके लिए एनाल्जेसिक को पैंटोप्राजोल के साथ प्रेस्क्राइब किया गया था.

यदि रोगी को पेप्टिक अल्सर विकसित होने का खतरा है तो गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव दवाएं प्रेस्क्राइब की जानी चाहिए, और शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी कि पैंटोप्राजोल की अनावश्यक खुराक से पेट में सूजन और दाने जैसे संभावित दुष्प्रभाव हो सकते हैं.

इसी तरह, अध्ययन में पाया गया कि फंक्शनल डिस्पेप्सिया (अपच) के लिए एंटासिड के साथ रैबोप्राजोल और डोमपरिडोन कॉम्बिनेशन प्रेस्क्राइब किया गया था, जिसकी अनुशंसा राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय दिशानिर्देशों में नहीं की जाती है.

योगदान देने वाले फैक्टर

अध्ययन के अनुसार, “अस्वीकार्य विचलन” वाले प्रेस्क्रिप्शन संभवतः जूनियर डॉक्टरों द्वारा प्रेस्क्राइब किए गए हो सकते हैं, जिन्हें बड़ी संख्या में रोगियों को देखना होता है और ओपीडी ड्यूटी के लिए आवंटित निश्चित समय के भीतर बहुत सारी प्राथमिकताओं को पूरा करना होता है और मल्टीटास्क करना होता है.

इसके अतिरिक्त, चिकित्सा पाठ्यक्रम में तर्कसंगत तरीके से प्रेस्क्रिप्शन लिखने पर अपर्याप्त जोर और फार्मास्युटिकल उद्योगों द्वारा दवा के प्रचार-प्रसार ने भी अनुचित नुस्खे और दिशानिर्देशों के गैर-अनुपालन में योगदान दिया हो सकता है. यह बात कही गई है.

लेखकों ने लिखा, “हालांकि, सीनियर और जूनियर डॉक्टरों की प्रेस्क्राइबिंग प्रेक्टिस के बीच तुलना नहीं की गई थी. दुर्भाग्य से, यह रोगी ही है जिसे अतार्किक प्रिस्क्रिप्शन प्रेक्टिस का परिणाम भुगतना पड़ता है,”

वरिष्ठ फार्माकोलॉजिस्ट नीलिमा ए. क्षीरसागर, जो पहले आईसीएमआर में क्लिनिकल फार्माकोलॉजी की राष्ट्रीय अध्यक्ष थीं और अध्ययन की सह-लेखिका थीं, उनके अनुसार, सुधारात्मक उपाय के रूप में, स्वास्थ्य अनुसंधान एजेंसी ने डॉक्टरों के लिए दवाओं के तर्कसंगत निर्धारण पर प्रशिक्षण का आयोजन शुरू किया था.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘जहां जूनियर डॉक्टर ज्ञान और अनुभव की कमी के कारण तर्कहीन प्रेस्क्रिप्शन अपनाते हैं, वहीं वरिष्ठ डॉक्टरों के मामले में, यह संभवतः विभिन्न स्थितियों के लिए उपचार दिशानिर्देशों में अद्यतन ज्ञान की कमी के कारण होता है.’

शोधकर्ताओं ने दवाओं के अतार्किक प्रेस्क्रिप्शन के मुद्दे पर संभावित हस्तक्षेप के रूप में प्रशासनिक निर्देशों को भी सूचीबद्ध किया है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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