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Sunday, 24 November, 2024
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काशी विश्वनाथ में पुजारी के वेश में पुलिसकर्मी, अखिलेश का यूपी सरकार पर तंज : ‘किस पुलिस मैनुअल में’

प्रतिक्रिया के जवाब में आदेश जारी करने वाले वाराणसी के पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि भक्तों द्वारा पुजारी के निर्देशों पर ध्यान देने की अधिक संभावना होती है.

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लखनऊ: वाराणसी के पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में पुजारी और पुजारियों की पोशाक में कर्मियों को तैनात करने के एक आदेश ने विवाद खड़ा कर दिया है. इस कदम को भक्तों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश वाला बताते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) ने निर्वाचन आयोग (ईसी) में शिकायत दर्ज करने की योजना बनाई है. साथ ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पूछा कि “किस पुलिस मैनुअल में” ऐसा निर्देश सही था.

अग्रवाल ने मंगलवार को निर्देश दिया कि पुलिसकर्मियों को मंदिर के गर्भगृह में पुजारिन/पुजारी की पोशाक पहने हुए तैनात किया जाएगा. अगले दिन, मंदिर के गर्भगृह के अंदर भगवा सलवार-कमीज़ पहने महिला पुलिसकर्मियों और लाल धोती-कुर्ता पहने पुलिसकर्मियों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई.

वीडियो में पुलिस कर्मियों को कथित तौर पर गले में रुद्राक्ष की माला और माथे पर सफेद त्रिपुंड तिलक (हिंदू भगवान शिव के प्रति श्रद्धा का प्रतीक) लगाए हुए मंदिर के गर्भगृह में भीड़ का प्रबंधन करते हुए देखा गया.

अखिलेश ने एक्स पर लिखा, “ पुजारी के वेश में पुलिसकर्मियों का होना किस ‘पुलिस मैन्युअल’ के हिसाब से सही है? इस तरह का आदेश देनेवालों को निलंबित किया जाए. कल को इसका लाभ उठाकर कोई भी ठग भोली-भाली जनता को लूटेगा तो उप्र शासन-प्रशासन क्या जवाब देगा. निंदनीय!”

मंगलवार को मंदिर परिसर का निरीक्षण करने के बाद वाराणसी के पुलिस आयुक्त अग्रवाल ने काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में अतिरिक्त सीपी (कानून और व्यवस्था) एस चन्नप्पा, डीसीपी (सुरक्षा) सूर्य कांत त्रिपाठी, अतिरिक्त डीसीपी (सुरक्षा) ममता रानी, उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) शंभू शरण सहित अन्य लोगों के साथ बैठक की. इसके बाद उन्होंने निर्देश दिया कि मंदिर परिसर में तैनात पुलिस कर्मियों को तीन दिवसीय ‘सॉफ्ट स्किल्स ट्रेनिंग’ कार्यक्रम से गुजरना होगा.

हालांकि, जिस बात ने विवाद को जन्म दिया वह अग्रवाल द्वारा भीड़ नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए मंदिर के गर्भगृह में पुजारी की पोशाक में महिला और पुरुष पुलिस अधिकारी को तैनात करने के एक अन्य निर्देश का कार्यान्वयन था.

दिप्रिंट द्वारा देखे गए वाराणसी पुलिस आयुक्तालय द्वारा जारी एक प्रेस बयान में आगे कहा गया है कि इन कर्मियों को वर्दी में पुरुष और महिला पुलिस अधिकारी द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी.

अग्रवाल के अन्य निर्देशों में वीआईपी आंदोलन के दौरान ‘नो-टच’ पॉलिसी शामिल है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पुलिस किसी भी भक्त को छूने से बचें, गर्भगृह को घेरने के लिए रस्सी का उपयोग किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भक्त शिवलिंग से कुछ दूरी पर रहें और कोई भी पुलिस कर्मी ड्यूटी के दौरान सोशल मीडिया पर एक्टिव नहीं होना चाहिए.

जैसा कि विपक्ष ने इस कदम पर सवाल उठाया अग्रवाल ने बयान जारी कर कहा कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि पुलिस कर्मी भक्तों के लिए “मार्गदर्शक” बन सकें क्योंकि भक्त पुजारी के निर्देशों पर अधिक ध्यान देते हैं. उन्होंने बयान में कहा, “भक्तों का सम्मान पुजारियों के प्रति अधिक है. इसलिए जब वे (पुजारियों की तरह कपड़े पहने पुलिसकर्मी) भक्तों को दर्शन के लिए निर्देशित करेंगे, तो लोग उन पर ध्यान देंगे. चूंकि पुलिस बहुत दबाव में काम करती है और विशेष रूप से वीआईपी मूवमेंट के दौरान निर्देश देते समय भक्तों को छू सकती है, इसलिए भक्तों में उनके प्रति नकारात्मक भावना विकसित हो जाती है, लेकिन अगर पुलिस पुजारी की तरह कपड़े पहनकर ऐसा करेगी, तो भक्त ऐसा नहीं करेंगे. अगर वे उन्हें छूते हैं तो भी बुरा लगता है.”


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‘विशेष एजेंडे के तहत किया गया’: विपक्ष

गर्भगृह में तैनात पुलिसकर्मियों के लिए ड्रेस कोड ने विपक्ष को नाराज़ कर दिया है. दिप्रिंट से बात करते हुए सपा के प्रवक्ता मनोज राय धूपचंडी ने इस कदम पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह एक “विशेष एजेंडे” के तहत किया गया था.

उन्होंने कहा, “मैं लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने के लिए मैनपुरी में हूं, लेकिन मैंने अपने लोगों से इस बारे में चुनाव आयोग को शिकायत करने को कहा है. पुलिस कमिश्नर कह रहे हैं कि भक्त पुलिस की बात नहीं सुनते और अगर वे (पुलिस वाले) पुजारी की पोशाक पहनेंगे तो उन्हें पुलिस से डर नहीं लगेगा, लेकिन अगर ऐसा है तो पुलिस को अपना व्यवहार बदलने की ज़रूरत है, अपनी वर्दी नहीं. एक पुजारी की योग्यता एक पुलिसकर्मी से भिन्न होती है. एक पुलिसकर्मी वर्दी पाने के लिए कितनी मेहनत करता है. यह चुनाव के बीच एक खास एजेंडे के तहत किया जा रहा है.”

धूपचंडी ने आगे दावा किया कि यह भक्तों की भावनाओं के साथ खेलने जैसा है क्योंकि जब वे ऐसी पोशाक देखेंगे तो वे पुलिस को पुजारी समझकर उनके पैर छू सकते हैं.

संपर्क करने पर डीसीपी (सुरक्षा) सूर्य कांत त्रिपाठी ने कहा, “यह भक्तों की सुविधा के लिए है और यह सुनिश्चित करने के लिए है कि जब पुलिस कर्मी उन्हें भीड़ नियंत्रण के दौरान आगे बढ़ने और निर्देशित करने के लिए कहें तो भक्तों को बुरा न लगे. इस कदम की योजना कुछ समय से बनाई जा रही थी और बैठक के बाद इसे लागू किया गया. अब तक हमें जनता से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है.”

त्रिपाठी ने कहा कि मंदिर परिसर में तीन पालियों में पुलिस तैनात की जाती है और किसी भी दिन लगभग 30-40 कर्मी पुजारी की पोशाक पहने मंदिर परिसर में हो सकते हैं.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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