नयी दिल्ली, तीन अप्रैल (भाषा) भारतीय झींगा निर्यातक एक मजबूत नियामकीय और सुरक्षा व्यवस्था का पालन करते हैं, क्योंकि इससे उन्हें अमेरिका और यूरोप जैसे विकसित क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण समुद्री उत्पाद भेजने में मदद मिलती है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी बुधवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने कहा कि भारत अपनी प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाकर और उच्च मूल्यवर्धित उत्पादों को अपना कर, अगले दो साल में समुद्री खाद्य निर्यात को एक लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाने का लक्ष्य रख रहा है।
कामकाजी परिस्थितियों और सुरक्षा मानकों की कुछ खराब रिपोर्टों को खारिज करते हुए अधिकारी ने कहा कि भारत की 548 समुद्री खाद्य इकाइयों का विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा नियमित निरीक्षण और निगरानी की जाती है।
वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, ‘‘ये इकाइयां विश्वस्तरीय गुणवत्ता और मानकों का पालन करती हैं, और इनका प्रमुख निर्यात गंतव्य -विकसित देश हैं।’’
अधिकारी ने कहा, भारतीय झींगा उद्योग में खाद्य सुरक्षा और खराब श्रम स्थितियों का आरोप लगाने वाली कुछ रिपोर्टें गलत और निराधार हैं।
सभी इकाइयां एमपीईडीए (समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) और एफएसएसएआई (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) के साथ पंजीकृत हैं, और कानून के अनुसार ईआईसी (निर्यात निरीक्षण परिषद) द्वारा अनुमोदित हैं।
उत्पादन और प्रसंस्करण प्रणालियों की भारत में नियामकीय एजेंसियों द्वारा नियमित रूप से निगरानी की जाती है और तमाम निजी और प्रमाणन अंकेक्षण के अलावा अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन, यूरोपीय आयोग, चीन की जीएसी, निर्यात निरीक्षण एजेंसी, एमपीईडीए आदि के निरीक्षकों द्वारा ऑडिट किया जाता है। ।
उत्पादों की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए, 2002 से जलीय कृषि में औषधीय रूप से सक्रिय पदार्थों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
भारत ने वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 63,969.14 करोड़ रुपये (8.09 अरब डॉलर) मूल्य के 17,35,286 टन समुद्री भोजन का निर्यात करके मात्रा और मूल्य के मामले में समुद्री खाद्य पदार्थो का रिकॉर्ड निर्यात हासिल किया।
भारतीय झींगा का अमेरिकी बाजार में 40 प्रतिशत हिस्सा है। भारतीय झींगा का एक बड़ा हिस्सा जो अमेरिका जाता है, उसे कुछ लातिनी अमेरिकी देशों में संसाधित किया जाता है। भारत निर्यात के उच्च मूल्य पर कब्जा करने के लिए उस प्रसंस्करण को स्थानीय स्तर पर करना चाहता है।
भारत में लगभग एक लाख झींगा फार्म हैं जिनमें से अधिकांश आंध्र प्रदेश में हैं।
भाषा राजेश राजेश अजय
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