नई दिल्ली : पीएम मोदी की कैबिनेट में स्वास्थ्य कारणों की वजह से खुद हटे पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली सरकारी निवास 2 कृष्ण मेनन मार्ग को छोड़कर दक्षिणी दिल्ली के अपने निजी घर में इसी महीने शिफ़्ट होने वाले हैं. उनके सरकारी निवास से निजी घर में शिफ़्ट होने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. वहीं पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज स्वास्थ्य कारणों से सक्रिय राजनीति से अलग हो गई हैं. ऐसे में उन्हें नए आशियाने की तलाश करनी पड़ सकती है.
पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली के निजी स्टाफ़ के मुताबिक यह प्रक्रिया इस महीने पूरी हो जाएगी. जेटली ने अपने स्टाफ को जल्दी से जल्दी बिजली, पानी, टेलीफ़ोन के सरकारी बिल भुगतान करने के निर्देश दे दिए हैं. उन्होंने सरकारी कार को भी लौटा दिया है और अपने सरकारी स्टाफ में कटौती कर दी है.
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सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश के मुताबिक पूर्व सांसदों को एक महीने के भीतर अपने सरकारी निवास को खाली करने की प्रक्रिया पूरी करनी होती है. ये अलग बात है जेटली के मामले में सरकारी निवास से निजी आवास में शिफ़्ट होने का मसला बहुत कुछ पारिवारिक है.
जेटली के परिवार से जुड़े एक नेता के मुताबिक यह घर उनके स्वास्थ्य के लिए मुफ़ीद साबित नहीं हुआ है. जेटली से पहले इस घर में यूपीए सरकार में रक्षा मंत्री रहे एके एंटनी रहा करते थे. लेकिन वास्तु शास्त्र को जानने वाले कहते हैं रक्षा मंत्री रहते हुए एंटनी ने अपने पूरे कार्यकाल में रक्षा मंत्रालय में कोई आमूल चूल परिवर्तन नहीं किया. अपनी ईमानदारी और इमेज बचाने के लिए उन्होंने रक्षा सौदों को विलंब करने में कोई कंजूसी नहीं बरती.
वाजपेयी सरकार में क़ानून और वाणिज्य मंत्री रहते हुए अरुण जेटली को पुराने बीजेपी ऑफिस 11 अशोका रोड के बग़ल की कोठी 9 अशोका रोड आंवटित हुई थी. लेकिन वह अपने निजी आवास कैलाश कॉलोनी से ही सरकारी काम काज करते रहे, कभी इस घर में शिफ़्ट नहीं हुए. जेटली ने सरकारी आवास 9 अशोका रोड को संगठन से जुड़े उन नेताओं के रहने के लिए इस्तेमाल करने की छूट दे रखी थी जिनके पास दिल्ली में रहने के लिए सरकारी जगह नहीं थी.
9 अशोका रोड के एक कमरे का इस्तेमाल जेटली संगठन के कामकाज के लिए ऑफिस के तौर पर करते रहे, लेकिन यही वो दौर था जब जेटली अपने कैरिअर की ऊंचाई तक पहुंचे. पीएम मोदी से जेटली की गाढ़ी दोस्ती की शुरुआत इसी 9 अशोका रोड से हुई थी.
एनडीए 3 में स्वास्थ्य कारणों से मोदी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुईं पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने लोकसभा का चुनाव लड़ने से मना कर दिया था. अब दिक्कत यह है कि वह न लोकसभा में हैं और न ही राज्यसभा में.
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नए नियमों के मुताबिक सुषमा स्वराज को अपना सरकारी बंगला 8 सफ़दरजंग लेन खाली करना पड़ेगा. गांधीनगर से लोकसभा में चुने जाने के बाद गृह मंत्री अमित शाह की राज्यसभा सीट के साथ रविशंकर प्रसाद और महिला विकास मंत्री स्मृति ईरानी की राज्यसभा सीट खाली हो गई है. लेकिन, तीन खाली सीटों पर दावेदार पहले से मौजूद हैं.
विदेश मंत्री एस जयशंकर को गुजरात से राज्यसभा सीट देकर उन्हें सदन का हिस्सा बनाया जा सकता है. तो बिहार की सीट तय सहमति के हिसाब से राम विलास पासवान को दिया जाना है. पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज स्वास्थ्य की वजह से सक्रिय राजनीति से अपने को अलग कर चुकीं है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या वर्षों से अपने परिवार के साथ रह रहीं स्वराज को नए आशियाने की तलाश करनी पड़ेगी? या बीजेपी सुषमा की वरिष्ठता और राजनैतिक उपयोगिता को ध्यान में रखकर उन्हें राज्यसभा भेजेगी?