भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह शीघ्र ही 6-ए कृष्ण मेनन मार्ग (पहले किंग जॉर्ज एवेन्यू) के बंगले में शिफ्ट करने जा रहे है. यानी अब राजधानी में उनका ये नया आवास होगा. इस बंगले की हाल के दौर तक पहचान इसलिए रही क्योंकि इसमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सपरिवार 2004 से लेकर अपनी मृत्यु तक रहे. पर इस बंगले से नई दिल्ली को एक से बढ़कर एक खास सरकारी इमारतें देने वाले आर्किटेक्ट हरबर्ट बेकर का भी संबंध रहा है. बेकर इसमें नई दिल्ली के निर्माण के दौरान 1922-1925 के बीच रहे.
अगर एडविन लुटियन की सरपरस्ती में नई दिल्ली बनी-संवरी तो हरबर्ट बेकर ने राजधानी को संसद भवन, साउथ ब्लॉक, नॉर्थ ब्लॉक,जयपुर हाऊस, हैदराबाद हाऊस,बडौदा हाऊस जैसी शानदार और भव्य इमारतें दीं. बेकर ने भारत आने से पहले 1892 से 1912 तक दक्षिण अफ्रीका और केन्या में बहुत सी सरकारी इमारतों और गिरिजाघरों के भी डिजाइन तैयार किए. पर उन्होंने नई दिल्ली के किसी गिरिजाघर का डिजाइन नहीं तैयार किया. बेकर जब इस बंगले में रहते थे, तब इसका पता 8, किंग जॉर्ज एवेन्यू था.
कैसा बदला बंगले का पता ?
अमित शाह के 6- ए कृष्ण मेनन मार्ग के बंगले में आने के बाद भी इसकी पहचान लंबे समय तक अटल बिहारी वाजपेयी के साथ जुड़ी रहेगी. बहरहाल, ये जानकारी कम लोगों को ही है कि कभी हरबर्ट बेकर का आशियाना रहे बंगले का अटल बिहारी वाजपेयी ने पता बदलवा दिया था. सन 2004 से पहले इस बंगले का पता 8 कृष्ण मेनन मार्ग था. इधर शिफ्ट होने से पहले वाजपेयी जी अपने नए आवास का पता 7-ए रखना चाहते थे. लेकिन ये संभव नहीं था क्योंकि लुटियंस जोन के बंगलों के नंबर सड़क के एक तरफ विषम हैं और दूसरी ओर सम हैं. इसलिए उन्होंने 8- कृष्ण मेनन मार्ग वाले बंगले के लिए 6-ए कृष्ण मेनन मार्ग का पता स्वीकार कर लिया था. उनके आग्रह के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), शहरी विकास मंत्रालय और नई दिल्ली नगर पालिका (एनडीएमसी) ने इस बंगले को नया पता दे दिया था. हालांकि ये गुत्थी कभी नहीं सुलझी कि अटल जी ने अपने आवास का पता क्यों बदलवाया था.
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बंगले के पीछे क्या ?
इतिहासकार और ‘कनॉट प्लेस’ जैसी चर्चित पुस्तक की लेखिका स्वपना लिड्डल कहती हैं कि बेकर और अटल जी के बंगले के पीछे वाले भाग में एक फव्वारा भी है. ये शायद लुटियन जोन का एकमात्र सरकारी बंगला है,जिसमें फव्वारा भी है. हालांकि प्राइवेट बंगलों में तो फव्वारे हो सकते हैं. बहरहाल, अमित शाह को हरबर्ट बेकर के काम की जानकारी होगी. उन्हें मालूम होगा कि बेकर ने नई दिल्ली को कितनी महत्वपूर्ण इमारतें दीं. बेकर और अटल जी के दौर में उपर्युक्त बंगले में मोटे तौर पर एक ही बदलाव हुआ. बेकर 8 नंबर में रहते थे, अटल जी ने 8 को करवा दिया था 6 ए.
किसके आग्रह पर आए बेकर दिल्ली
बेशक नई दिल्ली के निर्माण में बेकर के योगदान का सही से मूल्यांकन नहीं हुआ है. उन्होंने ही संसद भवन का डिजाइन तैयार किया था. वे एडविन लुटियंस के आग्रह पर साल 1912 में भारत आए. दोनों पहले से मित्र थे. चूंकि नई दिल्ली का निर्माण चल रहा था, इसलिए लुटियन ने बेकर को भारत में आकर काम करने का आग्रह किया.बेकर को इस बात का श्रेय जाता है कि उन्होंने ही भारत के मौसम के मिजाज को देखते हुए अपनी डिजाइन की हुई इमारतों में जाली और छज्जों के लिए जगह बनाई. उसके बाद तो ये एक ट्रेंड सा बन गया.
बेकर बार-बार राजस्थान निकल लेते थे. वहां की पुरानी हवेलियों से लेकर किलों का अध्ययन करते. इसलिए ही उनके काम में ब्रिटिश के साथ-साथ मुगल और राजपूत वास्तुकला का अद्भुत संगम मिलता है. वे हरियाली के लिए स्पेस रखते थे. बेकर किसी बिल्डिंग का डिजाइन तैयार करते वक्त आगे के 50-60 वर्षों के बारे में सोचते थे. इसलिए उनकी इमारतों में अब भी ताजगी दिखाई देती है. वे पुरानी नहीं लगतीं.
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लुटियन के बंगले में प्रणव
इस बीच, ये बताना मुनासिब होगा कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणव कुमार मुखर्जी और एडविन लुटियन को 10 राजाजी मार्ग ( पहले हेस्टिंग रोड) का बंगला जोड़ता है. वे 10 राजाजी मार्ग में रहते हुए नई दिल्ली की तमाम इमारतों के निर्माण का काम देख रहे थे. इसी बंगले में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और भारत के पहले गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी भी रहे हैं. चूंकि इधर कुछ समय तक सी.राजगोपालचारी भी रहे हैं, इसलिए इसके आगे की सड़क का नाम उनके नाम पर राजाजी मार्ग रख दिया गया था. ये डबल स्टोरी बंगला है और इसमें आठ बैड रूम है.
लुटियन की टीम में हरबर्ट बेकर , रोबर्ट टोर रसेल( कनॉट प्लेस, तीन मूर्ति, सफदरजंग एयरपोर्ट) , ए.जी.शूस्मिथ ( दिल्ली छावनी की चर्च), हेनरी मैड (कैथडरल चर्च, नार्थ एवेन्यू तथा सेक्रेड हार्ट कैथडरल चर्च, गोल डाकखाना) जैसे गुणी डिजाइनर थे.
(वरिष्ठ पत्रकार और गांधी जी दिल्ली पुस्तक के लेखक हैं )