scorecardresearch
Thursday, 10 October, 2024
होमखेलअपने पिता के सामने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलना चाहता था: सरफराज

अपने पिता के सामने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलना चाहता था: सरफराज

Text Size:

राजकोट, 15 फरवरी (भाषा) छह साल की उम्र में क्रिकेट का सफर शुरू करने वाले सरफराज खान का हमेशा से सपना अपने पिता के सामने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलना था।

दो दशक बाद मुंबई के इस बल्लेबाज का सपना गुरुवार को साकार हुआ जब उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट में पदार्पण का मौका मिला और इस दौरान स्टेडियम में मौजूद उनके पिता नौशाद अपने आंसुओं को नहीं रोक पाए।

सरफराज ने पदार्पण करते हुए अर्धशतक जड़ा। वह बड़ी पारी खेलने की राह पर थे लेकिन नाबाद शतक जड़ने वाले रविंद्र जडेजा के साथ गलतफहमी का शिकार होकर गेंदबाजी छोर पर रन आउट हो गए।

यह 26 वर्षीय बल्लेबाज हालांकि पदार्पण करके काफी खुश है और उनकी कोई शिकायत नहीं है।

भारत के पहले दिन पांच विकेट पर 326 रन बनाने के बाद सरफराज ने यहां मीडिया से कहा, ‘‘पहली बार मैदान पर आना और अपने पिता के सामने कैप (भारतीय टीम की) लेना। मैं छह साल का था जब उन्होंने क्रिकेट की मेरी ट्रेनिंग शुरू की। यह मेरा सपना था कि उनके सामने भारतीय टीम के लिए खेलूं।’’

भारत के 311वें नंबर के टेस्ट क्रिकेटर सरफराज ने 62 रन की तेजतर्रार पारी खेली।

नौशाद गुरुवार को काफी खुश थे। उन्होंने अपने बेटे को खेलते हुए देखने के लिए राजकोट आने की योजना नहीं बनाई थी और मैच की पूर्व संध्या पर ही यहां पहुंचे।

इस दौरान खान परिवार के आंसू बह रहे थे और वे खुशी में एक दूसरे को गले लगा रहे थे। सरफराज की पत्नी भी इस दौरान मौजूद थी।

सरफराज ने कहा, ‘‘मैं (ड्रेसिंग रूम में) लगभग चार घंटे तक पैड बांधकर बैठा रहा। मैं सोच रहा था कि मैंने जीवन में इतना धैर्य रखा और कुछ और देर धैर्य रखने में कोई समस्या नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘क्रीज पर उतरने के बाद मैं शुरुआती कुछ गेंदों पर नर्वस था लेकिन मैंने इतना अधिक अभ्यास और कड़ी मेहनत की है कि सब कुछ सही रहा।’’

सरफराज ने कहा कि उनके लिए अपने पिता के सामने भारत के लिए खेलने से अधिक रन और प्रदर्शन मायने नहीं रखते।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत के लिए खेलना मेरे पिता सपना था लेकिन दुर्भाग्य से किन्हीं कारणों से ऐसा नहीं हो पाया। तब घर से उतना समर्थन नहीं मिला। उन्होंने मेरे ऊपर कड़ी मेहनत की और अब मेरे भाई के साथ ऐसा ही कर रहे हैं। यह मेरे जीवन का सबसे गौरवपूर्ण क्षण है।’’

इस बल्लेबाज ने कहा, ‘‘रन और प्रदर्शन मेरे दिमाग में उतना नहीं था जितना मैं अपने पिता के सामने भारत के लिए खेलने को लेकर खुश था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वह (राजकोट) आने के लिए तैयार नहीं थे लेकिन कुछ लोगों ने जोर दिया कि उन्हें जाना चाहिए। बेशक उन्हें आना चाहिए था क्योंकि उन्होंने इसी दिन के लिए इतनी कड़ी मेहनत की थी।’’

सरफराज ने कहा, ‘‘मैंने उनके सामने अपनी कैप ली तो वे काफी भावुक थे और मेरी पत्नी भी।’’

सरफराज ने शुरुआत में नर्वस होने के बाद कुछ ताकतवर स्वीप और सीधे लॉफ्टेड शॉट खेलकर रन जुटाए और अपने रन आउट को ‘संवादहीनता’ का मामला बताया।

उन्होंने कहा, ‘‘यह खेल का हिस्सा है। क्रिकेट में संवादहीनता होती है। कभी-कभी रन आउट होता है और कभी-कभी आपको रन मिलते हैं।’’

सरफराज ने कहा, ‘‘मैंने लंच के समय जडेजा से बात की थी और उनके आग्रह किया था कि खेलते समय मेरे साथ बात करें। मुझे खेलते हुए बातें करना पसंद है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उनसे कहा कि जब मैं बल्लेबाजी के लिए जाऊं तो खेलते हुए मेरे साथ बात करते रहें। वह बात करते रहे और बल्लेबाजी करते हुए मेरा काफी समर्थन किया।’’

भाषा

सुधीर नमिता

नमिता

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments