(चंदन कुमार)
लखनऊ, 25 जनवरी (भाषा) इजराइल में कुशल श्रमिक के रूप में अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी पाने की उम्मीद में राज्य भर से पुरुष एक सप्ताह तक चलने वाले परीक्षण भर्ती अभियान में भाग लेने के लिए सर्द मौसम का सामना करते हुए राज्य की राजधानी पहुंच रहे हैं।
सप्ताह भर चलने वाला परीक्षण भर्ती अभियान राज्य की राजधानी के अलीगंज क्षेत्र में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) में आयोजित किया जा रहा है।
बृहस्पतिवार की सुबह करीब एक हजार पुरुष आईटीआई के गेट के बाहर दो कतारों में खड़े होकर कौशल परीक्षण के लिए अंदर जाने की अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे।
मुरादाबाद के 36 वर्षीय राजमिस्त्री रूप कुमार अपने हाथों में दस्तावेजों की एक फाइल पकड़े हुए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं राजमिस्त्री का काम करता हूं। मैंने नौकरी के अवसर के बारे में सुना और आवेदन कर दिया।’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह इजराइल के बारे में कुछ जानते हैं जहां उन्हें काम के लिए जाना होगा, कुमार ने कहा, ‘मैं आज तक कभी दिल्ली नहीं गया हूं, मैं इजराइल के बारे में कैसे जानूंगा। मैं सिर्फ इतना जानता हूं कि वहां काम करने के लिए मुझे अच्छा वेतन मिलेगा और सरकार मेरा ख्याल रखेगी।”
उनके पीछे खड़ा है बरेली का 25 साल का युवक दिलीप। एक विज्ञान स्नातक, उसे बार बेंडर (लोहे की सरिया मोड़ने वाला) रूप में चयनित होने की उम्मीद है। ‘मैं पिछले तीन साल से सरकारी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा हूं। मैं एक गरीब परिवार से हूं और आगे पढ़ाई नहीं कर सकता। सरकारी नौकरी मिलने की संभावना अब नगण्य है इसलिए मैंने यहां नौकरी के लिए आवेदन किया है।’
रोजगार अभियान की शुरुआत 23 जनवरी को श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री अनिल राजभर और व्यावसायिक शिक्षा राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल की उपस्थिति में किया गया था। प्रशिक्षण और रोजगार के निदेशक कुणाल सिल्कू ने कहा कि इजराइल में निर्माण श्रमिकों को रोजगार प्रदान करने की प्रक्रिया का ध्यान भारत के केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय और जनसंख्या, आव्रजन और सीमा प्राधिकरण (पीआईबीए), इजराइल के तहत काम करने वाली एजेंसी एनएसडीसी इंटरनेशनल द्वारा किया जा रहा है।
सिल्कू ने बताया, ‘इजराइली टीम बार बेंडर, राजमिस्री, टाइल लगाने वाले और शटरिंग व बढ़ई जैसी नौकरियों के लिए लगभग 5000 उम्मीदवारों का परीक्षण करेगी। चयनित लोगों को काम शुरू करने के बाद प्रति माह 1.37 लाख रुपये तक का वेतन मिल सकता है। वेतन के अलावा उन्हें अन्य सुविधाएं भी प्रदान की जाएगी चिकित्सा बीमा, भोजन और आवास,”। वादा किया गया वेतन आईटीआई के बाहर अपनी बारी का इंतजार कर रहे लोगों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण है।
गोरखपुर के 39 वर्षीय सुरेंद्र साहू ने बताया,’मैं पिछले 15 वर्षों से टाइल लगाने का काम कर रहा हूं, लेकिन मैं मुश्किल से 15,000 से 20,000 रुपये प्रति माह कमा पाता हूं। मेरे तीन छोटे बच्चे हैं और देखभाल के लिए बुजुर्ग माता-पिता हैं। इज़राइल में काम करने से मुझे इतना वेतन मिल जाएगा और मेरे परिवार का भला हो जाएगा ।” राज्य के अधिकारियों के अनुसार प्रारंभिक चयन इच्छुक उम्मीदवारों द्वारा ऑनलाइन उपलब्ध कराई गई जानकारी के आधार पर किया गया था। सिल्कू ने बताया, ‘नौकरी के लिए आवेदन राज्य भर से प्राप्त हुए थे। जिन उम्मीदवारों के आवेदन की पुष्टि हो गई थी, उन्हें अपने कौशल का परीक्षण करने और अंतिम चयन के लिए इस भर्ती और चयन अभियान में बुलाया गया है।’ पुरुषों को उनके कौशल परीक्षण के लिए पांच-पांच के समूह में बुलाया जाता है। जबकि उनके दस्तावेजों की जांच की जाती है, उनसे उनके कौशल का परीक्षण करने के लिए वह काम करने के लिए कहा जाता है जिसके लिए उन्होंने आवेदन किया है। बढ़ई शटरिंग बनाते हैं, टाइलर दीवार पर टाइल लगाते हैं जबकि बार बेंडर कॉलम बनाते हैं। जब वे कार्य करते हैं तो एजेंसी के लोग उन पर गहरी नजर रखते हैं। एक बार अंदर बुलाए जाने के बाद कौशल परीक्षण में लगभग 25 मिनट का समय लगता है।
पीआईबीए द्वारा चयनित श्रमिकों की राज्य श्रम विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, आगरा, कानपुर और लखनऊ के 629 श्रमिकों के कौशल का परीक्षण मंगलवार को किया गया। अगले दिन आज़मगढ़ और बांदा मंडल के 585 श्रमिकों का परीक्षण किया गया, बृहस्पतिवावार को बरेली, झांसी, नोएडा, मोरादाबाद और देवीपाटन मंडल के 563 श्रमिकों का परीक्षण किया गया। वाराणसी, मिर्जापुर, मेरठ व गाजियाबाद के 656 श्रमिकों, गोरखपुर मंडल के 877 श्रमिकों, अयोध्या व सहारनपुर मंडल के 739 श्रमिकों तथा अलीगढ़, बस्ती व प्रयागराज मंडल के 603 श्रमिकों को कौशल परीक्षण के लिए 30 जनवरी तक बुलाया गया है।
बृहस्पतिवार को गोरखपुर के 36 वर्षीय बढ़ई प्रभाकर सिंह ने कहा, ‘मैंने एक महीने पहले नौकरी के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था और मुझे यहां बुलाया गया था। उन्होंने मुझे प्लाईवुड से शटरिंग संरचना बनाने के लिए कहा और मेरे दस्तावेजों की जांच की। मुझे उम्मीद है कि मैं ऐसा करूंगा नौकरी के लिए चयनित किया जाए।’
स्नातक तक शिक्षा प्राप्त सिंह को चल रहे इज़राइल-हमास संघर्ष के बारे में पता है, लेकिन अपने परिवार के लिए जीविकोपार्जन की आवश्यकता के आगे युद्ध के खतरे कम पड़ गए।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपने परिवार में सबसे बड़ा हूं और एकमात्र कमाने वाला सदस्य हूं। मुझे लगता है कि यहां रहकर कुछ न कर पाने से बेहतर होगा कि मैं अपने परिवार के लिए कमाते हुए वहीं मर जाऊं।’’
भाषा चंदन जफर आशीष प्रशांत
प्रशांत
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