नयी दिल्ली, 25 जनवरी (भाषा) शिकॉगो एक्सचेंज में मामूली घट-बढ़ के रुख के बीच देश के तेल-तिलहन बाजारों में बृहस्पतिवार को सरसों, सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल कीमतें मजबूत बंद हुईं, जबकि ऊंचे भाव पर लिवाल नहीं होने के कारण मूंगफली तेल-तिलहन में गिरावट रही। सोयाबीन तेल-तिलहन और बिनौला तेल के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।
मलेशिया एक्सचेंज आज बंद है। वहीं शिकॉगो एक्सचेंज में मामूली घट-बढ़ का रुख है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि सरकार की ओर से तेल कंपनियों को वैश्विक खाद्य तेल कीमतों में आई गिरावट के अनुरूप खाद्य तेलों के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) में कमी करने को कहा गया था। उसमें कुछ कंपनियों ने फिलहाल दाम में कमी की संभावना से असमर्थता जताई और कहा कि वे वैश्विक कीमतों के अनुरूप अपने दाम कम ज्यादा करती रहती हैं। उनका यह भी कहना था कि सरसों की मार्च तक नयी फसल आने तक दाम में कमी की गुंजाइश नहीं है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा कुछेक कंपनियां अगर दाम में थोड़ी कमी कर भी रही हैं, तो ऐसा बाकी कंपनियां नहीं कर रही हैं जो बहुलांश ग्राहकों तक पहुंच रखती हैं। अब एक मसले पर गौर करें तो तथ्यों का अंदाजा लग सकता है। मई, 2022 में सूरजमुखी तेल का भाव 2,500 डॉलर प्रति टन था लेकिन मौजूदा समय में इस तेल का भाव 950 डॉलर प्रति टन हो चला है। ग्राहकों से पूछा जाये या बाजार जाकर खुद सूरजमुखी तेल खरीद करें तो यह 125-140 रुपये लीटर के भाव मिल रहा है जबकि वैश्विक कीमतों में आई गिरावट के बाद यह तेल 100-105 रुपये लीटर मिलना चाहिये। इस एमआरपी के लिए मार्च में आने वाली सरसों फसल का बहाना नहीं लिया जाना चाहिये। खाद्य तेल कीमतें लगभग पिछले 20 महीने से गिरावट का रुझान लिये हुए है, इसके लिए मार्च की सरसों फसल को जिम्मेदार बनाना उचित नहीं है।
सूत्रों ने कहा कि जबतक सरकार पोर्टल पर कंपनियों को अपने अपने एमआरपी का नियमित तौर पर खुलासा करना अनिवार्य नहीं करेगी, बाजार में एमआरपी की आड़ में अधिक कीमत वसूली जैसी मनमानी जारी रहेगी। दूसरा रास्ता राशन की दुकानों के जरिये खाद्य तेलों के वितरण का रास्ता हो सकता है जिससे कीमत संबंधी पारदर्शिता सुनिश्चित हो सकती है।
उन्होंने कहा कि थोक में मूंगफली तेल 136 रुपये लीटर बिक रहा है और खुदरा बाजार में इसका भाव 155-160 रुपये लीटर से अधिक नहीं होना चाहिये। अगर बाजार जाकर पूछताछ करें तो पायेंगे कि यही तेल कितने ऊंचे दाम (200-250 रुपये लीटर) पर बेचा जा रहा है।
सूत्रों ने कहा कि कच्चे पाम तेल (सीपीओ) की हाजिर बाजार में उपलब्धता कम है और इसका भाव सोयाबीन से 20 डॉलर प्रति टन अधिक हो चला है। बेकरी कंपनियों की मांग होने के बीच महंगा होने के कारण इस तेल का कम आयात हो रहा है। इस कारण सीपीओ और पामोलीन कीमतों में सुधार है। सरसों, मंडियों में पहले ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से लगभग 10 प्रतिशत नीचे बिक रहा है। सरसों की आगे नयी फसल भी तैयार है। किसान और नुकसान के साथ सरसों बेचने को राजी नही हैं। फिलहाल मांग होने की वजह से सरसों तेल-तिलहन में भी सुधार है।
उन्होंने कहा कि दूसरी ओर ऊंचे भाव पर लिवाली कमजोर रहने से मूंगफली तेल-तिलहन में गिरावट है। जबकि आपूर्ति की कमी के बीच सोयाबीन तेल-तिलहन और मांग कमजोर रहने के बीच बिनौला तेल के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।
बृहस्पतिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 5,425-5,475 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,400-6,475 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,000 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,240-2,515 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 10,150 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,725 -1,820 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,725 -1,825 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,050 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,825 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,275 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,075 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 8,500 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,170 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 8,475 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 4,930-4,960 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,740-4,780 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,050 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश अजय
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