नई दिल्ली : एक सर्वेक्षण में शामिल अधिकांश भारतीय कर्मचारियों ने कहा है कि कृत्रिम मेधा (एआई) के आने से उनकी उत्पादकता बढ़ेगी लेकिन इसके लिए उनके संगठन को कौशल विकास के अवसर देने होंगे.
पेशेवर सेवा फर्म पीडब्ल्यूसी के इस सर्वेक्षण में शामिल भारतीय प्रतिभागियों के बड़े हिस्से ने एआई से उत्पादकता बढ़ने को लेकर सकारात्मक राय रखी हैं. वहीं वैश्विक स्तर पर 31 प्रतिशत प्रतिभागियों का मानना है कि एआई से उनकी उत्पादकता बढ़ेगी.
सर्वेक्षण में शामिल 24 प्रतिशत भारतीय कर्मचारियों ने कहा है कि एआई उनके काम की प्रकृति को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा.
भारत के 21 प्रतिशत कर्मचारी इस बात को लेकर आशंकित हैं कि एआई उनकी नौकरियों पर कब्ज़ा कर लेगा जबकि वैश्विक स्तर पर यह प्रतिशत 13 प्रतिशत है.
पीडब्ल्यूसी ने ‘इंडिया वर्कफोर्स होप्स एंड फियर्स सर्वे 2023’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा है कि अगर उद्योग जगत अपने कर्मचारियों के कौशल विकास की दिशा में सही नजरिया अपनाता है तो भारत एआई तकनीक को कारोबार का हिस्सा बनाने में अग्रणी बन सकता है.
इस सर्वेक्षण में 2,502 भारतीय प्रतिभागी शामिल हुए जिनमें से 88 प्रतिशत पूर्णकालिक कर्मचारी थे.
सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के 62 प्रतिशत कर्मचारियों का मानना है कि एआई के आने से अगले पांच वर्षों में उनके काम करने के लिए जरूरी कौशल में काफी बदलाव आ जाएगा.
पीडब्ल्यूसी इंडिया में साझेदार अनुमेहा सिंह ने कहा, ‘‘एआई को लेकर बढ़ती अनिश्चितता और अनुवर्ती प्रभावों के बीच कार्यबल अपने नियोक्ताओं से अधिक की मांग कर रहा है. कार्यबल केवल प्रतिस्पर्धी वेतन से ही संतुष्ट नहीं है, बल्कि उसे नौकरी को लेकर गहरी संतुष्टि और तेजी से आगे बढ़ने के अवसर भी चाहिए.’’
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